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शकील अहमद ने मधुबनी सीट से दाखिल किया नामांकन, कांग्रेस के प्रवक्ता पद से दे चुके है इस्तीफा

मधुबनी : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद ने बिहार की मधुबनी लोकसभा सीट से मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हुए अगले कुछ दिनों के भीतर पार्टी का चिह्न मिल जाने की आशा व्यक्त की. उन्होंने साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह "निर्दलीय" उम्मीदवार के […]

मधुबनी : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद ने बिहार की मधुबनी लोकसभा सीट से मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हुए अगले कुछ दिनों के भीतर पार्टी का चिह्न मिल जाने की आशा व्यक्त की. उन्होंने साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह "निर्दलीय" उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे.

कांग्रेस के प्रवक्ता के पद से सोमवार को इस्तीफा देने के बाद चुनावी मैदान में उतरे शकील ने अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद बताया कि उन्होंने अपना नामांकन पत्र दो सेटों में एक कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में और दूसरा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर दाखिल किया है. उन्होंने कहा, ‘मैं 18 अप्रैल तक इंतजार करूंगा. पार्टी नेतृत्व से अब तक मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया से मुझे भरोसा है कि मुझे पार्टी का चुनाव चिह्न आवंटित किया जायेगा. यदि ऐसा नहीं हुआ, तो मैं पार्टी उम्मीदवार के तौर पर जमा कियेगये कागजात वापस ले लूंगा, लेकिन फिर भी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ूंगा.’

शकील ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कांग्रेस के प्रवक्ता पद से इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि मधुबनी के विषय पर उनके बयान को पार्टी की राय के तौर पर न लिया जाये. उन्होंने कहा कि पार्टी नहीं छोड़ी है और न ही छोड़ने का आगे विचार है. कांग्रेस बिहार में विपक्षी महागठबंधन में शामिल है और सीट बंटवारे के तहत मधुबनी सीट महागठबंधन में शामिल वीआइपी पार्टी के खाते में गयी है और उसने बद्रीनाथ पूर्वे को अपना उम्मीदवार बनाया है.

शकील ने कहा “मैंने निर्णय पार्टी और महागठबंधन के हितों में लिया है. महागठबंधन की ओर से मैदान में उतारे गये उम्मीदवार के पास जीतने की क्षमता नहीं है और ऐसे में यह भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को यह सीट दे देने जैसा होगा.’ शकील के नामांकन के समय उनकी पार्टी से विधायक भावना झा और अमिता भूषण भी उपस्थित थे. शकील मधुबनी लोकसभा सीट से पहले दो सांसद चुने गये थे.

उल्लेखनीय है कि मिथिलांचल में पड़ने वाली एक अन्य लोकसभा सीट दरभंगा में भी महागठबंधन को ऐसी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. दरभंगा सीट राजद के खाते में गयी है और उसने पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी को अपना उम्मीदवार बनाया है, लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज इस ससंदीय क्षेत्र से पहले राजद के सांसद रहे मोहम्मद अली अशरफ फातमी ने बगावती तेवर अपनाते हुए आगामी 18 अप्रैल को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन करने की घोषणा कर दी है.

दरभंगा से सांसद रहे कीर्ति आजाद भाजपा छोड़ अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और उन्होंने इस सीट से टिकट मिलने की आस लगा रखी थी, लेकिन सीट बंटवारे के तहत यह सीट इस बार राजद के खाते में चले जाने पर उन्हें कांग्रेस ने पड़ोसी राज्य झारखंड के धनबाद से उम्मीदवार बनाया है.

बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेमचंद मिश्र ने कहा कि दरभंगा और मधुबनी सीट पर कांग्रेस को लड़ना चाहिए था, लेकिन गठबंधन धर्म की मजबूरी के तहत हमें यह सीटें नहीं मिल पायी. प्रेमचंद्र ने दावा किया कि शकील जी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. उनसे नामांकन वापस लेने और दोस्ताना लड़ाई पर जोर न देने के लिए समझाने की कोशिश की जा रही है.

उन्होंने कहा कि औरंगाबाद के पूर्व सांसद निखिल कुमार ने पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर काराकाट में दोस्ताना लड़ाई के लिए मैदान में उतरने की अनुमति देने का अनुरोध किया है. हमारे विधायक संजीव कुमार टुन्ना ने शिवहर से चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की है. इस बीच राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी ने अपनी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है.

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