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जनता को सांसद से विकास की हैं अपेक्षाएं

दरभंगाः 16वां लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हो गया है. दरभंगा संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने भाजपा के उम्मीदवार कीर्ति झा आजाद को लगातार दूसरी बार (अबतक कुल तीन बार) अपना जनसमर्थन देकर सांसद चुना है. ऐसे में यहां की जनता को अपने सांसद से क्षेत्र के विकास की बड़ी अपेक्षाएं हैं. साथ ही लगातार कई […]

दरभंगाः 16वां लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हो गया है. दरभंगा संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने भाजपा के उम्मीदवार कीर्ति झा आजाद को लगातार दूसरी बार (अबतक कुल तीन बार) अपना जनसमर्थन देकर सांसद चुना है. ऐसे में यहां की जनता को अपने सांसद से क्षेत्र के विकास की बड़ी अपेक्षाएं हैं. साथ ही लगातार कई समस्याओं से जूझ रही यहां की जनता अपनी इन समस्याओं का निदान भी अपने सांसद से चाहते हैं. वर्तमान सांसद के सामने क्षेत्र के विकास की क्या चुनौतियां हैं. क्या निमA मुद्दे सांसद की प्राथमिकताओं में शामिल होंगे.

सिंचाई व्यवस्था बड़ी चुनौती

दरभंगा की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार खेती-बारी है. इसके लिए सही समय पर उपयुक्त सिंचाई की आवश्यकता होती है. पूरे जिले के राजकीय नलकूपों का कोई खास फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा. जिले में लगे लगभग 500 नलकूपों में से अधिकांश कब से बेकार पड़े हुए हैं. कई जगह बिजली आदि की सुविधा भी नहीं है. इन नलकूपों के एक चौथाई का भी फायदा किसानों को सिंचाई व्यवस्था के लिए नहीं मिल पा रहा. ऐसे में नलकूपों को दुरुस्त कराना और उसे चालू हालत में बनाये रखना किसानों की महत्वपूर्ण जरूरत है. नहर से सिंचाई की व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं है. कहने को तो लगभग दर्जन भर प्रखंडों में नहर से खेतों की सिंचाई की आधारभूत संरचना दिखायी देती है, लेकिन नहर में पानी के अभाव में इसका भी कोई लाभ किसानों को नहीं मिल पाता. यह हालत तब है जब जिले को प्राकृतिक उपहार के रूप में करीब दर्जन भर छोटी-बड़ी नदियां मिली हैं, लेकिन नहरों की मरम्मत नहीं होने और उसके गाद आदि की सफाई नहीं होने के कारण नहर बेजान पड़े हुए हैं.

पलायन रोकना

क्षेत्र में एक भी कल कारखाना नहीं होने के कारण यहां के युवाओं को रोजगार के लिए परदेस जाना पड़ता है. इससे जहां प्रतिभा पलायन की समस्या से क्षेत्र ग्रसित रहता है. वहीं समुचित आर्थिक विकास भी नहीं हो पाता. पूरे क्षेत्र में कल-कारखानों की स्थापना किया जाना विकास के लिए एक बड़ी चुनौती है. साथ ही इसके लिए आधारभूत संरचना का विकास, बिजली आपूर्ति की सुदृढ़ व्यवस्था, कार्यालयों में सिंगल विंडो सिस्टम, पूंजीपतियों को आकर्षित करने के लिए बेहतर उद्योग नीति की आवश्यकता आदि विकास के सामने प्रमुख समस्या हैं.

तकनीकी शिक्षण संस्थाओं की कमी

मिथिलांचल खासकर दरभंगा में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन स्तरीय तकनीकी शिक्षण संस्थानों के नहीं होने के कारण यहां के छात्रों को अध्ययन के लिए महानगरों का रुख करना पड़ता है. इससे यहां की प्रतिभा और पूंजी का प्रवाह भी बड़े शहरों के तरफ हो जाता है. महानगरों में अध्ययन करनेवाले छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद भी अपनी मातृभूमि की ओर नहीं लौट पाते और उनकी क्षमता व कौशल का इस्तेमाल स्थानीय स्तर पर नहीं हो पाता. इसका एकमात्र इलाज क्षेत्र में स्तरीय तकनीकी शिक्षण संस्थाओं की स्थापना है.

एजुकेशनल हब बने जिला

मानव संसाधन के रूप में इस क्षेत्र को अकूत प्रतिभा विद्यमान है. मिथिलांचल के शिक्षा के केंद्र के रूप में भी दरभंगा को शामिल किया जाता है. प्राचीन समय से ही यह क्षेत्र ज्ञान का क्षेत्र रहा है. यहां देश-विदेश के छात्र शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज यहां के छात्रों को स्तरीय कोचिंग लेने तक के लिए कोटा, पटना, दिल्ली आादि महानगरों का रुख करना पड़ता है. आइटी का भी कोई स्तरीय संस्थान इस क्षेत्र में नहीं है. यहां के शिक्षकों को भी अन्य जगहों पर जाकर अपना ज्ञान बांटना पड़ता है. अगर इस क्षेत्र को एक एजुकेशनल हब के रूप में विकसित करने की योजना बनायी जाये तो विकास की तीव्र गति आसानी से पायी जा सकती है.

अतिक्रमणमुक्त कराना

दरभंगा शहर का सौंदर्य यहां बहुसंख्या में पाये जाने वाले तालाब हैं. लेकिन लगातार अतिक्रमण व सही देखरेख के अभाव में ये महत्वपूर्ण तालाब दम तोड़ते जा रहे हैं. भू माफियाओं की नजर इनके अतिक्रमण पर

रहती है. इससे भूगर्भीय जल पर भी असर पड़ता है. शहर में पार्क आदि का निर्माण करना भी हमारे जनप्रतिनिधि के सामने एक चुनौती होगा.

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