अंगुली में स्याही नहीं, तो नहीं मिलेगा खाना
मधुबनी : सोमवार का दिन. सुबह से ही सूर्यदेव अपनी तेज धूप से दिन भर लोगों को झुलसा देने को तैयार थे. इस साल का सबसे गरम दिन. तापमान 41.2 डिग्री सेल्सियस. पर क्या मजाल कि इस चिलचिलाती धूप से मतदाता पीछे हट जायें. हर काम को छोड़कर मतदान किया. इस पर्व के उत्साह का […]
मधुबनी : सोमवार का दिन. सुबह से ही सूर्यदेव अपनी तेज धूप से दिन भर लोगों को झुलसा देने को तैयार थे. इस साल का सबसे गरम दिन. तापमान 41.2 डिग्री सेल्सियस. पर क्या मजाल कि इस चिलचिलाती धूप से मतदाता पीछे हट जायें. हर काम को छोड़कर मतदान किया. इस पर्व के उत्साह का हर ओर सकारात्मक पहल दिखा. कहीं से भी किसी प्रकार की मारपीट, हंगामा या अन्य घटना की कहीं कोइ सूचना नहीं है.
कंजर समुदाय की पहचान आम तौर पर शिकारमाही व खानाबदोश की ही रही है. पर सप्ता गांव में रहने वाले कंजरों ने सोमवार को जिस प्रकार से मतदान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया वह काबिले तारीफ थी. महिलाएं अपने छोटे छोटे बच्चों को लेकर हर काम को छोड़ कर बूथ पर अन्य मतदाता की तरह ही लाइन में लग गयी थी. सुबह में ही करीब एक सौ से अधिक कंजर महिला वोटर एवं सौ से अधिक पुरुष वोटर लाईन में लग गये थे. न शिकारमाही की चिंता न गांव घरों में घूमकर खाना मांगने की फिक्र. इस बस्ती के लोगों का मतदान केंद्र प्राथमिक विद्यालय कंजर बस्ती में बूथ संख्या 288 पर था.
कंजर महिला नेहा कंजर, मीना कंजर, सहित अन्य दर्जन भर महिला बताती है कि शिकार का जुगाड़ एक दिन पहले ही कर लिया था. आज न तो वे लोग शिकार करने या मांगने जायेंगी और न ही घर के किसी मर्द को शिकार के लिये जाने देगी. जब तक वोट नहीं गिरा देंगे तब तक खाना भी नहीं होगा. कोई काम नहीं होगा. इसके लिये आज भले ही भूखे रहना पड़े. बताती है कि देश के विकास के लिये जब हर कोइ लगा है तो वे लोग क्यो पीछे रहें. सालों से उनको मतदान से वंचित रखा गया था.
हम लोगों का कहीं कोई स्थायी ठिकाना नहीं था तो पहचान पत्र भी नहीं बनता था. अब मतदाता सूची में नाम है, वोटर कार्ड बन गया है. वहीं फौजी कंजर बताते हैं कि घर की महिलाओं ने सुबह में यह चेतावनी दे दी थी कि जब तक वोट गिरा कर नहीं जायेंगे और अंगुली में लगे स्याही नहीं दिखायेंगे तब तक खाना नहीं मिलेगा.