बिना परमिट के वाहन का अधिकारी कर रहे उपयोग

मधुबनी : आम आदमी को नसीहत देने वाले अधिकारी खुद ही नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि सरकारी कार्यालयों में किराये पर चलाये जा रहे आठ दर्जन के करीब चारपहिया वाहन बिना टैक्सी परमिट के ही चल रहे हैं. ऐसा खुलेआम देखा जा सकता है वाहन मालिक भी प्रतिमाह मोटी किराया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2018 3:45 AM

मधुबनी : आम आदमी को नसीहत देने वाले अधिकारी खुद ही नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि सरकारी कार्यालयों में किराये पर चलाये जा रहे आठ दर्जन के करीब चारपहिया वाहन बिना टैक्सी परमिट के ही चल रहे हैं. ऐसा खुलेआम देखा जा सकता है वाहन मालिक भी प्रतिमाह मोटी किराया वसूल रहे हैं. इतना ही नहीं, जिलेभर में चलने वाले वाहनों की जांच तो आये दिन की जा जाती है. लेकिन सरकारी कार्यालयों में लगे प्राइवेट वाहनों की परमिट की जांच कभी नहीं होती.

पड़ताल करने पर एक अधिकारी ने बताया कि यह निजी गाड़ी है. लेकिन वे भी डीजल का खर्च सरकार से ही लेते हैं. यहां बतादे कि सभी प्राइवेट और सरकारी गाड़ियों का परमिट होना चाहिए. परिवहन कार्यालय को भी जिलेभर में सरकारी कार्यालयों में चल रहे वाहनों की पूरी जानकारी नहीं है. कारण विभिन्न कार्यालयों के सैकड़ों अधिकारी बिना परमिट के वाहनों का उपयोग कर रहे हैं. जबकि विभाग के अनुसार तकरीबन सौ गाड़ी ही निबंधित है.गौरतलब है कि एक ओर परिवहन कार्यालय नियमों का पालन कराने के लिये तत्परता दिखाती है, वहीं परमिट के सवाल पर चुप्पी साध लेती है.

निजी और व्यावसायिक वाहनों के लिए अलग-अलग निर्धारित है टैक्स. बिना आरटीओ की परमिट के कई गाड़ियां विभाग को चूना लगा रही है. वाहन मालिक प्राइवेट रजिस्ट्रेशन कराकर वाहनों का कमर्शियल इस्तेमाल कर रहे हैं. घरेलू वाहनों के उपयोग पर लाइफ टाइम रोड टैक्स लिया जाता है. जबकि व्यावसायिक उपयोग वाले वाहनों से हर तिमाही पर टैक्स का प्रावधान किया गया है. लेकिन आम तौर पर लोग घरेलू उपयोग के लिये वाहन खरीदते हैं. और उसका व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं.
बिना टैक्स परमिट के सरकारी कार्यालयों में सैकड़ों गाड़ियों का हो रहा उपयोग
अधिकारियों के वाहन की नहीं होती जांच, आठ दर्जन से अधिक निजी वाहन का अधिकारी कर रहे उपयोग
निबंधित चारपहिया वाहन
निजी व्यावसायिक
226 22688
कार्यालयों में शर्त के अनुसार किराये पर लगते हैं वाहन
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी सरकारी कार्यालयों में जरूरत के अनुसार गाड़ियों की स्वीकृति के साथ किराया तय किया जाता है. शर्त के अनुसार परमिट के साथ वाहन किराये पर लेने से पहले वित विभाग की अनुमति भी जरूरी होती है. तभी जाकर सरकारी कार्यालयों में वाहन किराये पर रखे जा सकते हैं. फिलहाल डीएम के अनुशंसा पर विभिन्न कार्यालयों में 30 हजार रुपये प्रतिमाह किराये पर पांच गाड़ी ही स्वीकृति की गई है.

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