रेलवे स्टेशन पर नो पार्किंग जोन में वाहन खड़ा करने से यात्री परेशान
मधुबनी :रेलवे स्टेशन परिसर की हालात दिन व दिन बदतर होती जा रही है. पूरा स्टेशन परिसर अतिक्रमणकारियों की चपेट में है. जिससे स्टेशन पर आने-जाने वाले यात्रियों व उनके परिजनों को आये दिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन स्टेशन प्रबंधन यात्रियों को इन समस्याओं से निजात दिलाने में पूरी तरह विफल […]
मधुबनी :रेलवे स्टेशन परिसर की हालात दिन व दिन बदतर होती जा रही है. पूरा स्टेशन परिसर अतिक्रमणकारियों की चपेट में है. जिससे स्टेशन पर आने-जाने वाले यात्रियों व उनके परिजनों को आये दिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन स्टेशन प्रबंधन यात्रियों को इन समस्याओं से निजात दिलाने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है.
आलम यह है कि रेल प्रशासन व जिला प्रशासन द्वारा तय नो पार्किंग जोन में भी वाहन मालिकों द्वारा अपने वाहन को पार्क कर दिया जाता है. स्टेशन के मुख्य सड़क पर जहां 5 रिक्शा व ऑटो से हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है.
वहीं, स्टेशन परिसर के प्रवेश द्वार पर भी हमेशा जमा लगा रहता है. फिर भी रेल प्रशासन कारवाई नहीं कर रही है. स्टेशन पर तैनात आरपीएफ व जीआरपी इस सबका ठिकड़ा एक दूसरे पर फोड़ते है. आरपीएफ इसे जीआरपी की जिम्मेवारी बताती है तो जीआरपी आरपीएफ का.
परिसर में हैं दो वाहन स्टैंड
स्टेशन परिसर के दोनों मुख्य प्रवेश द्वार पर दो पहिया व चार पहिया वाहन स्टैंड संचालित है. परिसर के दक्षिणी प्रवेश द्वार पर दो पहिया एवं उत्तरी द्वार पर चार पहिया वाहन स्टैंड है. फिर भी कई ऑटो व बाइक स्टैंड में नहीं बल्कि यात्रियों के स्टेशन से निकलने वाले रास्ते व नो पार्किंग जोन में लगा दिया जाता है. जबकि रेल प्रशासन व जिला प्रशासन द्वारा कई जगहों पर नो पार्किंग जोन का बोर्ड भी लगा हुआ है.
परिसर के प्लेटफाॅर्म पर भी है कब्जा : स्टेशन परिसर में यात्रियों के बैठने व आराम करने के लिए बनाये गये प्लेटफार्म पर भी अतिक्रमणकारियों का कब्जा है. इस प्लेटफार्म पर कई प्रकार के समान बेचने वालों द्वारा सुबह से शाम तक लगाया जाता है. जिसमें भूजा बेचने वाले, नाई, फल बेचने वाले व मोची शामिल है. ऐसे में यात्री या तो खड़े रहते हैं या फिर वहीं किसी तरह बैठकर अपनी गाड़ी का इंतजार करते है. जीआरपी थाना जयनगर के थानाध्यक्ष द्वारा कभी कभी नो पार्किंग जोन में खड़े वाहन मालिक से दंड के रूप में कुछ चार्ज लिया जाता है. लेकिन दूसरे दिन फिर वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है.