एक लाख की आबादी के लिए सार्वजनिक शौचालय नहीं
मधुबनी : स्वच्छता अभियान, महिला हित के दावे तथा स्वच्छ एवं सुंदर नगर के दावे शहर में नहीं दिखाई दे रही है. हालात यह हैं कि जिस शहर की आबादी करीब एक लाख के आस पास हो गयी है. वहीशहर में एक भी एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है. हालांकि एक दो वार्ड में नाम […]
मधुबनी : स्वच्छता अभियान, महिला हित के दावे तथा स्वच्छ एवं सुंदर नगर के दावे शहर में नहीं दिखाई दे रही है. हालात यह हैं कि जिस शहर की आबादी करीब एक लाख के आस पास हो गयी है. वहीशहर में एक भी एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है. हालांकि एक दो वार्ड में नाम मात्र के लिए सार्वजनिक शौचालय है. पर यह बंद रहता है.
जिला मुख्यालय रहने के कारण जिले के सभी भागों से लोगों का आना जाना रहता है. सैकड़ों लोग गांव से शहर ऑफिस या किसी काम से शहर मुख्यालय आते है. खासकर काम करने आ रही महिलाओं को काफी परेशानी होती है. अगर ऐसी औबत आ जाए तो सार्वजनिक जगहों पर निपटाना पड़ता है.
महिलाओं को परेशानी. सार्वजनिक शौचालय नहीं रहने के कारण कई मुहल्लों में आज भी लोगों को खुले स्थल पर ही शौच कार्य के लिए जाना पड़ता है. बरसात के मौसम में रात के अंधेरे में अनहोनी की आशंका बनी रहती है. जिनके घर शौचालय नहीं हे वो सड़क किनारे या सार्वजनिक स्थल पर शौच के लिए जाते है. अब जबकि प्रत्येक जगह नये-नये कॉलोनी विकसित हो रही है. इससे परेशानी और भी बढ़ गयी है. ऐसी स्थिति में शहर में स्वच्छता के सभी दावे विफल साबित हो रहे है.
रिवार में एक शौचालय निर्माण कराया जाएगा. शहर में कराये गये सर्वेक्षण के मुताबिक 16 हजार शौचालय का निर्माण कराया जाना है. वहीं जिनके पास जमीन नहीं है उनके लिए सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था होनी है. इसके लिए नगर परिषद जगह चिन्हित करेगी.
एक लाख आबादी को होती है परेशानी. शहर में एक लाख आबादी है. उपर से यहां गांव या अन्य जगहों से कामकाजी लोग आते है. एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं रहने से काफी परेशानी होती है. खासकर कामकाजी महिलाओं को हलांकि तीन सुलभ शौचालय संचालित है. पर इसकी दूरी इतनी अधिक है कि यह परेशानी का सबब बन जाता है. गरीब लोगों को परेशानी यह होती है कि इसके लिए पैसा देना पड़ता है. पैसे के कमी के कारण ये लोग सार्वजनिक स्थलों पर जाना मुनासिब समझते है.
शौचालय निर्माण की गति धीमी
शहर में शौचालय निर्माण की गति काफी धीमी है. 2 अक्टूबर 2015 से शौचालय निर्माण कार्य शुरू होने के बावजूद अब तक 4 हजार शौचालय के लिए पैसे का भुगतान किया जा सका है.
जबकि अब तक सार्वजनिक शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है.
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