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सवालों के घेरे में आया मैट्रिक का रिजल्ट! विद्यालय में नहीं है प्रयोगशाला, पर छात्र को मिले सौ फीसदी अंक

मधुबनी : बीते कुछ सालों में मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में गड़बड़ी की बात सबके सामने खुलकर आ गयी है. कई ऐसे छात्र बिहार का टॉपर बन गये जिन्हें यदि सही से मूल्यांकन किया जाता तो पास होने में भी परेशानी ही होती. इसमें इंटर की टॉपर रूबी राय व गणेश सहित कई छात्रों […]

मधुबनी : बीते कुछ सालों में मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में गड़बड़ी की बात सबके सामने खुलकर आ गयी है. कई ऐसे छात्र बिहार का टॉपर बन गये जिन्हें यदि सही से मूल्यांकन किया जाता तो पास होने में भी परेशानी ही होती. इसमें इंटर की टॉपर रूबी राय व गणेश सहित कई छात्रों का नाम शामिल हैं. इस गड़बड़ी से इस साल का गुरुवार को जारी किया गया मैट्रिक का परीक्षा परिणाम भी अछूता नहीं. जारी रिजल्ट के बाद जिस प्रकार से छात्रों के अंक पत्र में कई विषयों में सौ में सौ अंक आये हैं उसमें मूल्यांकन में गड़बड़ी में संभावना से इनकार नहीं कर सकता है. कई ऐसे विषय हैं, जिसमें छात्रों को सौ में सौ अंक लाना मुश्किल है.

प्रैक्टिकल किये बना आ गया सौ फीसदी अंक
खुटौना के प्लस टू उच्च विद्यालयके छात्र जूरीदेव कुमार ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 429 अंक लाकर ना सिर्फ स्कूल का टॉपर बना है, बल्कि जिले के टॉप टेन में दसवां स्थान भी लाया है. जूरीदेव को साइंस में 100 में 100 तथा गणित में 100 में 94, एसएससी में 100 में 80, संस्कृत में 100 में 77 तथा हिंदी में 78 अंक प्राप्त हुआ है. साइंस में प्रैक्टिकल में भी इन्हें सौ में सौ अंक हासिल हुए है, जबकि विद्यालय के प्राधानाध्यापक फिरोज अहमद खुद कहते हैं कि विद्यालय में प्रयोगशाला का इंतजाम ही नहीं है. कागज पर ही सब कुछ चलता है. विद्यालय की दीवार तक से प्रयोगशाला का नाम हट गया है. ऐसे में किसी छात्र का प्रयोग में सौ फीसदी अंक मिल जाना अपने आप में सवाल खड़ा करता है. यह किसी एक जूरीदेव का मामला नहीं है. इस साल ऐसे सैकड़ों छात्र हैं जिन्हें विज्ञान में सौ में सौ अंक मिले हैं. इसी तरह लदिनयां के सुरेंद्र कुमार यादव को भी प्रायोगिक विषय में 20 में 20 अंक दिये गये हैं.

कई छात्रों को गणित विषय में मिले सौ अंक
जारी रिजल्ट ने कई रामानुजम को जन्म दिया है. गणित के महारथ हासिल करने वाले छात्रों की संख्या इस साल सैकड़ों में हो गयी है. जिलेभर में ही सैकड़ों छात्र हैं जिन्हें गणित में सौ में सौ अंक हासिल हुआ है. यह बिरले ही होता है. सालों पहले भारतके प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेंद्र प्रसाद के बारे में भी कहा जाता है कि उन्हें परीक्षा में सौ फीसदी अंक मिले थे. इस साल तो ऐसे सैकड़ों छात्र हैं जिन्हें गणित जैसे विषय में सौ फीसदी अंक हासिल हुए हैं. अंधराठाढ़ी के बच्चादाय उच्च विद्यालय की छात्र कोमल को गणित में सौ में सौ अंक मिले हैं. इसी तरह बेनीपट्टी के लीलाधर उच्च विद्यालय के मो परवेज आलम को भी गणित में सौ में सौ अंक मिले हैं.

दो साल से हर विषय में एक समान अंक
इससे भी दो कदम आगे गड़बड़ी का एक मामला झंझारपुर से सामने आया है. यहां के एक छात्र पिछले साल परीक्षा में फेल हो गया. इस साल दुबारा परीक्षा दिया. जब रिजल्ट सीट निकाला तो वह हैरत में रह गया. पिछले साल जिस विषय में जितने अंक आये थे ठीक वही अंक इस साल भी आये हैं. मामला भैरव स्थान के गोपाल नारायण प्लसटू विद्यालय का है. निरंजन मिश्र नामक छात्र का इस साल रॉल नंबर 1620235, रॉल कोड 62048 है. इसे हिंदी में 53, संस्कृत में 41,गणित में 13, सामाजिक विज्ञान में 12, विज्ञान में 20 एवं अंग्रेजी में 38 अंक मिले हैं. यह परीक्षा में फेल कर गया है. पिछले साल भी निरंजन का रॉल नंबर यही था. रॉल कोड भी यही था और आश्चर्य की बात यह कि सभी विषयों में अंक भी वही हैं. यह महज संयोग नहीं हो सकता. कहीं न कहीं मूल्यांकन में गड़बड़ी की आशंका जरूर है.

विज्ञान में 100 अंक हासिल करना कठिन
जिले के जाने माने शिक्षाविदों ने अपनी-अपनी राय जताते हुए कहा है कि इस प्रकार का अंकनिश्चय ही गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है. सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो योगानंद सिंह झा ने कहा कि किसी विषय में सौ फीसदी अंक हािसल करना अनूठा है. यह बिरले ही होता था. पर, इस साल तो गणित और विज्ञान में सौ में सौ अंक धड़ल्ले से आये हैं. यह इतना आसान भी नहीं है. खासकर विज्ञान विषय में.

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