कयास लगाना हो रहा मुश्किल, इस बार तीर चलेगा या फिर जलेगा लालटेन
इस बार तीर चलेगा या फिर जलेगा लालटेन
पहुंचे हुए विश्लेषक बने हैं लोग, प्राप्त वोटों की संख्या तक बता रहे
कोनैन वसीर, उदाकिशुनगंजमधेपुरा लोकसभा का चुनाव तो संपन्न हो गया, लेकिन 23 दिनों बाद मतगणना होने तक लोगों को एक काम मिल गया है. वह काम जीत-हार के कयास लगाने का है और बिना पारिश्रमिक के यह काम मतगणना के दिन तक चलता रहेगा. इन दिनों सुबह होते ही लोग चाय पीने के बहाने चौक-चौराहों पर गुमटियों में पहुंचते हैं और हाथों में अखबार ले लोकसभा चुनाव में डाले गए मतों सहित जीत-हार का विश्लेषण कर रहे हैं. यह विश्लेषण कभी-कभी चुनाव परिणाम ही नजर आने लगता है तो कभी अतिश्येक्ति. आश्चर्य तो यह है कि एक चौक के बाद दूसरे चौराहे पर यह परिणाम बदल जाता है. बदल जाता है मतलब पूरी तरह उलट जाता है. इस चौक पर लोग तीर को जिताते हैं तो अगले चौक पर लालटेन को.
25 से 50 हजार से ही होगा फैसलाअनुमंडल मुख्यालय के पटेल चौक स्थित संजय टी स्टॉल पर सुबह की चाय की चुस्की लेते चार-पांच लोग चुनाव में किस पक्ष में कितना मतदान हुआ की चर्चा करते हुए इंडिया गठबंधन व एनडीए गठबंधन में कांटे की टक्कर होने की बात बता रहे थे. वहीं गोपाल टी स्टॉल पर बैठे कई लोग अपने-अपने समीकरण से महागठबंधन के उम्मीदवार को अधिक वोट मिलने की बात बता रहे थे. उसके बगल के किराना दुकान पर लोग दोनों गठबंधन में कड़ी टक्कर होने की बात कर रहे थे. इसी तरह बैंक चौक स्थित पान दुकान पर एनडीए उम्मीदवार को राजद उम्मीदवार को अधिक वोट मिलने की चर्चा कर रहे थे. जबकि एक नाश्ता दुकान पर बैठे कई लोग एनडीए उम्मीदवार की जीत का दावा कर रहे थे.
राम मंदिर और धारा 370 रहा प्रभावी लोग अपने-अपने हिसाब से जाति समीकरण से लेकर वोटिंग प्रतिशत तक की चर्चा कर रहे हैं. ज्ञात हो कि मधेपुरा लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत को देखकर हार और जीत का कयास लगाना मुश्किल हो रहा है. कोई भी ताल ठोककर यह नहीं बोल पा रहा है कि तीर चलेगा या फिर लालटेन जलेगा, लेकिन फिर भी हार और जीत की चर्चाओं का बाजार गर्म है. कोई राम मंदिर बनने और धारा 370 के हटने के बाद मतदाताओं में आया जोश बता रहा है तो किसी ने पढ़े लिखे प्रत्याशी को चुनने की बात कही. लेकिन जीत का ताज किसके सिर माथे होगा, इसका फैसला तो चार जून को मतगणना के बाद ही होगा. जदयू-भाजपा के कैडर वोट में हुआ बिखरावमतदान हो गया, इवीएम में कैद होकर लोगों का वोट स्ट्रांग रूम में लॉक हो गया है. इसके बावजूद कई ऐसे लोग हैं जो अपना पत्ता नहीं खोल रहे हैं कि उन्होंने किसे वोट किया है. यह भी स्पष्ट है कि जदयू-भाजपा एवं राजद-कांग्रेस को उसका कैडर वोट मिला ही है. लेकिन यह भी मानना होगा कि इस चुनाव जदयू-भाजपा के कैडर वोट में आंशिक रूप से ही सही, बिखराव हुआ है. सरकारी नौकरी, रोजगार, महंगाई व अफसरशाही के नाम पर कतिपय लोगों ने अपना वोट स्विच किया है. हालांकि ऐसे लोग पूछने पर नाराजगी जताते यही बताते हैं कि उन्होंने नोटा को वोट किया है. जो भी हो, हर किसी को चार जून को आने वाले परिणाम का इंतजार है.
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