सिंहेश्वर प्रखंड क्षेत्र के सुखासन पंचायत स्थित पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय में 75वां वन महोत्सव का आयोजन वन प्रमंडल सहरसा के द्वारा किया गया. उक्त कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन जिला पदाधिकारी विजय प्रकाश मीणा, डीडीसी अवधेश कुमार, डीइओ सइद अंसारी, वन क्षेत्र पदाधिकारी नीरज कुमार सिंह, सिंहेश्वर नगर पंचायत चेयरमैन पूनम देवी सहित अन्य के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद पौधारोपण किया. इस दौरान डीएम ने कहा कि वन महोत्सव पेड़ों के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने एवं लोगों को पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में अधिक सक्रिय होने के लिए प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. अधिक पेड़ लगाकर, हम जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने, पर्यावरण की रक्षा करने और मानव कल्याण को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं. सीधे तौर पर ग्लोबल वार्मिंग का जवाब देने और प्रकृति को बढ़ावा देने में योगदान से संबंधित है. वन महोत्सव उन लोगों के लिए है जो धरती माता से प्यार करते हैं, और उन लोगों के लिए भी जो अज्ञानी हैं. क्योंकि उन्हें भी अच्छे पर्यावरण, सुंदर मौसम एवं सुखद जलवायु परिस्थितियों के बीच प्राकृतिक संतुलन का आनंद मिलेगा. इस त्यौहार को मनाना सीधे तौर पर भारत और दुनिया भर की हरियाली को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देने से जुड़ा है. वहीं डीडीसी अवधेश कुमार आंनद ने कहा वन महोत्सव का लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना एवं जलवायु परिवर्तन को रोकने में पेड़ों और जंगलों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यह महोत्सव देश में एक प्रमुख वार्षिक अवसर के रूप में विकसित हुआ है. और इसमें देश के बढ़ते हरित आवरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. डीइओ सईद अंसारी ने कहा कि शुरू से ही हमारी संस्कृति प्रकृति पर केंद्रित रही है. प्रकृति से हमारा गहरा नाता है. खास तौर पर पेड़ों से. पेड़ों को हम अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं और उन्हें पवित्र मानते हैं. हमारे दैनिक जीवन में वनों के महत्व को पहचानने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है. वन क्षेत्र पदाधिकारी निरज कुमार सिंह ने कहा हर साल जुलाई के पहले हफ़्ते में मानवता को दिये गये इस उपहार को याद करने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है. 1950 में देश के खाद्य एवं कृषि मंत्री डॉ केएम मुंशी ने भारत में वन महोत्सव को राष्ट्रीय गतिविधि बना दिया गया. हर साल वन महोत्सव सप्ताह के उपलक्ष्य में इस त्यौहार के 75 वर्ष होने के सम्मान में पूरे भारत में लाखों पौधे लगाए जा रहे हैं. नगर पंचायत अध्यक्ष पुनम देवी ने कहा हमारे देश की प्राचीन संस्कृति में पेड़ों को सम्मान दिया जाता है. प्रकृति ने सबसे बुनियादी मानवीय ज़रूरत को पेड़ों से जोड़ा है. पेड़ पानी की तरह है, पानी भोजन की तरह है और भोजन जीवन की तरह है. भारत में पर्यावरण की रक्षा के लिए एक धर्मयुद्ध के रूप में इसकी शुरुआत हुई. वन महोत्सव नाम का अर्थ है पेड़ों का त्योहार. विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोज कुमार झा प्रकृति ने मानवता को जो सबसे बेहतरीन उपहार दिया वह पेड़ है. यह हमें कई तरह की जीवित चीजें और रहने के लिए जगह प्रदान करता है. इसके अलावा, जंगल हमें कई तरह के फायदें भी देते हैं. जड़ी- बूटियां, झाड़ियां और पेड़ों की कई प्रजातियां जंगलों में पाई जाती है. उनमें से कई दवाई के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है. मौके पर डीपीओ अभिषेक कुमार, डीएसपी मनोज कुमार, सीओ नवीन कुमार, बीईओ नवल किशोर, बीपीएम जफर हसन, बीआरपी शशीकांत यादव, गजेन्द्र नारायण यादव, आरटी श्रवण कुमार, व्यापार मंडल अध्यक्ष शिवचंद चौधरी, सुखासन मुखिया सह मुखिया संघ अध्यक्ष किशोर कुमार पप्पू, वन विभाग के वनपाल शैलेंद्र तिवारी, वनरक्षी अरविंद कुमार, रजनीश कुमार, नवीन राज, सुरेंद्र कुमार, शुभम कुमार, चंदन कुमार, अरूण कुमार, अमृता कुमारी, रुपम कुमारी, दामनी कुमारी, नितिश कुमार, कंप्यूटर आपरेटर चंद्रमनी भारती, सरोज कुमार सिंह, विद्यालय के शिक्षक अभय कुमार, हेम नारायण झा, शशिकांत सिंह, हिद्रेय पांडे, सारिका अरोड़ा, हरे राम कुमार, कविता कुमारी, कुमार प्रणव, सुधीर कुमार सिंह, ममता सिंह, पूर्णिमा सिंह, ऋतुराज कुमार, राजेश रोशन, कृष्ण बल्लभ, उर्मिला कुमारी, प्रिया रानी और छात्र- छात्राएं उपस्थित थे.
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