वैध पैथ लैब भी नहीं करते मानक को पूरा
मधुबनी : उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने जांच घरों की जांच शुरू कर दी है. न्यायालय द्वारा लैब मानकों के हिसाब से जांच की प्रक्रिया पूरा करना है. जिले में 60 पैथ लैब की सूची जारी की गयी है. जिसमें से मात्र 10 पैथ लैब को ही मानक के अनुरूप पाया […]
मधुबनी : उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने जांच घरों की जांच शुरू कर दी है. न्यायालय द्वारा लैब मानकों के हिसाब से जांच की प्रक्रिया पूरा करना है. जिले में 60 पैथ लैब की सूची जारी की गयी है. जिसमें से मात्र 10 पैथ लैब को ही मानक के अनुरूप पाया है. जबकि 50 लैब अवैध माना गया है. जो लैब के मानक को पूरा नहीं करते है.
गाइडलाइन के मुताबिक एक ही पैथ लैब में हर तरह की जांच नहीं की जा सकती है. ब्लड प्रोफाइल से लेकर टिश्यू तक सभी तरह की जांच एक ही लैब में नहीं की ला सकती है. सरकार ने अब लाइसेंस के समय ही इसे बांटते हुए बेसिक, मीडियम और एडवांस स्टेज में सभी प्रकार की जांचों को रखा है. जांच केन्द्रों को हर तरह की जांच करने की इजाजत नहीं है. रजिस्ट्रेशन कैटेगरी के हिसाब से गाइडलाईन भी तैयार की गयी है.
सवालों के घेरे में महकमा : स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन द्वारा जांच की खानापूरी करने के बाद जैसे ही वैध व अवैध पैथ लैब की सूची की जारी की गयी है, सवाल उठने लगे हैं. जिन पैथ लैब को अवैध घोषित कर दिया गया है उन लोगों का कहना है कि हमारा पैथ लैब हर स्तर से उन वैध लैब से बेहतर व अधिक मानक को पूरा करता है. यहां हम किसी भी पैथ लैब का नाम नहीं छाप रहे. पर गुरुवार को हमने कई जगहों पर इसको लेकर पड़ताल की. जिसमें यह बात सामने आयी कि जिन पैथ लैब को वैध किया गया है उनमें से कई, तो किसी भी हाल में मानक को पूरा नहीं करता है.
ये हैं बेसिक पैथ के मानक : भारत सरकार के गजट के मुताबिक गाइडलाइन तैयार किया गया है. इसके लिये तीन कमरा होना जरूरी है. जिसमें एक कमरा डाक्टर के बैठने , एक कमरा मरीज के बैठने के लिये तथा एक कमरा लैब के लिये होना चाहिए. इसके अलावा बायोवेस्टेज फायर सेप्टी, पॉल्यूसन कंट्रोल सर्टिफिकेट, दो टेक्नीशियन सहित अन्य सुविधा का होना जरूरी है. वहीं लैब के आगे डाक्टर तथा टेक्नीशियन का नाम प्रदर्शित करना है.
जिले में ऐसे कम ही जांच घर है जो गाइडलाइन के मुताबिक मानक को पूरा करते हैं. जिन 10 को प्रशासन ने वैध माना है वे भी मानक पूरा नहीं करते हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन के रिन्यूअल में भी देरी लगाया जा रहा है. कुछ पैथ संचालकों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि छह माह पहले रिन्यूअल कलिये कार्यालय में कागजात जमा किया. पर विभाग उदासीन बना हुआ है.