मधुबनी : किसानों के फसल के मेहनत व गाढी कमाई से उपजाये गये अनाज के प्राकृतिक आपदा से होने वाली क्षति की भरपाई करने के लिये सरकार द्वारा संचालित फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को मिले ना मिले पर यह बीमा कंपनी के लिये जरूर कामधेनु बन गया है. हालात यह है कि एक ओर बीमा कंपनी जहां किसानों से बीते पांच साल में करीब सात करोड़ से अधिक रुपये की वसूली कर चुका है वहीं किसानों को मिलने वाले एक अरब से अधिक बीमा धन का भुगतान नहीं किया जा सका है.
केसीसी का ऋण चुकता करना आज किसानों को जमीन बेचने पर मजबूर कर रहा है. बीते पांच साल पहले जिन किसानों ने पचीस हजार का केसीसी ऋण लिया आज उनका भुगतान उन्हें लाखों में करना है. सरकार फसल क्षति का भुगतान नहीं कर रही. जमीन बेचने के अलावे कोइ विकल्प ही नहीं बचा है.
सहकारिता विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बीते करीब पांच साल में जिले के करीब एक लाख मेंबर के किसानों ने बीमा राशि का भुगतान किया. पर इस उम्मीद में आज तक हैं कि शायद इस साल फसल क्षति मुआवजे का भुगतान हो जाये.
सवा अरब बीमा राशि है बकाया.रोहिका सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक के एमडी अजय कुमार भारती ने बताया कि रबी एवं खरीफ फसल बीमा क्षति की भुगतान पिछले 6 साल से नहीं हुआ है. बीमा कंपनी प्रत्येक साल जिला से लाखों रुपये वसूल कर चली जाती है. लेकिन, क्षति पूर्ति लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. जिस कारण किसानों का हाल बुरा है. श्री भारती ने बताया कि बैंक प्रत्येक सीजन में किसानों को 7 फीसदी सूद पर केसीसी ऋण दिया जाता है. ताकि किसान खेती करें. बैंक द्वारा जितना ऋण दिया जाता है. उसके एवज बैंक द्वारा इंश्योरेंस कराया जाता है. ताकि किसानों का फसल अगर बर्बाद हुआ तो उसे उसका भुगतान बीमा कंपनी करे. लेकिन, पिछले 6 साल से राशि नहीं आने के कारण किसानों को भुगतान नहीं किया जा सका है.
बीमा कंपनी छह साल से नहीं कर रही राशि का भुगतान
बीमा कंपनी पर जिले के किसानों का करीब सबा अरब रुपये बकाया
फसल के साथ घर से चली गयी गाढी कमाई
मूलधन से अधिक हो गया सूद
किसानों के केसीसी खाता पर मूलधन से ज्यादा सूद की राशि हो गया है. एमडी ने बताया कि बैंक प्रबंधन ने तो किसानों को सशर्त ऋण दिया था. किसानों को वह ऋण हर हाल में चुकता करना होगा जब तक कि सरकार के तरफ से ऋण माफी का कोई आदेश नहीं आ जाता. वैसे वर्ष 14-15 रबी एवं 15-16 खरीफ फसल का क्षति पूर्ति की आंकड़ा वेबसाइट पर पिछले दो माह पूर्व ही डाला गया. लेकिन, अभी तक एक भी किसान के खाता पर राशि नहीं चढ़ाया गया है. पैक्स अध्यक्ष विश्वजीत कुमार सिंह मुन्ना ने बताया कि किसान बैंक के ऋण से इतना दब गया है कि किसानों का अपनी जमीन बेचने की नौबत आ गयी है.