काठमांडू में रह रहे भारतीयों से नहीं हो रही बात, परिजन परेशान
सहरघाट : भूकंप से बार-बार आ रहे तबाही से काठमांडू में रह रहे भारतीय लोगों से दूरभाष पर संपर्क नहीं होने के कारण उन परिवारों के परिजनों में चिंता बढ़ गयी है. बार-बार प्रयास करने के बावजूद भी मधवापुर प्रखंड क्षेत्र के उतरा गांव निवासी संतोष कुमार कर्ण, अर्चना कर्ण, श्रेया कर्ण व सिद्धी कर्ण […]
सहरघाट : भूकंप से बार-बार आ रहे तबाही से काठमांडू में रह रहे भारतीय लोगों से दूरभाष पर संपर्क नहीं होने के कारण उन परिवारों के परिजनों में चिंता बढ़ गयी है. बार-बार प्रयास करने के बावजूद भी मधवापुर प्रखंड क्षेत्र के उतरा गांव निवासी संतोष कुमार कर्ण, अर्चना कर्ण, श्रेया कर्ण व सिद्धी कर्ण समेत कई परिवारों के अपने परिजनों से बातचीत नहीं हो पा रही है.
जो लगभग पिछले 10 वर्षों से नेपाल की राजधानी काठमांडू में रहकर अपना जीवन यापन करते है. वहीं, मधवापुर निवासी रामबालक महतो, कृष्णा महतो, व राजेश कुमार महतो समेत दर्जनों अन्य कई वर्षों से काठमांडू रहकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे. मुखियापट्टी के नारायण साह काठमांडू में रह रही अपनी बहन और भांजे से बात नहीं हो पाने के वजह से बेहद ही परेशान और चिंतित हैं. इसी तरह कई और परिवार हैं जो बात नहीं होने से मुश्किल के दौड़ से गुजर रहे हैं.
जबकि नेपाल में रह रहे भारतीयों का हाल जानने के लिए 27 अप्रैल तक भारत सरकार द्वारा लगातार मोबाइल दर सस्ती होने की बात बतायी जा रही है, पर संपर्क ही नहीं हो पा रहा है तो हाल चाल कैसे जाना जा सकता? बता दें कि पिछले 48 घंटों से अधिक समय से नेपाल की राजधानी काठमांडू में बिजली सेवा पूरी तरह बाधित है. शनिवार से अब तक भूकंप के कई झटके महसूस किये जा चुके हैं और सर्वाधिक खतरनाक स्थिति काठमांडू का है.
बताते चलें कि नेपाल में मरने वाले की संख्या जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, वैसे ही प्रवासी भारतीयों के परिजनों के बीच दिल की धड़कनें भी बढ़ती जा रही है.
दूसरे तरफ भूकंप के झटकों के बाद नेपाल के काठमांडू सहित अन्य हिस्सों में रह रहे भारतीय लोगों की सलामती के लिए भारतीय सीमा क्षेत्र में तरह-तरह के टोटके और पूजा पाठ किये जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. बड़ी संख्या में लोग अपने लोगों की रक्षा के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते नजर आ रहे हैं.
यातायात पर भी है असर
मधुबनी : भूकंप का असर बस, मैक्सी, रेलवे यातायात पर भी पड़ा है. अन्य दिनों की अपेक्षा यात्री कम सफर कर रहे हैं. वैसे पिछले दो दिनों के मुकाबले मधुबनी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है.
आमतौर पर प्रतिदिन यहां 3500 के करीब यात्री टिकट खरीद सफर करते हैं, लेकिन पिछले दो तीन दिनों में औसतन 2300 की ही टिकट की बिक्री हो रही है. गंगासागर एक्सप्रेस में भी यात्रियों की थोड़ी कमी देखी जा रही है. आरक्षण पर्यवेक्षक एके दास ने बताया कि रविवार को विभिन्न जगहों पर जाने के लिये 49 आरक्षित टिकट काटे गये. इनमें यात्रियों की संख्या 67 हैं.
शहर के स्टेशन चौक पर मैक्सी व टेंपो से भी यात्र करने वालों की कमी देखी जा रही है. कई वाहन चालक पिछले दो दिनों से वाहन भी सड़क पर नहीं चला रहे हैं. वाहनों में अन्य दिनों के मुकाबले यात्रियों की कमी देखी जा रही है. मैक्सी चला रहे दीपक कुमार मिश्र ने बताया कि यात्रियों की संख्या में कमी हो गयी हैं.
