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गबन के आरोपी शाखा प्रबंधक का निलंबन लिया वापस

मधुबनी : रहिका सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक में गबन के आरोपी बाबूबरही के शाखा प्रबंधक विकाश कुमार झा के निलंबन के आदेश को वापस ले लिया गया है. न सिर्फ आदेश को वापस ले लिया गया है बल्कि सहायक के पद पर पदस्थापित किये जाने की बाते भी सामने आ रही है. अधिकारी व अध्यक्ष सहित […]

मधुबनी : रहिका सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक में गबन के आरोपी बाबूबरही के शाखा प्रबंधक विकाश कुमार झा के निलंबन के आदेश को वापस ले लिया गया है. न सिर्फ आदेश को वापस ले लिया गया है बल्कि सहायक के पद पर पदस्थापित किये जाने की बाते भी सामने आ रही है. अधिकारी व अध्यक्ष सहित कर्मी का अपना अपना तर्क है.

हालांकि विकास झा पर गबन के आरोप को लेकर रजिस्ट्रार स्तर द्वारा जांच टीम का गठन कर दिया गया. इस टीम में जांच का दायरा विकास झा द्वारा केवल बाबूबरही में ही गबन के मामले की जांच नहीं होगी, बल्कि इनका पदस्थापन जहां-जहां किया गया है उस सभी बैंक में जांच की जायेगी. निलंबन को समाप्त करने का आदेश प्रबंध निदेशक के स्तर से किया गया है. जबकि इसे अभी बोर्ड के द्वारा सहमति मिलना बांकी है.

निलंबन के बाद फिर से लिया जा रहा है काम . कॉपरेटिव बैंक के बोर्ड के निर्देशानुसार श्री झा को फिर से 8 फरवरी 2019 के बोर्ड की बैठक में काम पर वापस ले लिया गया है. बोर्ड की बैठक में जो निर्णय लिया गया, उसमें लिखा है कि बैंकिंग सेवा में इस तरह की घपला करना बैंकिंग सेवा के लिये बेहतर नहीं है. लेकिन इनकी नियुक्ति महज चार साल पूर्व हुई है. इसी वजह से इनकी पहली गलती को देखते हुए इन्हें माफ कर आगे ऐसा काम नहीं करने की हिदायत देकर काम पर रखने का निर्णय लिया गया है.
क्या है मामला : शाखा प्रबंधक विकास कुमार झा पर आरोप है कि इन्होंने प्रधान शाखा से कैश रेमिटेंस की राशि 18 लाख लेकर अपने निजी काम में इस्तेमाल किया. श्री झा द्वारा इस बीच पीएनबी शाखा बाबूबरही से 5 विभिन्न तिथियों में 22 लाख रुपये निकाला गया. लेकिन उक्त राशि को उसी दिन बैंक शाखा में जमा नहीं कर उसके बाद जमा करने का मामला भी लगा था. श्री झा पर जब इस तरह की मामला की जांच की गयी तो पाया गया कि बाकी की राशि तो उनके द्वारा विभिन्न तिथियों में जमा कर दिया गया.
लेकिन 18 लाख राशि जो प्रधान कार्यालय से लिया गया था. उसको जमा नहीं किया गया. बोर्ड द्वारा निर्णय लिये गये निर्णय के आलोक में उक्त राशि पर 2 लाख 6 हजार रुपये सूद लेकर रकम जमा कराने के बाद श्री झा को निलंबित कर दिया गया था. जिसे समाप्त कर दिया गया है.

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