बिहार का गौरव हािसल करने को शिक्षा पर फोकस जरूरी

बिहार 21 मार्च को 106 साल का हो जायेगा. राज्यवासियों के लिए यह गौरव की बात है. प्रभात खबर ने बिहार दिवस के मौके पर अतीत, पुराने गौरव, शिक्षा, स्वस्थ्य और महिला सशक्तीकरण की दिशा में हुई पहल पर विशेष परिचर्चा का आयोजन किया है. जिला मुख्यालयों में 21 मार्च तक परिचर्चा होगी, िजसमेंं सभी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 17, 2018 4:27 AM

बिहार 21 मार्च को 106 साल का हो जायेगा. राज्यवासियों के लिए यह गौरव की बात है. प्रभात खबर ने बिहार दिवस के मौके पर अतीत, पुराने गौरव, शिक्षा, स्वस्थ्य और महिला सशक्तीकरण की दिशा में हुई पहल पर विशेष परिचर्चा का आयोजन किया है. जिला मुख्यालयों में 21 मार्च तक परिचर्चा होगी, िजसमेंं सभी की भागीदारी होगी. इससे समाज में एक नया संदेश जायेगा

मधुबनी : बिहार का इतिहास गौरवमयी रहा है. देश की आजादी में वीर कुंवर सिंह के बलिदान की बात हो या फिर गौतम बुद्ध, कवि कोकिल विद्यापति , मंडन मिश्र, अयाची मिश्र या अन्य विद्वान, हमेशा ही इस धरती को गौरवान्वित किया है. हमारा इतिहास स्वर्णिम है. हमें अपने प्रयास से इस इतिहास को निरंतर कायम रखना होगा. यह एक चुनौती भी है. उक्त बातें रिटायर्ड डीआइजी डा. चंद्रशेखर दास ने कही है. श्री दास शुक्रवार को प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे. श्री दास ने कहा कि किसी भी समाज या प्रांत को विकसित करने, समाज को आगे लाने में शिक्षा सबसे अहम माना जाता रहा है.
यह न सिर्फ बिहार के विकास के लिये बल्कि पूरे विश्व के विकास की सबसे सशक्त माध्यम भी माना जाता है. पर बीते कुछ सालों में इसके व्यवसायीकरण ने संवेदनशील लोगों को निराश किया है. यह बात सही है कि वर्तमान युग प्रतिस्पर्द्धा का है. इसके लिये आधुनिक शिक्षा जरूरी भी है. पर इस आड़ में शिक्षा व्यवस्था का ह्रास नहीं होना चाहिए.
रिटायर्ड डीआइजी ने कहा, शिक्षा का व्यवसायीकरण चिंता का विषय
प्रभात खबर कार्यालय में परिचर्चा आयोजित
कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत, किसानों की आय भी बढ़ेगी
बिहार का गौरव लौटाने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना होगा. शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए बहुआयामी शिक्षा पद्धति लागू करने की जरूरत है. बिहार में कृषि आधारित उद्योग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, प्रति व्यक्ति आय में इजाफा होगा और लोगों के जीवनस्तर में सुधार होगा. किसानों की आय बढ़ाने में इस तरह के उद्योग मील का पत्थर साबित हो सकते हैं. इससे हम अपना गौरव हासिल कर सकते हैं.
डाॅ चंद्रशेखर दास
कृषि को बढ़ावा देने और नदियों के अस्तित्व को बचाने की जरूरत
हम अपने संस्कार के माध्यम से संस्कृति को बचा सकते हैं. इसके लिए दृढ़ संकल्प की जरूरत है. साथ ही सरकारी संसाधनों का उपयोग होना चाहिए. कृषि को बढ़ावा तथा नदियों के अस्तित्व को बचाकर हम समग्र विकास कर सकते है. बिहार में पानी की कमी नहीं है. हमें इस संसाधन का इस्तेमाल अच्छे से करना चाहिए. पानी की बदौलत हम खेती उत्पादन में नंबर वन बन सकते हैं. हमारी जमीन भी उपजाउ है. अपने गौरव को लौटाने के लिए इस पर काम करने की जरूरत है.
सतीश चंद्र मिश्र, (पूर्व जिप अध्यक्ष)

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