डूबते सूर्य को दिया गया अर्घ, उदयगामी सूर्य को अर्घ आज
मधुबनीः अस्ताचल गामी सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही सूर्योपासना का पवित्र व्रत चैती छठ धार्मिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मना. प्रसिद्ध काली मंदिर के समीप अवस्थित गंगा सागर तालाब में घंटों अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने के लिये व्रती महिलाएं व पुरुष जल में खड़े रहे. श्रद्धालुओं ने अपने अपने हाथों में […]
मधुबनीः अस्ताचल गामी सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही सूर्योपासना का पवित्र व्रत चैती छठ धार्मिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मना. प्रसिद्ध काली मंदिर के समीप अवस्थित गंगा सागर तालाब में घंटों अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने के लिये व्रती महिलाएं व पुरुष जल में खड़े रहे. श्रद्धालुओं ने अपने अपने हाथों में नारियल, केला, संतरा, सेब, अंगूर सहित मिथिलांचल के पारंपरिक ठकुआ और भुसवा को लेकर सूर्य भगवान को प्रणाम किया. इस अवसर पर काली मंदिर के आसपास चैती छठ के महात्म्य के मधुर गीत गूंज रहे थे. महिला श्रद्धालुओं ने मैथिली में छठ मैया के गीत गाकर वातावरण को भक्तिमय और आध्यात्मिक बना दिया.
गत साल की तुलना में इस साल छठ व्रतियों की संख्या अधिक देखी गई. चैती छठ मनाने कई महिला पुरुष दिल्ली, मुंबई बेंगलुरू से यहां आये हैं. अपनी मन्नतें पूरा होने पर कई महिलाओं ने दूध से अर्घ दिया. कई श्रद्धालु दंड प्रणाम करते हुए गंगा सागर तालाब तक पहुंचे.
अगरबत्तियों की महक से वातावरण सुगंधित था. प्रसिद्ध गायिका शारदा सिन्हा के छठ के गीत का कैसेट बज रहा था. नये परिधानों में व्रतियों ने चैती छठ मनाया. प्रकृति भी श्रद्धालुओं से प्रसन्न थी. बारिश की हल्की हल्की बूंदों ने मौसम को सुहावना बना दिया. इस अवसर पर काली मंदिर परिसर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इसी परिसर में चैती दुर्गा पूजा मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा की पूजा अर्चना की. इस मंदिर को जनसहयोग से नया रूप दिया गया है. चैती छठ को लेकर तालाब के किनारे किनारे आकर्षक छटा बिखरी थी.