नहीं मिल रहा है पानी, औने पौने दाम में बेच दिये मवेशी

राजनगर (मधुबनी) : मधुबनी जिले में जल संकट गहरा गया है. शहर से लेकर गांवों तक के लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. लोग पीने के लिए का इंतजाम तो कर ले रहे हैं, लेकिन मवेशियों को नहाने व पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा. इसी कारण राजनगर थाना क्षेत्र के रामपट्टी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2019 4:52 AM

राजनगर (मधुबनी) : मधुबनी जिले में जल संकट गहरा गया है. शहर से लेकर गांवों तक के लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. लोग पीने के लिए का इंतजाम तो कर ले रहे हैं, लेकिन मवेशियों को नहाने व पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा. इसी कारण राजनगर थाना क्षेत्र के रामपट्टी गांव के तीन किसानों ने अपने मवेशी औने-पौने दाम पर बेच दिये.

रामपट्टी गंज टोल के किसान कल्लर यादव व इंद्र कुमार यादव ने बैल और महिनाथपुर के किसान चंदर यादव ने दुधारू भैंस सिर्फ इसलिए बेच दी कि इनको पिलाने के लिए पानी का इंतजाम नहीं हो पा रहा था. अगल-बगल के लोग खुद के पीने के लिए पानी तो दे रहे हैं, पर दिन भर में कम से कम 10 बाल्टी पानी मवेशी के चारा से पीने तक में खर्च हो रहे हैं, जिसका इंतजाम नहीं हो रहा था.
नहर व तालाब में पानी नहीं : रामपट्टी गांव होकर कमला नदी बहती है. पहले इसमें सालों भर पानी रहता था. लेकिन छह माह पहले यह नहर पूरी तरह सूख गयी है. गांव के बीच में एक मखनाही सरकारी तालाब है, यह भी सूख गया है. गांव के एक निजी तालाब से पानी लेने पर तालाब के मालिक ने पाबंदी लगा दी है. जिस कारण केवल चापाकल ही पानी के इंतजाम का विकल्प है.
नहीं बेचे, तो मर जायेंग मवेशी
इंद्र यादव ने बताया कि चापाकल से पानी नहीं निकल रहा. मवेशी है. उन्होंने बताया कि अपना बैल 11 हजार में बेचा है. इसकी कीमत 20 से 25 हजार थी. बीते साल तक बैल के लिए खरीदार आ रहे थे. कई खरीदारों ने 20 हजार तक कीमत लगायी थी, पर खेती करने का और कोई साधन नहीं था, सो बैल नहीं बेचे. पर जो हालात पानी को लेकर हो गया है. मवेशी दरवाजे पर मर जाये, इससे बेहतर है कि इसे बेच दें.
किसान का दर्द
कल्लर यादव के पास एक बैल था. दरवाजे पर लगे सरकारी चापाकल से पानी नहीं निकल रहा. बगल के घर से पानी ला रहे थे, जिससे खुद व मवेशी के लिए चारा व पीने का भी इंतजाम हो रहा था. लेकिन, बार-बार दूसरे के घर से पानी लाने में हो रही परेशानी से तंग आकर कल्लर यादव ने बैल को बेचने का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि जिस बैल का जनवरी-फरवरी में ग्राहक 13 हजार रुपये दे रहे थे, उसे इन्होंने 7500 में बेच दिया है.

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