बदलते मौसम में रहें सतर्क, मास्क का करें प्रयोग

मधुबनी : दीपावली व छठ पर्व में पटाखे व विभिन्न प्रकार के कचड़े जलाने से निकलने वाले धुएं से न सिर्फ वातावरण प्रदूषित हो जाता है. बल्कि इन दिनों लोगों पर विभिन्न प्रकार के कु प्रभाव भी देखने को मिलता है. बदलते मौसम के साथ ही वातावरण के परिवेश में भी बदलाव शुरू हो जाता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2017 1:58 AM

मधुबनी : दीपावली व छठ पर्व में पटाखे व विभिन्न प्रकार के कचड़े जलाने से निकलने वाले धुएं से न सिर्फ वातावरण प्रदूषित हो जाता है. बल्कि इन दिनों लोगों पर विभिन्न प्रकार के कु प्रभाव भी देखने को मिलता है. बदलते मौसम के साथ ही वातावरण के परिवेश में भी बदलाव शुरू हो जाता है. जिससे लोगों को कई बीमारियों से दो- चार होना पड़ता है. ऐसे में लोगों को फेशियल मास्क, मास्क्युटों रिपेलेंटव मास्क्युटो नेट का उपयोग करना चाहिए. ताकि मौसम में बदलाव के साथ वायरल इंफेक्शन से बचा जा सके.

डाक्टर से लें सलाह. बुखार अिधक होने पर सिर पर पानी की पट्टी दें. अिधक बुखार होने पर चिकित्सक से संपर्क करें. बदलते मौसम में पानी उबाल कर पीना चाहिए.
वायरल इन्फेक्शन का खतरा अिधक
सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डा. विनोद कुमार झा ने बताया. डाक्टर ने बताया कि दीपावली व छठ पर्व के समय पटाखा व दीप से निकलने वाला धुआं वातावरण में फैल जाता है. जिसके कारण वायरल इंफेक्शन की संभावना प्रबल हो जाती है. लोग, सर्दी, खांसी, छींक,इंफ्लुऐंजा, डेंगु व चिकन गुनिया जैसी बीमारी के भी शिकार हो सकते है. इसके अलावा मच्छरों का प्रकोप भी इस मौसम में ज्यादा होता है. जिससे मच्छर जनित रोग, कलाजार व मलेरिया जैसी बीमारी की भी संभावना बढ़ जाती है.
ऐसे करें बचाव
चिकित्सक बताते हैं कि वातावरण दूषित होने के कारण लोगों को फेशियल मास्क, मच्छरदानी, व मच्छर से बचाव के लिए उपलब्ध क्रीम का इस्तेमाल करना चाहिए. अपने घर के अगल- बगल पानी का जमाव न होने दें. पानी को उवाल कर ही सेवन करें. एलर्जी के लिए सेट्रीजीन व बुखार आने पर पारासिटामोल का उपयोग करें. तथा चिकित्सक से अवश्य सलाह ले.
बेकार हो गया 50 लाख का सामान
नलकूप विभाग में करीब 40 से 50 लाख रुपये का सामान खराब हो गया है. इन सामान में नलकूप लगाने के लिये मंगाया गया लोहे का पाइप, पाइप गाड़ने वाली मशीन, जीप व अन्य कीमती सामान है.
साल 1988 से 1993 के बीच नलकूप लगाने के लिए विभाग द्वारा सैकड़ों की संख्या में लोहे का पाइप मंगाया गया. पर इसके बाद ही सरकार ने प्लास्टिक के पाइप का उपयोग सरकारी नलकूप में करने का आदेश पारित किया. जिस कारण लोहे का वह पाइप धरा ही रह गया. विभाग ने इसे ना तो वापस किया और ना ही रख रखाव का कोई माकूल इंतजाम ही हो सका. जिस कारण विगत करीब 25 सालों में पाइप खुले आसमान और जंगल मे पड़ा है.
लोहे का पाइप-100 पीस-10 लाख
जीप – सात पीस – 21 लाख
मशीन- तीन पीस – 2.5 लाख
दुकान बस -दो पीस -छह लाख
मिनी ट्रक -एक – तीन लाख
लोहे का सामान -पांच लाख
मोबाइल नंबर पर बात करने की कोशिश की गयी. पर उनके द्वारा फोन नहीं उठाये जाने के कारण उनसे इस मामले में जानकारी नहीं लिया जा सका.
संजय कुमार, कार्यपालक अभियंता

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