रमण कुमारमिश्र
मधुबनी : मिथलांचल हमेशा से प्रतिभा का धनी इलाका रहा है. यहांके एक गांव बोन टोल सिधप के तीन छात्रों ने मैट्रिक की परीक्षा सफलता की नयी मिसाल कायम की है. लेकिन, जिस विद्यालय केये छात्र हैं, वहां एक भी शिक्षक तक नहीं है. न तो प्रधानाध्यापक न शिक्षक. पर छात्र अपनी मेहनतके दम पर सूबे में स्थान लाते हैं.
हम बात कर रहे हैं नव उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिधप परसाही की. इस विद्यालय के छात्र राम कुमार सिंह ने 475 अंक लाकर सूबे में नौवां स्थान प्राप्त किया है, तो इसी विद्यालयके राम कुमार पासवान ने 469 अंक लाकर जिले में दूसरा व पवन कुमार सिंह ने जिले में पांचवां स्थान हासिल किया है. इस विद्यालय को 2014 में अपग्रेड किया गया. अपग्रेड करने के साथ ही इसमें नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हुई. छात्रों व अभिभावकों में स्वाभाविक तौर पर खुशी हुई. पर इसका क्या किया जाये कि आज तक सिर्फ नामांकन ही हो रहा है. साल दर साल पांच साल बीतते चले गये. पर आज तक इसमें एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं हुए. और तो और कामकाज को संभालने के लिए प्रधानाध्यापक तक की पदस्थापना नहीं की गयी.
प्रभारी प्रधानाध्यापक से काम किया जा रहा है. विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सुदामा कुमारी ही इस विद्यालय का काम संभाल रही हैं. सुदामा कुमारी बताती हैं कि बीते पांच साल से मैट्रिक के छात्र इस विद्यालय से परीक्षा दे रहे हैं. इनकी सफलता पर खुशी तो हो रही है, पर सच्चाई यह भी है कि हमारे पास संसाधन नहीं है. यदि शिक्षक होते और माहौल बेहतर होता, तो सफल होने वाले छात्रों की संख्या और अधिक होती.
कोचिंग के सहारे हो रही छात्रों की पढ़ाई
यहां के छात्र निजी कोचिंग व ट्यूशन या सेल्फ स्टडीज के सहारे अपनी पढ़ाई करते हैं. स्टेट टॉपर राम कुमार सिंह के साथ विद्यालयके अन्य दो टॉपरों ने भी अपनी सफलता का श्रेय अपने कोचिंग के शिक्षक को दिया है. छात्र बताते हैं कि स्कूल में पढ़ाई का इंतजाम नहीं है. स्कूल समन्वयक खुशी लालसाफी बताते हैं कि इस साल विद्यालयसेकुल 136 छात्र मैट्रिक परीक्षा में शामिल हुएथे. इसमें 58 छात्र व 78 छात्राएंशामिलहैं. जिला शिक्षा पदाधिकारीश्रीरामकुमार नेबतायाकि शिक्षकों की कमी के कारण जिले के कई विद्यालयों का हाल इसी प्रकार है. जहां पर भवन तोहै,पर आज तकअपग्रेडहोने के बाद भी शिक्षकोंकी नियुक्ति नहींकीजा सकी.