मधुबनी / बेनीपट्टी : अगर आपके गांव में आपके वृद्ध माता-पिता अकेले ही रहते हैं, तो सावधान हो जाएं. उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन देकर धोखाधड़ी की जा सकती है. बिना आपकी जानकारी और सूचना के आपके नाम पर लोन निकाले जा सकते हैं. ऐसा ही मामला मधुबनी जिले के बेनीपट्टी में सामने आया है. किसानों की कर्जमाफी और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर फर्जी तरीके से केसीसी खाते से लोने निकाले जा रहे हैं.
धोखाधड़ी के इस खेल में ऐसे लोगों के नाम पर किये जा रहे हैं, जो वर्षों से अपने गांव आये ही नहीं हैं और ना ही किसी तरह के कर्ज के लिए आवेदन दिया है. खास कर वैसे लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, जिसके घर में वृद्ध अकेले रहते हैं. उन्हें विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर फर्जी तरीके से आधार कार्ड की छायाप्रति, तस्वीर और आवेदन के लिए हस्ताक्षर ले लिये जाते हैं. अधिकारी और पैक्स अध्यक्ष ने मिलीभगत कर बेनीपट्टी प्रखंड में कई किसानों के नाम पर गलत तरीके से लोन उठा लिया है. फर्जी तरीके से केसीसी खाते का लोन निकाले जाने को लेकर दी रहिका सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की बेनीपट्टी शाखा के प्रबंधक अजय कुमार झा तथा मनपौर पैक्स अध्यक्ष ललन झा के खिलाफ बेनीपट्टी थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
जानकारी के मुताबिक, मनपौर गांव निवासी मिथिलेश झा, भगवतीपुर के चंद्रभूषण पांडेय, उसी गांव की रेखा देवी और अन्य के द्वारा जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में परिवाद दायर किया गया था. दायर परिवाद में आरोप लगाया गया था कि दी रहिका सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की बेनीपट्टी शाखा में इन लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से केसीसी खाता का संचालन किया जा रहा था, जबकि इन लोगों के द्वारा कभी भी उक्त खाते से लोन के लिए आवेदन नहीं किया गया है. जांच में आरोप सत्य पाया गया और दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने का आदेश जारी हुआ था.
इस बाबत पुलिस निरीक्षक सह एसएचओ हरेराम साह ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी गयी है. मामले का खुलासा मनपौर गांव के एक किसान के नाम पर गलत लोन को चुकता करने के बाद हुआ. आरोप है कि किसान ने लोन लिया ही नहीं. पर फर्जी तरीके से इनके नाम पर लोन स्वीकृत कर राशि निर्गत की गयी. जब किसान ने शिकायत की तो इनके लोन को शून्य किया गया.
मनपौर गांव के मिथिलेश झा झारखंड स्थित रांची में निजी कंपनी में नौकरी करते हैं. गांव जाने पर पता चला कि उनके पिता मोहितकांत झा से आधार कार्ड की छायाप्रति, उनकी तस्वीर और एक कागज पर उनके हस्ताक्षर लिये गये हैं. उन्होंने तहकीकात शुरू की. मिथिलेश झा को मालूम हुआ कि उनके नाम पर भी कर्ज उठाया गया है. उन्होंने कई बार सूचना का अधिकार के तहत सूचना मांगी, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. अंतत: उन्होंने बिहार लोक जनशिकायत केद्र में शिकायत दर्ज करायी. लोक जनशिकायत केंद्र ने बेनीपट्टी के बीसीइओ को पूरे मामले की जांच के आदेश दिये. जांच में पता चला कि उनके नाम पर लोन का उठाव किया गया है और उनके नाम से 50 हजार रुपये की फसल बीमा भी ली गयी है.
बीसीइओ ने जब सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की बेनीपट्टी शाखा से इस संबंध में जानकारी मांगी, तो हाथ से लिखा एक स्टेटमेंट दिया गया. इसमें शिकायत दर्ज होने के बाद मिथिलेश झा के खाते में राशि जमा करवाकर उसे बराबर कर दिया गया. जांच में मालूम हुआ कि मिथिलेश झा के नाम से जो हस्ताक्षर था, उसमें उनका नाम ही गलत था. इस हस्ताक्षर को पैक्स अध्यक्ष ललन झा ने अप्रूव किया था. मिथिलेश झा ने बताया कि उन्होंने कभी किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन किया ही नहीं है.
गांव आये नहीं, दे दिया लोन
सूत्रों के अनुसार, जिस आदमी ने सालों से गांव में कदम तक नहीं रखा, उनके नाम पर भी लोन उठा लिया गया है. मनपौर गांव में जिसके पास खेती लायक एक धूर जमीन नहीं है, उनके नाम पर भी लोन का उठाव किया गया है और 50-50 हजार रुपये तक का फसल बीमा भी कराया गया है. उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार, 97 लोगों की जमीन का रकबा समान है. इनके पास 0.7946598856 हेक्टेयर भूमि है. वहीं, 82 लोगों के पास 1.0595465141 हेक्टेयर, 48 लोगों के पास 1.1919898284 हेक्टेयर, 42 लोगों के पास 1.3244331426 हेक्टेयर और तीन लोगों के पास 0.9271031998 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसके एवज में इन्हें कर्ज दिया गया है.
गलती से हुआ था हस्ताक्षर : पैक्स अध्यक्ष
पैक्स अध्यक्ष ललन झा ने कहा कि जिससमय ऋण कागजात पर विभाग हस्ताक्षर कराता है, उससमय गलती से मिथिलेश झा के लोनवाले फार्म पर भी हस्ताक्षर कर दिया. साथ ही कहा कि पैक्स में गड़बड़ी नहीं हो, इस बात का पूरा ध्यान रखा जायेगा. इस मामले में सहकारिता पदाधिकारी वनोद ने आरबीआई की बैठक में शामिल होने की बात बताते हुए बाद में बात करने को कहा है.