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बीत गये 15 माह, नहीं टपका नल का पानी

नल जल योजना के चक्कर में खराब हो गया शहर का चापाकल भी गर्मी शुरू होते ही शहर में पेयजल संकट गहराया, भटक रहे राहगीर मधुबनी : गरमी शुरू होते ही शहर में पेयजल की किल्लत शुरू हो गयी है. शहर में नगर परिषद द्वारा लगाये गये आधा से अधिक चापाकल खराब पड़े हुए है. […]

नल जल योजना के चक्कर में खराब हो गया शहर का चापाकल भी

गर्मी शुरू होते ही शहर में पेयजल संकट गहराया, भटक रहे राहगीर

मधुबनी : गरमी शुरू होते ही शहर में पेयजल की किल्लत शुरू हो गयी है. शहर में नगर परिषद द्वारा लगाये गये आधा से अधिक चापाकल खराब पड़े हुए है. शहर में आने वाले लोगों के लिए भटकना पड़ रहा है. लोगों को बोतल बंद पानी या डब्बा के पानी का सहारा लेना पड़ता है. यह हालत उस समय है जब गरमी की शुरुआत ही हुई है.

पीएचईडी विभागीय अधिकारी बता रहे हैं कि अभी ही कई जगहों पर जलस्तर तीन से चार फुट तक नीचे चला गया है. आने वाले तीन चार महीनों में पेयजल संकट और गंभीर हो सकता है. गौरतलब हो कि शहर में नगर परिषद के 250 चापाकल लगे हुए हैं. उसमें आधे से अधिक बंद पड़े हुए है. दरअसल 2017 में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के अंतर्गत शहर में नल जल योजना की शुरुआत हुई थी.

पर आज तक शहर के घरों में नल का जल नहीं पहुंची है. जबकि एकरारनामा के अनुसार संवेदक को 9 माह में काम पूरा करना था. इधर नगर परिषद ने जनवरी 2018 के बाद चापाकल ठीक नहीं कराये गये है. जिसके कारण आधा से अधिक चापाकल खराब पड़े हुए है.

शहर में 250 चापाकल. नगर परिषद के द्वारा 250 चापाकल लगाये गये है. जिसमें मोटे एवं पतले दो तरह के पाइप वाला चापाकल लगे हैं. मोटे पाइप 4 इंच वाला समर सेबुल व पतले पाइप डेढ़ इंच वाला चापाकल लगा है. गरमी आते ही पानी का लेयर 2 से 3 फुट नीचे चले जाने से पतले पाइप वाला चापाकल पानी देना एकदम बंद कर देता है. वहीं मोटे पाईप वाला चापाकल को पानी का श्रोत रहता है. जिसमें से आधा से अधिक चापाकल बंद पड़े हुए हैं. बंद पड़े मोटे पाइप वाले चापाकल को ठीक कराना आवश्यक हो जाता है.

नौ माह में करना था काम . शहर में नल जल योजना फिसड्डी साबित हो गयी है. इस योजना में सरकार का करोड़ों रुपया लगने के बाद भी लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है. शहर के आधा से अधिक वार्ड में 2017 में ही नल जल योजना की निविदा निकाल कर कार्य प्रारंभ किया गया है. संवेदक के उदासीनता के कारण नल से जल नहीं निकला है.

जबकि एकरारनामा के अनुसार संवेदक को 9 माह में कार्य पूरा करना था. संवेदक के द्वारा किए गए कार्य की जांच की जाय तो कई खामियां सामने आ सकता है. कई जगह पाइप भी उखर गये है तो कई जगह नल टूट चुके हैं. बताया जा रहा है कि इस योजना में एकरारनामा का पालन भी नहीं हुआ है. संवेदक को काम पूरा करने के बाद ही भुगतान करना था, लेकिन काम पूरा किए बिना ही उसे आंशिक भुगतान कर दिया गया है.

हो रही परेशानी. अगर खराब पड़े चापाकल की मरम्मति होती या नल जल योजना की शुरूआत हो जाती तो लोगों को परेशानी नहीं होती. गरमी के कारण जल स्तर नीचे चले जाने से चापाकल बंद होने लगे हैं. शहर की 80 हजार आबादी के अलावा जिला मुख्यालय होने के कारण कार्यालय के काम से आने वाले सैकड़ों लोगों को पानी के लिए भटकना पर रहा है.

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