बस और इ- रिक्शा पर क्षमता से अिधक बैठाये जा रहे यात्री

मधुबनी : यात्रियों के जान के साथ हर दिन खिलवाड़ किया जा रहा. कब कहां किसके साथ दुर्घटना घट जाये कुछ कहा नहीं जा सकता. बात बड़े बस की हो या ऑटो की. हर जगह ओवरलोडिंग. हर वाहन खतरनाक तरीके से परिचालित हो रहा है. बस के छतों पर यात्री लटक कर यात्रा करते हैं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2018 3:54 AM

मधुबनी : यात्रियों के जान के साथ हर दिन खिलवाड़ किया जा रहा. कब कहां किसके साथ दुर्घटना घट जाये कुछ कहा नहीं जा सकता. बात बड़े बस की हो या ऑटो की. हर जगह ओवरलोडिंग. हर वाहन खतरनाक तरीके से परिचालित हो रहा है. बस के छतों पर यात्री लटक कर यात्रा करते हैं तो ऑटो में चालक के सीट पर दोनों ओर भी यात्रियों को बिठाया जाता है.

हर दिन करीब 125 बसों का होता है परिचालन
परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले से हर दिन करीब 125 से अधिक बस परिचालित होती है. इसमें लंबी दूरी की बस भी शामिल है. मधुबनी से पटना तक की दूरी छत पर बैठकर यात्रा करना आम बात है. बस संचालकों की मानें तो हर दिन इससे हजारों की आमदनी हो जाती है. बस के सीट के हिसाब से ही मालिक को पैसे दिया जाता है. पर सीट के अलावे छत पर बैठने पर यात्रियों से होने वाली आय चालक व कंडक्टर आपस में बांटते हैं. यही कारण है कि चालक व कंडक्टर धड़ल्ले से बस के छत पर यात्री को बिठाते हैं.
बस के पायदान पर यात्री
बाबूसाहेब चौक पर दो मिनट के लिए बड़ी बस रुकती है. कुछ यात्री चढ़ने वाले थे. महिला भी और पुरुष भी. महिला को किसी तरह ठूंस कर अंदर किया गया तो बिना कुछ कहे पुरुष यात्री पीछे से बने सीढी पर लटक गये. इसी दौरान बस चल पड़ी. चलती बस में पायदान पर व सवार यात्री बस के छत पर बैठता है. पहले से ही छत पर यात्री भरे हुए थे. उपर भी किसी तरह से यात्री अपना जगह बना पर रहा था.
बस की छत पर सवार थे दो दर्जन से अिधक यात्री
दिन के करीब 2 बज रहे थे. चभच्चा चौक से बसें आ जा रही थी.हर बस पर खचाखच यात्री भरे हुए थे. बस के अंदर की हर सीट फुल, गेट पर यात्री लटके थे. इसके साथ ही छतों पर भी करीब दो दर्जन से अधिक यात्री सवार थे. यात्री हंस रहे थे. बस चालक भी मस्ती में बस चला रहा था. पर यह हादसे को आमंत्रित किया जा रहा था.

Next Article

Exit mobile version