औसतन प्रतिदिन 900 रुपये कमाते थे फिलहाल 400 रुपये ही आमदनी हो रही है. यही हाल कमोबेश अन्य चालकों का भी है.
किसी ने कार में तो किसी ने गार्डेन में गुजारी रात
मधुबनी :रविवार की रात बेचैनी की रात थी. हर कोई अपनी जान बचाने की जुगार में था. दो व तीन मंजिले वाले शहरवासी खुले आसमान के नीचे मैदान में आम लोगों के साथ रात बिताने को बेबस नजर आये. भूकंप ने अमीरी व गरीबी की सभी सीमाओं को मिटा दिया था. किसी को न अपने बहुमंजिली इमारत की परवाह थी न स्वर्णाभूषणों की रक्षा की. अपने गोदरेज व आलमीरा की परवाह न करते हुए सभी को बस जान सलामत रखने की तमन्ना थी. शहर में रहने वाले लोगों ने रविवार की रात कैसे गुजारी, पेश है उनसे हुई बातचीत का ब्योरा.
बस, जान बचाने की थी इच्छा
टाउन क्लब फील्ड जो शहर के वार्ड नंबर 17 में है. वहां मुलाकात हुई युवक गुड्डू कुमार से. बातचीत से लगा कि उनकी रात कुछ अलग अंदाज में ही बीती. अपने बहुमंजिली इमारत को छोड़ उन्होंने भूकंप के डर से कार में ही रात बिताने की ठानी.
अपने बच्चों के साथ उन्होंने टाउन क्लब मैदान में कार पार्क कर उन्होंने रात बितायी. वहीं, इसी मोहल्ले के सोनू कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने गार्डेन में बेड लगाकर रात बितायी. मोहल्ले में हर कोई भयभीत नजर आया. किसी ने कार में रात बितायी तो किसी ने गार्डेन में बिछावन लगाकर. किसी को न अपने मकान की परवाह थी न संपत्ति की. बस एक ही इच्छा थी कि किसी तरह से जान बच जाये.
मैदान बना सहारा
टाउन क्लब मैदान कई लोगों के लिए रात बिताने का सहारा बना. खासकर महिलाओं के लिए यह राहत का केंद्र बना रहा. न सिर पर छत गिरने का डर न मौत का खौफ. चैन की नींद लोगों ने मैदान में ली.
दुर्गा पाठ बना सहारा
शहर के क्रिकेटर चुन्नू मिश्र भूकंप के महाप्रलय से बचने के लिए दुर्गा पाठ करते रहे. वे सड़कों पर लोगों को सुरक्षित रहने की सलाह दे रहे थे. शहर के लोगों का कहना था कि उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसा प्रलयंकारी भूकंप नहीं देखा था. चुन्नू मिश्र ने कहा कि जब आदमी की सारी ताकत, सोच समाप्त हो जाती है. तो ऐसी स्थिति में मां भगवती ही लोगों के जीवन की रक्षा करती हैं.
टेंट में रहे लोग
वार्ड नंबर-17 में जगह-जगह लोगों ने टेंट के नीचे रात गुजारी. आपसी मदभेदों को भुलाकर सभी एक मंच पर आये व एक साथरात बितायी.
भोज से भागे लोग
वार्ड नंबर-17 में शादी का भोज आयोजित था. जब लोग भोज खाने लगे उसी समय धरती हिल उठी. लोगों ने भोज खाना छोड़ अपनी जान बचायी. भूकंप के डर से कई जगहों पर शादी विवाह का रिसेप्शन समाप्त करना पड़ा. रात को कोई भी रिस्क लेने को तैयार नहीं था.
मूवी देख गुजारी रात
कई लोगों ने मोबाइल पर मेमोरी कार्ड व इंटरनेट के सहारे फिल्म देखकर रात गुजारी. राजा कुमार ने बताया कि उन्होंने सोशल साइट, फेसबुक, व्हाट्स एप पर मित्रों व परिजनों से रात भर हालचाल जानते रहे. वहीं कुछ युवकों ने टेलीविजन देखकर रात गुजारी.
नहीं निकले घर से
शहर के वार्ड नंबर-17 में लगभग 80 साल के एक वृद्ध ने जिन्होंने अपना नाम छापने से मना किया ने बताया कि वे रात भर अपने घर में रहे. उनका कहना था कि वे मौत से नहीं डरते.
भूकंप में उनका घर हिलता रहा, लेकिन वे बाहर नहीं निकले. उनकी साहस व जज्बे को देख लोग हैरान थे. किसी ने कहा कि बूढ़े होने के कारण वे घर से बार-बार निकलने की हिम्मत नहीं की.