लाइसेंस लिया नीरा बेचने का, पर बेच रहे ताड़ी
मधुबनी : नीरा के नाम पर ताड़ी बेचा जा रहा है. लोग उत्पाद विभाग में नीरा बेचने के लिए लाइसेंस लेने के लिये शपथ पत्र व घोषणा पत्र भरकर देते हैं. पर इस घोषणा पत्र व शपथ पत्र का कहीं भी किसी भी स्तर पर पालन नहीं किया जा रहा है. आलम यह है कि […]
मधुबनी : नीरा के नाम पर ताड़ी बेचा जा रहा है. लोग उत्पाद विभाग में नीरा बेचने के लिए लाइसेंस लेने के लिये शपथ पत्र व घोषणा पत्र भरकर देते हैं. पर इस घोषणा पत्र व शपथ पत्र का कहीं भी किसी भी स्तर पर पालन नहीं किया जा रहा है. आलम यह है कि शहर से लेकर गांव कस्बों तक नीरा के बदले खुलेआम सड़क किनारे तारी बेचे जा रहे हैं. शराब बंदी होने के बाद नीरा बेचने वाले समुदाय के लोगों के धंधे को कायम रखने के लिये सरकार ने नीरा दुकान का लाइसेंस देने की पहल शुरू की थी. इस पहल के तहत अब तक जिले भर में कुल 940 लोगों को लाईसेंस मिल गया है. पर कहीं भी नीरा नहीं बेचा जा रहा है. हर जगह शाम में ही तारी की दुकानें सजती है, पीने वालों की महफिल जमती है.
17-18 में निर्गत हुआ सबसे अधिक लाइसेंस . नीरा के लाइसेंस के लिये सबसे अधिक आवेदन साल 17- 18 में दिया गया. इस वित्तीय वर्ष में कुल 838 लोगों को लाइसेंस निर्गत कर दिया गया है. वहीं साल 2016 में 16-17 मे 16 लोगों को लाईसेंस निर्गत किया गया था. जबकि चालू 18-19 में 86 लोगों को लाइसेंस निर्गत किया गया है.
किसे मिलेगी अनुज्ञप्ति. नीरा के दुकान खोलने के दो नियम बनाए गए है. इसमें पहला है सरकारी भूमि पर स्थित ताड़ के पेंड़ का. वहीं दूसरा निजी भूमि पर स्थित ताड़ के पेड़ का. सरकारी भूमि पर स्थित ताड़ की दुकान का लाइसेंस संबंधित अंचल के अंचलाधिकारी निर्गत करेंगे. वहीं निजी भूमि पर ताड़ के पेड़ से ताड़ी निकालने के लिए लाइसेंस उत्पाद अधीक्षक के द्वारा निर्गत किया जाता है. नीरा की दुकान का लाइसेंस उसी व्यक्ति के नाम से निर्गत होगा जिसे ताड़ के पेड़ पर चढना आता होगा. नीजी जमीन के ताड़ के पेड़ के लिए भूमि के स्वामी एवं ताड़ के पेड़ पर चढने वाले व्यक्ति के बीच जमीन का इकरारनामा होना आवश्यक है. आवेदन के साथ उत्पाद विभाग में जमीन के इकरारनामा की कॉपी भी जमा करना होता है. उत्पाद अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि आवेदकों के आवेदन की भौतिक सत्यापन कर जांच की जाती है. जांच में सारे कागजात सही पाए जाने पर लाइसेंस निर्गत किया जाता है.
नीरा नहीं बिकती है ताड़ी .लोगों ने लाइसेंस तो नीरा का लिया पर कहीं भी नीरा नहीं बेचा जाता है. जानकारी के अनुसार सूर्योदय से पहले तार व खजूर के पेंड का जूस उतार कर उसे पीने या बेचने का लाईसेंस दिया गया था. इस समय में नीरा पीना सेहत के लिये फायदेमंद माना गया. पर हुआ ठीक इसका उल्टा. धंधे से जुड़े लोग दिन पर धूप में नीरा को पकाते हैं. जिसके बाद नीरा स्वत: अल्कोहलिक हो जाता है और उसके सेवन से नशा होता है. शाम में सड़कों के किनारे खुलेआम तारी बेचा जा रहा है.
मिलायी जाती है नशे की दवा.
ताड़ी बेचने वाले कई लोगों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि तारी से अधिक मुनाफा हो इसके लिये एक तो इसमें पानी मिलाया जाता है, दूसरा यह कि नशा बढाने के लिये तारी में नशा वाले कई प्रकार की दवायें मिलायी जाती है. जिससे लोग संबंधित दुकानों से अधिक तारी खरीदने को उत्सुक रहते हैं.
ताड़ी बेचने पर होगी कार्रवाई
इस बाबत उत्पाद अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया है कि ताड़ी बेचना गैर कानूनी है. इसकी जांच कर संबंधित दुकानदार पर कार्रवाई की जायेगी.
सूर्योदय से पहले तार व खजूर के पेड़ से ताड़ी उतार कर बेचने का मिलता है लाइसेंस
940 लोगों को मिला नीरा बेचने का लाइसेंस
नशे वाली दवा का हो रहा धड़ल्ले से उपयोग
सहमति पत्र व घोषणा पत्र भर कर देना होता है विभाग को