मधुबनीः खादी पर प्लास्टिक तिरंगा हावी रहा. बाजार में इसकी जबरदस्त मांग रही. कम कीमत एवं चटकीले रंग के कारण लोगों ने इसकी खरीदारी भी की. इस खरीद और बिक्री में अवाम यह भूल गये कि जो खादी स्वतंत्रता आंदोलन का जड़ रहा. दरअसल मधुबनी खादी देश स्तर पर प्रसिद्ध रहा है. इसकी क्वालिटी हर जगह मशहूर रहा है. स्वराज के प्रयोग पर निर्भर रहा है.
लेकिन आधुनिकता की दौर में हम अपने इस मौलिक सिद्धांत व उद्देश्य को दरकिनार कर दिया है. आईपीएम के चीफ एक्सक्यूटिव बीएन झा ने बताया कि खादी अपने पारंपरिक व लघु उद्योग की उपेक्षा अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाल रहा है. आत्मनिर्भरता के लिये हमें स्वराज व स्वदेशी के मूल मंत्र को अपनाना ही होगा.
बहरहाल, खादी भंडार उद्योग में इस वर्ष काफी कम कारोबार हुआ एवं बाजार में भी खादी की कम खपत हुई. झंडोत्तोलन के लिए कपड़े बनाने वालों ने भी अपनी खादी को दरकिनार रखा.