जांच में मिली वित्तीय गड़बड़ी

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By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2017 5:23 AM

गोलमाल. बाबूबरही पीएचसी में तीस बेड, रोज हो रही 67 कपड़ों की धुलाई

मधुबनी : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बाबूबरही के जांच क्रम में वित्तीय अनियमितताओं में पदाधिकारी व कर्मचारियों की संलिप्तता का मामला उजागर हुआ है. इस पीएचसी में वित्तीय वर्ष 2014-15,2015-16, एवं 2016-17 में भर्ती मरीजों का वीएचटी, जेनेरेटर व पथ्य आहार के साथ-साथ अस्पताल में मरीजों के बेड पर बिछाये जाने वाले कपड़ों की धुलाई में भी भारी पैमाने पर अनियमितता बरती गयी है. यह बातें सीएस द्वारा गठित जांच टीम के द्वारा जांच में सामने आयी हैं.
तीस बेड का है अस्पताल : वित्तीय वर्ष 2014-15 में प्रत्येक दिन 67 कपड़ा एवं वित्तीय वर्ष 2015-16 में प्रत्येक दिन 79 कपड़े की धुलाई करायी गयी है. इसे प्रथम दृष्टया गलत माना गया है. यह आंकड़ा ऐसी स्थिति में है जब पीएचसी में तीस बेड ही है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में रोगी कल्याण समिति मद से किसी सरकारी कर्मचारी को अग्रिम नहीं देकर बाहरी दुकानदार को एक लाख 35 हजार रुपये का अग्रिम दिया जाना और रोगी कल्याण समिति के अनुमोदन के पूर्व ही राशि का समायोजन कर लेना वित्तीय अनियमितता को उजागर करता है.
बिना कोटेशन के हुआ सामान खरीद : वित्तीय वर्ष 2015-16 में बिना कोटेशन प्राप्त किये ही दरभंगा के राज इलेक्ट्रॉनिक को टीबी व आरओ की खरीद के लिए 35 हजार 300 रुपये का भुगतान किया जाना तथा विपत्र पर सामग्री प्राप्ति संबंधी प्रमाण पत्र अंकित नहीं रहना वित्तीय अनियमितता का प्रतीक है.
इसके अलावा जिला मलेरिया भंडार से 20 कार्टन सिंथेटिक पाउडर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बाबूबरही 20 अगस्त 16 को गाड़ी न. बीआर 7 जी 6730 से भेजी गयी थी. जिसका गाड़ी भाड़ा जिला मलेरिया कार्यालय द्वारा भुगतान कर दिया गया था. लेकिन, स्वास्थ्य केंद्र के बीएचडब्लू संतोष कुमार द्वारा गलत बिल प्रस्तुत कर 1600 रुपये का गबन किया गया. उक्त सभी मामले प्रभारी अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ आरडी चौधरी व लेखा प्रबंधक द्वारा 8 सितंबर 17 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बाबूबरही के जांच क्रम में सामने आया है.
क्या है मामला : लोहियायुथ व्रिगेड के जिला संयोजक सुनील कुमार मंडल एवं प्रखंड प्रमुख बाबूबरही द्वारा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बाबूबरही के विरुद्ध आरोप लगाते हुए सिविल सर्जन को पत्र दिया गया था. पत्र के आलोक में सीएस द्वारा मामले की जांच के लिए अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ आरडी चौधरी व लेखा प्रबंधक शिव कुमार को नियुक्त किया गया. जांच दल द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बाबूबरही व इसके अंतर्गत आनेवाले चार अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का भी जांच किया गया जांच में जांच दल द्वारा कई अनियमितता सामने आया है.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बाबूबरही में वित्तीय वर्ष 2014-15 में लाग बुक के अनुसार प्रतिदिन 14 से 15 घंटे जेनेरेटर चलाया गया. आलम यह रहा है कि 1 मार्च 2014 से 17 अप्रैल 2014 तक जेनेरेटर मद में दीपक फाउंडेशन को 91 हजार 731 रुपये का भुगतान किया गया. 