सदर अस्पताल में बनेगा शवगृह

मधुबनीः सदर अस्पताल में शीत शवगृह बनेगा. इसके निर्माण,मशीन व अन्य उपकरणों पर 82 लाख रुपये खर्च होंगे. इसमें शवों को कई दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इससे जहां फोरेंसिक जांच में मदद मिलेगी वहीं अप्राकृतिक मौत के मामलों के अनुसंधान में भी सहायता मिलेगी. सरकार ने इसके लिये हरी झंडी प्रदान कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:56 PM

मधुबनीः सदर अस्पताल में शीत शवगृह बनेगा. इसके निर्माण,मशीन व अन्य उपकरणों पर 82 लाख रुपये खर्च होंगे. इसमें शवों को कई दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इससे जहां फोरेंसिक जांच में मदद मिलेगी वहीं अप्राकृतिक मौत के मामलों के अनुसंधान में भी सहायता मिलेगी. सरकार ने इसके लिये हरी झंडी प्रदान कर दी है. स्वास्थ्य विभाग की प्रशासनिक स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा.

कौन-कौन सी होंगी सुविधाएं
82 लाख की लागत वाली इस मचरुअरी या शवगृह में खास तरह की एक्स-रे मशीन होगी जो आंतरिक जख्म का बिना चीर फाड़ के पता लगा लेगी. इसमें मेटल डिटेक्टर भी होगा जो शव के अंदर के बुलेट की पहचान करेगी. वीडियो रिकॉर्डिग व कैमरे भी इस मोचरुअरी में लगेंगे. इसमें एयर कंडीशन मशीन व डीप फ्रीजर भी रहेंगे. जेन्ेारेटर सेट भी शवगृह के लिये उपलब्ध कराये जायेंगे. शवगृह में इनसिनेरेटर भी होगा. यह अवशिष्ट पदार्थो को जलाता है.

डीएनए रहेगा प्रिजर्व
इस मोचरुअरी में एक साथ चार शवों को रखा जायेगा. विसरा व अज्ञात शवों की पहचान करने के लिये खास रूम बनेंगे. डीएनए भी प्रिजर्व रहेगा. मौत की जांच का पता लगाने में यह अहम भूमिका निभायेगी. इसके अंतर्गत वैज्ञानिक विधि से मौत की कारणों का पता लगाया जायेगा. अगर कोई गवाह नहीं है तो फिर भी शवगृह में रखा शव अपनी पहचान में मददगार साबित होगा. अपराध के अनुसंधान में भी यह मदद करेगी.

बनेगा हिस्टोपैथोलोजी लैब
इस मोचरुअरी के खुलने से डॉक्टरों व पुलिस को काफी मदद मिलेगी. मोचरुअरी में ऐसे कमरे होंगे जहां डॉक्टर व पुलिस मिलकर मामले पर चर्चा करेंगे. बायोमेडिकल साक्ष्य अनुसंधान व जांच के काम में आयेगा.हिस्टोपैथोलोजी लैब को भी शवगृह में विकसित किया जायेगा

काफी संख्या में होता है पोस्टमॉर्टम
सदर अस्पताल के पोस्टमॉर्टम रूम में अभी काफी पोस्टमार्टम होता है. लगभग प्रतिदिन शवों के पोस्टमार्टम का सिलसिला जारी रहता है. औसतन प्रतिदिन एक या दो पोस्टमार्टम होता है. किसी किसी दिन एक से अधिक पोस्टमार्टम भी होता है. पर यहां लंबे समय तक शवों को रखने की व्यवस्था नहीं है. आधुनिक उपकरणों व मशीनों का अभाव है.

कभी कभी इस कारण जांच व अनुसंधान में काफी परेशानी होती है. पहले यह पोस्टमार्टम रूम एलआइसी कार्यालय के समीप सड़क किनारे था. लोगों के भारी विरोध के कारण इस पोस्टमार्टम गृह को वहां से हटाकर इसका निर्माण सदर अस्पताल में कराया गया. सिविल सजर्न डॉ सुधीर कुमार सिन्हा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद आगे की कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि जिले में यह अपने तरह का पहला शवगृह होगा.

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