Madhepura news : जिला मुख्यालय से सटे मिठाई में आजादी के समय बना रेलवे स्टेशन सुविधाओं के लिए तरस रहा है. हालत यह है कि लगभग छह महीने से मिठाई स्टेशन पर टिकट नहीं मिल रहा है. जानकारी के अनुसार, मिठाई स्टेशन का टेंडर पूर्व में समाप्त होने के बाद अब तक नया टेंडर नहीं हो सका है. इस कारण यहां यात्री टिकट नहीं मिल रहा है. यहां रेलवे का कोई कर्मचारी भी नहीं है. टिकट घर गंदगी से पटा है, जबकि मिठाई स्टेशन से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग यात्रा करते हैं और वह भी बिना टिकट.
जिम्मेदार खुद रेलवे
यहां ट्रेन पकड़ने आये सूरजभान कहते हैं कि यहां से लोग बिना टिकट के यात्रा करते हैं, तो इसका जिम्मेवार खुद रेलवे ही है, क्योंकि यहां टिकट मिलता ही नहीं है. यहां टिकट के लिए पिछले दिनों धरना-प्रदर्शन भी किया गया था, लेकिन अब तक विभाग ने इस पर संज्ञान नहीं लिया है. इस कारण रेलवे को भारी राजस्व की क्षति हो रही है. मिठाई रेलवे स्टेशन का भवन भी बहुत पुराना हो चुका है. आधुनिकता के नाम पर स्टेशन पर कोई नया निर्माण नहीं हुआ है. क्षेत्र की आबादी के साथ ही ट्रेन में सफर करनेवाले यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पर, मिठाई रेलवे स्टेशन पर आज भी सिर्फ लोकल गाड़ियों का ही ठहराव होता है.
जर्जर हो चुका है स्टेशन का भवन
मिठाई रेलवे स्टेशन पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यहां पेयजल तक की सुविधा नहीं है. स्टेशन का भवन जर्जर हो चुका है. यात्रियों के खड़े होने के लिए शेड नही हैं. यात्रियों के बैठने के लिए बेंच भी नहीं है. धूप या बरसात में यात्रियों को खड़े होकर ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है. यहां से यात्रा करने वाले यात्रियों को टिकट नहीं मिलने के कारण ट्रेन में या आगे के स्टेशनों पर टिकट निरीक्षक द्वारा जुर्माना किया जाता है, जिससे आमलोगों को अतिरिक्त आर्थिक क्षति हो रही है. इसके साथ रेलवे को भी भारी राजस्व की क्षति हो रही है.
ब्रिटिश काल का था प्रमुख स्टेशन
ब्रिटिश काल में बना मिठाई रेलवे स्टेशन काफी प्रमुख था. यहां सभी एक्सप्रेस और पैसेंजर गाड़ियां रुकती थीं और यात्री चढ़ते और उतरते थे. जबसे बड़ी लाइन की शुरुआत हुई है, तबसे यह रेलवे स्टेशन हाॅल्ट में बदल गया और खंडहर जैसी स्थिति हो गयी है. यहां न तो यात्रियों के बैठने की कोई व्यवस्था है और न ही खड़े होने की. पेयजल के लिए चापाकल भी नहीं है, जबकि चापाकल के लिए चार पाइप लगे हैं. गंदगी भी इधर-उधर फैली है. शौचालय तो बना है, लेकिन सफाई के अभाव में वह उपयोग के लायक नहीं है.
जनप्रतिनिधि भी साधे हैं चुप्पी
यहां के लोग कहते हैं कि मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से दिनेश चंद्र यादव दूसरी बार सांसद चुने गए हैं. उन्हें मिठाई स्टेशन की पूरी कहानी मालूम है. इसके बावजूद भी मिठाई रेलवे स्टेशन के बारे में सांसद ने रेलमंत्री के पास या सदन में कोई चर्चा नहीं की. अन्य क्षेत्र के सांसद, विधायक अपने-अपने इलाके के विकास को लेकर सदन में आवाज उठाते रहते हैं. स्थानीय विधायक प्रो चंद्रशेखर तीसरी बार मधेपुरा के विधायक चुने गए. इसके बावजूद भी कोई प्रतिनिधि इस रेलवे स्टेशन की दुर्दशा को लेकर आवाज नहीं उठा रहा है.