जल मीनार निर्माण के बावजूद दूषित पानी पीने को मजबूर हैं ग्रामीण
जल मीनार अब गाव की शोभा की वास्तु मात्र बनकर रह गई है.
कुमारखंड, मधेपुरा.
मधेपुरा प्रखंड के सिहपुर गढ़िया समेत रामनगर महेश, पुरैनी एवं टेंगराहा सिकियाहा पंचायत में शुद्ध पानी की किल्लत दूर करने के उद्देश्य से करोड़ों की लागत से बने जल मीनार के बावजूद ग्रामीण अर्सेनिक जल पीने को मजबूर है. प्रखंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक हर तरफ शुद्ध पानी को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है. ग्रामीण इलाकों में तो कई खरीद कर शुद्ध पानी पीने को मजबूर हैं. कोसी इलाका होने के कारण लोग लाल पानी पीने को मजबूर हैं. प्रखंड में शुद्ध पानी की किल्लत और लाल पानी की समस्या को दूर करने के लिए ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत करोड़ों की लागत से गांव-गांव में योजना की शुरुआत की गई| इस योजना के तहत गांव 10 करोड़ की लागत से जल मीनार का निर्माण कराया गया.इससे पाइप लाइन के जरीए सीधे घरों में पानी की सप्लाई की योजना बनाई गयी. लेकिन अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में लोग चापाकल के दूषित जल पर निर्भर हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री ने गांवों में शुद्ध पानी के लिए जल मीनार,सौर उर्जा चालित मिनी जल संयंत्र एवं मोटर चालित मिनी जल संयंत्र एवं अन्य कई योजना शुरू की हैं. पंचायतों में जलमीनार बनाने का कार्य अंतिम पूर्ण हो चूका है. प्रखंड के सिहपुर और कुमारखंड,रामनगर महेश,पुरैनी एवं टेंगराहा सिकियाहा पंचायत के आस पास के कई गांव के 60 हजार आबादी को शुद्ध पानी देने के लिए 50 करोड़ की लागत से जल मीनार बन तैयार है. इस जनमीनार को जल आपूर्ति के लिए फिल्टर प्लांट समेत सारा कार्य पूर्ण है इतना ही नहीं घर-घर पाइप बिछाने का काम भी पूर्ण है. परन्तु ग्रामीण स्वास्थ अभियंत्रण विभाग के पदाधिकारी एवं कर्मचारी के कारण सभी जल मीनार अब गाव की शोभा की वास्तु मात्र बनकर रह गई है. इस विभाग का लाभ ग्रामीणों तक पहुंचाने के लिए विभागीय मंत्री एवं सरकार के सचिव को जमीनी हकीकत से वाकिफ होने की जरुरत है.
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