हकीकत से दूर ओडीएफ के दावे, खुले में शौच जाते हैं लोग

मधुबनी : भले ही स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर को ओडीएफ घोषित कर दिया गया हो, लेकिन सैकड़ों लोग अभी भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. शहर में 1500 परिवार के पास शौचालय नहीं है. वे खुले में शौच जाते है. ऐसे में शहर में स्वच्छ भारत मिशन की कामयाबी संबंधी दावे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2020 12:06 AM

मधुबनी : भले ही स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर को ओडीएफ घोषित कर दिया गया हो, लेकिन सैकड़ों लोग अभी भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. शहर में 1500 परिवार के पास शौचालय नहीं है. वे खुले में शौच जाते है. ऐसे में शहर में स्वच्छ भारत मिशन की कामयाबी संबंधी दावे की कलई खोल रही है. 2 अक्तूबर 2018 को शहर को औपचारिक रूप से ओडीएफ घोषित कर दिया गया था.

2016 में शहर में सर्वे के दौरान पाया गया कि 10 हजार 9 सौ 98 परिवारों को शौचालय की जरूरत है. इसमें संशोधन कर 7 हजार 64 व्यक्तियों को शौचालय निर्माण के लिए दो किस्तों में 12 हजार की राशि देनी थी. पर 15 सौ लोगों को दूसरी किस्त की राशि अभी तक नहीं मिला है.

सवाल यह है कि 2018 में शहर ओडीएफ के समय इन्हें दूसरी किस्त नहीं मिली. मुख्य पार्षद सुनैना देवी ने भी शहर को ओडीएफ करने के लिए 26 जून 2018 को अपनी सहमति प्रदान कर दी थी. इसके लिए सभी पार्षदों से एनओसी ली गयी थी. 30 वार्ड पार्षदों में से 5 पार्षदों ने अब तक एनओसी नहीं दी है. इस पर कई पार्षदों ने आपत्ति भी दर्ज करायी थी. बताया जा रहा है कि नप कार्यालय द्वारा पार्षद के बदले कोई कर्मी हस्ताक्षर कर सरकार को रिपोर्ट भेज दी. जिसकी जांच चल रही है.

थर्ड पार्टी से हुई थी जांच. 26 जून 2018 को मुख्य पार्षद ने सरकार को दिये गये घोषणा पत्र में कहा था कि सभी पार्षद व आम लोगों से आपत्ति दर्ज करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया था. आपत्ति को अंतिम रूप देकर ओडीएफ घोषित किया गया. इसके लिए थर्ड पार्टी से जांच भी कराया गयी थी.

शीघ्र मिलेगी किस्त

नप के नगर प्रबंधक नीरज कुमार झा ने कहा कि कुछ लोगों को तकनीकी कारण से शौचालय निर्माण की राशि नहीं मिली है. शीघ्र ही राशि का भुगतान किया जाएगा.

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