मिट्टी के दीयों से घरों को करेंगे रौशन, चेहरों पर आयेंगी खुशियां
मिट्टी के दीयों से घरों को करेंगे रौशन, चेहरों पर आयेंगी खुशियां
प्रतिनिधि, मधेपुरा
दीपावली दीपों का त्योहार है. आदिकाल से दीपावली पर मिट्टी के दीपक जलाने की परंपरा है. पर आधुनिकता की दौर में हम कृत्रिम लाइट पर निर्भर होते जा रहे हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि हम अपनी परंपरा से दूर होते जा रहे हैं. नयी पीढ़ी को कृत्रिम लाइटों की और ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. मिट्टी के दीयों को कतारबद्ध सजाना, उसमें तेल भरना, बाती रखना और फिर उसे प्रज्वलित करना अद्भुत अनुभव है. मिट्टी के दीयों को जलते हुए देखना एक सुखद एहसास है. उमंग से भर जाना है. साथ हीं लोकल को भोकल करने का अवसर भी मिलता है. मिट्टी के दीयों के प्रयोग से बिजली की भी बचत होगी. जिले में खराब होती आबोहवा को देखते हुए प्रभात खबर ने एक मुहिम की शुरूआत की है. इस मुहिम में शनिवार को शहर के हॉली क्रास स्कूल में परिचर्चा आयोजित की गयी. बच्चों को यह संकल्प दिलाया जा रहा है कि इस बार की दीपावली पर्यावरण के अनुकूल हो. हॉली क्रास स्कूल में बच्चों ने मीठी दीपावली मनाने का संकल्प लिया.
इको फ्रेंडली दीपावली मनाने को लोगों को करेंगी प्रेरितगजेंद्र कुमार, निदेशक
——स्वदेशी वस्तुओं को अपनाते देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें स्वदेशी साधनों के उपयोग पर बोल देना चाहिए. दीपावली पर मिट्टी के दीपक व सजावटी सामान स्वदेशी ही खरीदना चाहिए. स्वदेशी वस्तुओं को अपने से देश की तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान होगा.
डॉ वंदना कुमारी, प्राचार्य—-
एक मिट्टी का दीया जब जलता है, तो कई घर रौशन होते हैं. सिर्फ दीया बनाने वाले कुम्हार हीं नहीं बल्कि तेल, धी व रूई का कारोबार करने वाले कपास उगाने वाले को भी इसमें लाभ होता है. मिट्टी का दीया इको फ्रेंडली होता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है.आरती झा, शिक्षिका
—– प्रभात खबर के इस अभियान से युवा वर्ग में जागरूकता आयेगी. आज हमने मिट्टी के दीप जलाने का जो संकल्प लिया है. इसे हर हाल में पूरा करेंगे. अपने आसपास तथा परिजनों को इस मुहिम के प्रति जागरूक करेंगे. इस तरह के सकारात्मक अभियान जागरूकता चलाने के लिए प्रभात खबर की पूरी टीम धन्यवाद के पात्र है.किरण कुमारी, शिक्षिका
———-कहते हैं स्टूडेंट्स
आज दीपावली के अवसर पर हमने जो प्रण लिया है. इसे पूरा करेंगे. मिट्टी के दीप जलाने से एक तो पर्यावरण का कम नुकसान होगा. वहीं दीप बनाने वाले लोगों के चेहरे पर मुस्कान आयेगी. प्रभात खबर हमेशा से सामाजिक कार्यों में आगे रहा है. इसके लिए पूरी टीम को विद्यालय परिवार की ओर से धन्यवाद है. प्रियांशु, छात्र——-
हमारा भारत देश सही मायने में तभी आत्मनिर्भर हो पायेगा, जब स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन वितरण व उपयोग होगा. इस बार दिवाली में मिट्टी का बना हुआ दीप का इस्तेमाल करेंगे और दूसरों को प्रेरित करेंगे. पटाखों का इस्तेमाल नहीं करेंगे.
संजना, छात्रा——
आज के परिवेश में यह दृष्टिगोचर हो रहा है कि दीपावली के अवसर पर लोग विदेशी बिजली वाले लाइट का प्रयोग अधिक कर रहे हैं. इस दीपावली पर अपने बच्चों तथा सभी लोगों को प्रेरित करें कि परिजनों के साथ मीठी दीपावली मनाये.सौम्या गुप्ता, छात्रा
—–रंगोली व दीयों वाली प्रदूषणमुक्त दीपावली मनाएं. दीपावली में इस बार मिट्टी के दीयों से घरों को रोशन करें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा बने. मिट्टी के दीये का धार्मिक महत्व भी है. पटाखा तो बिल्कुल न छोड़े. इससे पर्यावरण को नुकसान होता है.
आराध्या, छात्रा——-
पटाखों से निकलने वाले रसायन हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं. इस दिवाली को हम सभी लोग पटाखे रहित, प्रदूषण मुक्त व प्रकृति पोषक त्योहार के रूप में मनाएं घरों को रोशन करने के लिए मिट्टी के दीयों का ही इस्तेमाल करें.
नीति मिश्रा, छात्रा—–
दीपावली खुशियों का त्योहार है, पर हमें दिवाली मनानी है, तो पर्यावरण का भी ख्याल रखना होगा, लेकिन इस दिन लोग दीये की जगह रंग-बिरंगे बल्ब व झालर जलाकर घरों को सजाते है. खुशी जताने के लिए पटाखे तो जलाते हैं, पर इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है.माही, छात्रा
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