18 अप्रैल 14 से फरवरी 2015 तक लिच्छवी वेलफेयर को 7 लाख 15 हजार 327 रुपये का भुगतान किया गया. वित्तीय वर्ष 15-16 में लाग बुक के अनुसार मार्च 2015 से फरवरी 2016 तक प्रतिदिन 18 घंटे जेनेरेटर का भुगतान लिच्छवी वेलफेयर फाउंडेशन को 8 लाख 32 हजार 666 रुपये का दिया गया. वहीं सरकार द्वारा 18 से 20 घंटे तक बिजली उपलब्ध कराने की मुहिम जारी है. ऐसे में पीएचसी में प्रतिदिन 18 घंटे जेनेरेटर चलाना बहुत बड़े अनियमितता के मामले को उजागर कर सकती है.
यही हाल वित्तीय वर्ष 2016-17 का है. लाग बुक के अनुसार मार्च 2016 से फरवरी 2017 तक औसतन प्रतिदिन 14 घंटे का भुगतान 6 लाख 47 हजार 188 रुपये का भुगतान लिच्छवी फाउंडेशन को किया गया. मामले में रोगी कल्याण समिति द्वारा पारित प्रस्ताव को भी दर किनार कतरे हुए जेनेरेटर मद में अप्रैल 16 से नवंबर 17 तक 579 घंटा जेनेरेटर चलाया गया. 127 रुपये प्रति घंटा की दर 579 घंटा का 73 हजार 533 रुपये का अधिक भुगतान लिच्छवी वेलफेयर फाउंडेशन को किया गया. इसके अलावा बाहरी साफ-सफाई मामले में भी दीपक फाउंडेशन को वर्ष 2014-15 में 4567 रुपये का अधिक भुगतान किया गया.
पथ्य एवं आहार : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती मरीजों को दिये जाने वाले पथ्य-आहार में भी जांच दल ने कई अनियमितता पायी है. जांच दल ने बताया कि भर्ती मरीजों का वीएचटी नहीं बनता था. रोगी पथ्य रजिस्टर के अनुसार ही भर्ती मरीजों को पथ्य एवं आहार उपलब्ध कराने वाले संस्था को भुगतान किया जाता था. वित्तीय वर्ष 2014-15 में अप्रैल 2014 से फरवरी 2015 तक कुल 2980 भर्ती मरीजों को 48.95 पैसे प्रति मरीज के दर से 1 लाख 45 हजार 557 रुपये का भुगतान किया गया था. जांच क्रम में जांच दल को एक मार्च 2014 से 8 अप्रैल 2014 एवं 1 फरवरी 2015 से 28 फरवरी 15 तक पथ्य व आहार रजिस्टर उपलब्ध नहीं कराया गया.
2706 मरीज के जगह पर 46 हजार मरीज को दिया गया पथ्य
दिनांक 7 मई 2014 से 2 नवंबर 14 तक एवं दिनांक 3 नवंबर 14 से 31 जनवरी 15 तक पथ्य आहार रजिस्टर में 2706 मरीजों का नाम अंकित पाया गया. इसके अलावा जांच दल द्वारा तथ्य आहार मद में 46 हजार 441 समय का मरीजों को तथ्य आहार उपलब्ध नहीं कराये जाने के बाद भी पुष्प भारती संस्था को उक्त मद की राशि भुगतान किया गया.
कपड़ा धुनाई में भी गोलमाल
यही हाल कपड़ा धुलाई का भी है. अप्रैल 2014 से फरवरी 2015 तक कुल 21 हजार 995 कपड़े की धुलाई की गयी. इसका 5.95 पैसे की दर से 1 लाख 30 हजार 865 रुपये का भुगतान किया गया. जांच दल द्वारा प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो 10 माह में 21 हजार 995 कपड़े की धुलाई की गयी. यानि प्रत्येक दिन 67 कपड़े की धुलाई पीएचसी में हुई. वहीं वित्तीय वर्ष 2015-16 में मार्च 2015 से फरवरी 2016 तक कुल 28 हजार 487 कपड़े की धुलाई की गयी. इसका 5.95 की दर से 1 लाख 52 हजार रुपये का भुगतान किया गया. यानि प्रत्येक माह 2374 कपड़े की धुलाई प्रतिदिन 79 कपड़े की धुलाई की गयी, जिसे जांच दल ने गलत बताया है.
क्या कहते हैं अधिकारी
सिविल सर्जन डाॅ अमरनाथ झा बताते है कि परिवाद के आलोक में जांच दल गठित किया गया था. जांच प्रतिवेदन प्राप्त हुआ है. मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी बिंदुओं पर जांच कर दोषी पदाधिकारी व कर्मचारी पर विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी.

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