जिले की 32 नदिंया सूखी, तालाबों की स्थिति भी खराब
अब तो नाम मात्र को ये नदियां व तालाब रह गयी है. न तो कमला, बलान, कोसी में पानी की गीत सुनाई देती है न जीवछ व भूतही बलान की पानी से किसान अपने खेतों की सिंचाई कर पाते हैं. आज कमला, बलान खुद पानी को तरस रही हैं.
मधुबनी. मिथिला का जब भी वर्णन होता है यहां के कोसी, कमला, बलान सहित अन्य नदियों के कल कल करते पानी, मछली, पान, मखान का वर्णन जरुर होता है. पर जिस कमला बलान नदी के कल – कल करते पानी को देख कर गीतकार व साहित्यकारों ने अपनी रचना की थी, आज परिदृश्य पूरी तरह से बदल चुका है. अब तो नाम मात्र को ये नदियां व तालाब रह गयी है. न तो कमला, बलान, कोसी में पानी की गीत सुनाई देती है न जीवछ व भूतही बलान की पानी से किसान अपने खेतों की सिंचाई कर पाते हैं. आज कमला, बलान खुद पानी को तरस रही हैं. भूतही बलान नदी में दूर – दूर तक रेत ही रेत नजर आ रहे जो गीतकारों व साहित्यकारों की रचना की मानो हंसी उड़ा रही है. अन्य छोटी मोटी नदियों के बीच धारा इन दिनों युवाओं व बच्चों के खेल के मैदान के रुप में काम आ रहा है. नदियों में पानी की बूंद तक नजर नहीं आ रही. साल दर साल स्थिति खराब हो रही है.
नदियों में उड़ रहा धूल व गुबार
आपदा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले के विभिन्न भागों में छोटी बड़ी कुल 32 नदियां अब भी अस्तित्व में हैं. बीते कुछ साल पहले तक ये नदियां ही किसानों के सिंचाई, पशुओं के पीने व नहाने के लिये एक मात्र मुख्य जरिया था. पर वर्तमान में इन 32 नदियों में अधिकांश नदियों में दूर दूर तक पानी की बूंद तक नजर नहीं आ रही. बाढ़ के दौरान मिट्टी कटाव से बने मोइन तक सूखे पड़े हैं. नदियां गाद व बालू से पटा है. जिसमें अब धूल व गुबार उड़ रहे हैं.* हरलाखी : जमुनी
* बिस्फी : धौंस, धनुषी, अधवारा
* रहिका : जीवछ
* पंडौल : कमला
* कलुआही : जीवछ * खजौली : कमला, बलान, धौरी, सुगरबे* राजनगर : कमला
* बाबूबरही : कमला, बलान, सुगरबे, झांखी * बासोपट्टी : बछराजा* जयनगर : बछराजा, गौरी, कमला
* लदनियां : त्रिशुला, गागन, गौरी * झंझारपुर : कमला, बलान * लखनौर : कमला, बलान, गेहुमा, सुपेन * मधेपुर : कोसी, गेहुमा, बाथी, कमला* अंधराठाढ़ी : कमला, बलान, सुगरबे
* फुलपरास : भूतही, बलान, गेहुमा, कनकनियां
* खुटौना : सुगरबे, भूतही, बलान, बिहुल * घोघरडीहा : भूतही बलान* लौकही : तिलयुगा, पांची, घोरहद, बिहुल, खड़ग