दीवार पर मिथिलांचल की संस्कृति

पहल. टीम के अलावा बेहतर प्रदर्शन करनेवाले कलाकार भी होंगे पुरस्कृत मधुबनी : मधुबनी स्टेशन पर इन दिनों मिथिला पेंटिंग कलाकारों का जमघट लगा है. यह जमघट न सिर्फ अपनी कला की इस विरासत को बढ़ावा देने के दिशा में अनूठा पहल है. बल्कि यह पहला मौका होगा जब किसी एक सार्वजनिक स्थल पर मिथिला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2017 4:33 AM

पहल. टीम के अलावा बेहतर प्रदर्शन करनेवाले कलाकार भी होंगे पुरस्कृत

मधुबनी : मधुबनी स्टेशन पर इन दिनों मिथिला पेंटिंग कलाकारों का जमघट लगा है. यह जमघट न सिर्फ अपनी कला की इस विरासत को बढ़ावा देने के दिशा में अनूठा पहल है. बल्कि यह पहला मौका होगा जब किसी एक सार्वजनिक स्थल पर मिथिला की संस्कृति, धार्मिक व लोक पर्व से जुड़े कला देखने को मिलेगा. यदि कोई बाहरी व्यक्ति इस स्टेशन पर आते हैं तो इस स्टेशन पर उतरते ही उन्हें यहां की संस्कृति की झलक दिख जायेगी. कहीं पर कलाकार विवाह से जुड़े हर रश्म की पेंटिंग कर रहे हैं तो कहीं पर मिथिला के प्रसिद्ध पान मखान व मछली को उकेर कर रंग भरा जा रहा है. जिधर जाये उधर ही अलग कलाकृति दिख रही है.
दूधमुंहे बच्चे को घर पर छोड़ कर पेंटिंग कर रही चुन्नी. इसी प्रकार स्टेशन अधीक्षक कार्यालय के बाहर उपरी दीवार पर मिथिला पेंटिंग की कलाकार चुन्नी, ललिता, माधुरी, रामपरीक्षण व अन्य कलाकार मिथिलांचल के प्रसिद्ध मछली, पान मखान की तस्वीर बनाने में जुटी है. कलाकारी कर रही चुन्नी अपने दो माह के पुत्र को अपनी मां के पास छोड़ कर आयी है. बताती है कि यह मौका शायद ही फिर कभी कलाकारों को मिल सके. उसका नन्हा सा बेटा उसकी मां के पास ही दिन भर रहता है. इस दौरान गाय की दूध उसे पिलाया जाता है. बताती है कि यह यादगार लम्हा है. इसमें शामिल होने वाले कलाकारों का नाम सालों तक लिया जायेगा. इस अवसर को वह कैसे छोड़ देती .
विद्यापति व उगना का प्रसंग
प्लेटफाॅर्म नंबर एक के अंदर मुख्य द्वार पर कलाकार संजय कुमार जायसवाल अपने टीम के पांच कलाकारों के साथ पेंटिंग करने में पूरे तन्मयता से व्यस्त थे. कोई कचनी भरनी कर रहे थे तो कोइ, पेंटिंग का खाका तैयार कर रहा था. अधिकांश लोगों को अभी यह समझ में नहीं आ रहा था. पर जब संजय ने थीम की जानकारी दी तो अनूठा वे बेहतरीन कल्पना सामने था. संजय बताते हैं कि यह विद्यापति व उगना के जीवन की पूरी कहानी को व्यक्त करता पेंटिंग है. इस पेंटिंग में उगना के द्वारा कवि विद्यापति के सेवा करने, विद्यापति को पानी पिलाने, साक्षात महादेव रूप का दर्शन देने, विद्यापति की पत्नी द्वारा उगना की पिटाई करने उसके बाद उगना के गायब होने सहित सभी बातों का चित्रण पेंटिंग के द्वारा किया गया है.
दिन में पेंटिंग रात को पढ़ाई
प्लेटफार्म नंबर एक के प्रवेश द्वार पर ही गौशाला रोड निवासी शबा परवीन पेंटिंग कर रही थी. तेज धूप से पसीने से तर बतर हो रही थी. पर इसके बाद भी कूची से दीवाल पर लगातार हाथ चल रहे थे. शबा बीए पार्ट वन की छात्रा है. मुख्यालय के महिला कॉलेज में पढती है. बताती है कि उसकी परीक्षा 11 अक्तूबर से है. पर जब बात स्टेशन पर एक साथ इतने कलाकारों के आने और पेंटिंग को विश्व स्तर पर पहुंचाने की बात चली तो उसने भी इसमें अपनी सहभागिता निभाने का ठान लिया. वह भी इसमें शामिल हो गयी. शबा बताती है कि दिन भर पेंटिंग करती है. शाम के बाद वह परीक्षा की तैयारी कर रही है. हालांकि पाठ्यक्रम पूरा होने और पूर्व में ही तैयारी हो जाने के कारण से उसे परीक्षा की चिंता नहीं है.

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