सफाई कार्य से एनजीओ अलग
नप. नये अनुबंध तक शहरवासियों को हो सकती है परेशानी मधुबनी : आने वाला दिन शहर के लोगों पर भारी पड़ सकता है. खासकर गंदगी से शहर के लोगों को परेशानी हो सकती है. जगह- जगह फैले कचरे तथा सड़क पर फैली गंदगी से लोगों को रूबरू होना पर सकता है. दरअसल, शहर में रोजाना […]
नप. नये अनुबंध तक शहरवासियों को हो सकती है परेशानी
मधुबनी : आने वाला दिन शहर के लोगों पर भारी पड़ सकता है. खासकर गंदगी से शहर के लोगों को परेशानी हो सकती है. जगह- जगह फैले कचरे तथा सड़क पर फैली गंदगी से लोगों को रूबरू होना पर सकता है. दरअसल, शहर में रोजाना करीब 15 टन कचरे रोज फेंके जाते हैं. पर, इसकी सफाई के लिए अब ठोस इंतजाम नहीं है. पिछले दिनों सशक्त स्थायी समिति की बैठक में सफाई लगे स्वयं सेवी संस्था से काम नहीं लेने का प्रस्ताव पारित किया गया. उसे 31 जुलाई तक ही कार्य करने को कहा गया. नये सिरे से एनजीओ बहाल किया जायेगा. इसके लिए निविदा का प्रकाशन कराया जाना है. निविदा प्रकाशन अब तक नहीं हुआ है. इस प्रक्रिया में कुछ वक्त लग सकता है. हालांकि, 27 जुलाई को सशक्त स्थायी समिति की बैठक में सदस्यों ने तत्काल सफाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने का निर्णय लिया.
सरस्वती आर्ट एंड कल्चर कर रही थी सफाई : पिछले चार सालों से शहर में साफ सफाई सरस्वती आर्ट एंड कल्चर नामक स्वयं सेवी संस्था कर रही थी. इन्हें शहर के एक से 20 वार्डों की सफाई का जिम्मा दिया गया था. बताया जा रहा है कि नये बोर्ड के गठन के बाद इसे हटाने की बात चल रही थी. 21 से 30 वार्डों की सफाई का जिम्मा नप कर्मी रामाशीष राम कर रहे थे. इनसे भी काम करने से रोक दिया गया.
तीन भागों में सफाई : शहर में सफाई के लिए एक एनजीओ, ऑउट सोर्सिंग तथा नप के सफाई कर्मी काम कर रहे थे. वार्ड एक से 20 तक सरस्वती आर्ट एंड कल्चर सेंटर, वार्ड 21 से 30 तक आउट सोर्सिंग से जिसका काम नप कर्मी रामाशीष राम देख रहे थे. शहर में मुख्य सड़कों की सफाई का काम नप के सफाई कर्मी कर रहे थे. अब जबकि स्वयं सेवी संस्था व आउट सोर्सिंग का काम बंद कर दिया गया. ऐसे में तत्काल सफाई में परेशानी की संभावना जतायी जा रही है.
सफाई कर्मी का अभाव : एक ओर शहर में करीब 15 टन कचरे रोजाना सड़कों पर फेंके जाते हैं. दूसरी ओर नगर परिषद में सफाई कर्मी की कमी है. सफाई कर्मी के 247 पद स्वीकृत है. इसमें 189 पुरुष के एवं 58 पद महिला के लिए स्वीकृत हैं. वर्तमान में मात्र 57 सफाई कर्मी कार्यरत हैं. इसमें 30 पुरुष व 27 महिला सफाई कर्मी कार्यरत हैं. ऐसे में एनजीओ एवं आउट सोर्सिंग से सफाई कार्य कराना लाजिमी है.
15 टन कचरे के उठाव के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं
20 लाख प्रति महीना खर्च
शहर में साफ सफाई व्यवस्था में प्रतिमाह करीब 20 लाख रुपये खर्च किये जाते हैं. इसमें एनजीओ, आउट सोर्सिंग तथा नप के सफाई कर्मी को दिये जाने वेतन शामिल हैं. एक वार्ड पर सफाई के लिए एनजीओ को 20 हजार 500 रुपये दिये जाते हैं.
होगी वैकल्पिक व्यवस्था : सुनैना
एनजीओ व आउट सोर्सिंग का काम नये सिरे से शुरू किया जायेगा. इसके लिए शीघ्र निविदा का प्रकाशन किया जायेगा. तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था के तहत शहर में सफाई कराया जायेगा. इसमें करीब 85 सफाई मजदूर लगाये जायेंगे. सफाई में कोई कमी नहीं होगी.