आलू की फसल पर झुलसा रोग का खतरा

मधुबनी. ठंड बढ़ने ने न सिर्फ आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है. बल्कि फसलों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. सबसे अधिक प्रभाव आलू, टमाटर, मीर्च व तेलहन फसल पर पड़ रहा है. तापमान में गिरावट होते ही आलू टमाटर में झुलसा रोग तेजी से फैल रहा है. किसानों की जरा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2014 8:54 AM
मधुबनी. ठंड बढ़ने ने न सिर्फ आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है. बल्कि फसलों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. सबसे अधिक प्रभाव आलू, टमाटर, मीर्च व तेलहन फसल पर पड़ रहा है. तापमान में गिरावट होते ही आलू टमाटर में झुलसा रोग तेजी से फैल रहा है. किसानों की जरा सी लापरवाही न सिर्फ किसानों की मेहनत बरबाद कर सकती है बल्कि हजारों की लागत भी समाप्त हो सकती है.
ऐसे करें बचाव
आलू-टमाटर को झुलसा से बचाने के लिए परंपरागत तरीके के साथ समय-समय पर रासायनिक दवा का छिड़काव व नियमित देखभाल भी आवश्यक है. जिला कृषि परामर्शी रंधीर भारद्वाज एवं एसएस रब्वानी ने किसानों को कई सुझाव दिये हैं. झुलसा के प्रकोप से आलू व टमाटर को बचाने के लिए भैकोजेब एवं मेटालाक्सिल अथवा कार्वेडाजील एवं भकोजेब का दो गाम दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर एक सप्ताह के अंतराल छिड़काव करने की सलाह दी है. कृषि परामर्शी ने किसानों से झुलसा लगे खेत में सिंचाई नहीं करने एवं जिस फसल में झुलसा का प्रकोप नहीं हुआ है और खेत में नमी नहीं है उसमें हल्की सिंचाई करने की सलाह दी है.
झुलसा रोग के लक्षण
कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि झुलसा एक फफुंद जनित रोग है. प्रभाव होने पर पत्तियां किनारे से सूखने लगती है. गहरे भूरे रंग का धब्वा पत्तियों पर बन जाता है. यह धीरे-धीरे पूरे खेत फैल जाता है. विशेषज्ञों ने बताया हैं कि जिस में झुलसा लग जाता है उसमें बचाव नहीं करने पर 50 से 60 फीसदी उपज कम हो जाती है.

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