मधेपुरा. जिले में एक पखवाड़े से गर्मी अपने परवान पर है. लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए ठंडे पेय पदार्थों का सहारा ले रहे हैं. कहीं जूस के ठेले पर भीड़ है, तो कहीं आइसक्रीम की खुब बिक्री हो रही है. इसमें सर्तक रहने की विशेष जरूरत है. चिकित्सकों की मानें तो बाजार में उपलब्ध पेय पदार्थों की अपेक्षा घर में तैयार पदार्थों का सेवन करना बेहतर है. लेकिन इन पदार्थों का बाजार शहर से लेकर शहर से लेकर गांव के नुक्कड़ तक फैल चुका है. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए बाजार के उत्पादों का इस्तेमाल से पहले सोचने-समझने की जरूरत है. सोमवार को जिले का तापमान अधिकतम तापमान 43 डिग्री रहा. शहर की सड़कों पर पूरे दिन लोगों की आवाजाही कम दिखी. जरूरत पड़ने पर लोग घर से छाता, सिर पर गमछी, महिलाएं दुपट्टा से चेहरे को ढक धूप से बचाव करते देखे गये. तेज धूप रहने के कारण सड़कों पर उड़ते धूल से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.
विभिन्न कंपनियों के तैयार डिब्बाबंद जूस पीने में बरतें सावधानी
इन दिनों जिला मुख्यालय में गर्मी का असर मार्केट में दिखायी देने लगा है. जूस की ब्रिकी बढ़ गयी है. आम तौर पर मौसमी फल के जूस के ठेले शहर में हर चौक-चौराहों पर दिखायी पड़ते हैं. इन चलती फिरती दुकानों पर लोगों का जमावड़ा भी रहता है. इनमें बेल को पसंद करने वालों की भी कमी नहीं है. वहीं सत्तू के दुकानों पर भी लोग पहुंचने लगे हैं. फलों में मौसम्मी, संतरा और अनार के जूस की मांग ज्यादा रहती है. वहीं बाजार में विभिन्न कंपनियों के तैयार डिब्बाबंद जूस की डिमांड भी बढ़ने लगी है. फल आधारित पेय पदार्थों को लेकर आम धारणा है कि ये स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं, लेकिन इनका सेवन करने से पहले भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है. फलों के जूस के ठेले या रेहड़ी अक्सर चौक चौराहों पर ही होते हैं. खुले में होने के कारण धूल, मक्खी से इनके संक्रमित होने का पूरा खतरा होता है. जूस ठंडा करने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले बर्फ को जमाने से लेकर ढोने तक साफ सफाई का कोई खयाल नहीं रखा जाता है. संक्रमित जूस से पीलिया, डायरिया समेत कई पेट की बीमारियां होने की आशंका रहती है. बाजार में कई नकली कंपनी की पेय पदार्थ भी बिक रहे हैं. इस मामले में उपभोक्ता को भी पैनी नजर रखनी होगी. साथ ही एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें.
कोल्ड ड्रिंक्स में होती है केवल कैलोरी, यह बढ़ाता है शरीर में पानी की कमी
शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ असीम प्रकाश ने कहा कि बाजार में उपलब्ध गर्मी से राहत दिलाने वाले पेय पदार्थ की शुद्धता या गुणवत्ता संदिग्ध होती है. कोल्ड ड्रिंक्स में केवल कैलोरी होती है. यह तत्काल का उर्जा का अहसास तो कराता है लेकिन शरीर में पानी की कमी बढ़ ही जाती है. बोतलबंद इस पदार्थ को सुरक्षित रखने के लिए पेस्टीसाइड तथा अन्य केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है ताकि इसमें कीटाणु जन्म न ले सकें. साथ ही अलग-अलग फ्लेवर के लिए इस्तेमाल किए गये रंग व केमिकल भी लोगों के शरीर में स्टोन का निर्माण करते हैं. लगातार एवं ज्यादा इस्तेमाल से लीवर में सूजन का भी खतरा होता है. विकल्प के तौर पर नींबू, नमक, चीनी, सत्तू, बेल सहित अन्य फल का इस्तेमाल लोगों को न केवल स्वस्थ रखता है बल्कि गर्मी एवं लू से भी राहत प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर तेज गर्मी से तुरंत आकर ठंडा पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे गले में इंफेक्शन हो सकता है.गर्मी के दौरान लगातार पसीना बहते रहने से शरीर में हो रही पानी की कमी से बचाव के लिए नियमित अंतराल पर छांछ, शरबत, सत्तू का सेवन करते रहना चाहिए. शरीर के लिए नमक एवं चीनी दोनों आवश्यक तत्व है. डायबिटीज के मरीजों को चीनी के अधिक सेवन से बचना चाहिए लेकिन आवश्यकता के अनुसार नमक तथा तरल पेय पदार्थ का सेवन जरूर करना चाहिये.
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