पानी साफ करने में बर्वाद हो गया 50 लाख लीटर पानी
नल जल योजना के बोरिंग से साफ पानी नहीं निकलने के कारण पुराना वार्ड नंबर 30 में लोगों को पेयजल उपलब्ध नहीं हो रहा है. सैकड़ों परिवार इस गर्मी में पानी के लिए भटक रहे हैं.
मधुबनी. नल जल योजना के बोरिंग से साफ पानी नहीं निकलने के कारण पुराना वार्ड नंबर 30 में लोगों को पेयजल उपलब्ध नहीं हो रहा है. सैकड़ों परिवार इस गर्मी में पानी के लिए भटक रहे हैं. स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है. दरअसल, वार्ड नंबर 30 में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नल जल योजना जनवरी माह में हुई थी. लेकिन बोरिंग लगने के बाद आज तक इससे साफ पानी नहीं निकल पाया. इस बात को लेकर नल जल योजना के संवेदक तथा स्थानीय नागरिक अमित कुमार दोनों की ओर से प्राथमिकी तक मामला पहुंच गया. इसके बाद इसकी जांच का सिलसिला जारी है. स्थानीय लोगों द्वारा साफ पानी नहीं मिलने के कारण नगर निगम में शिकायत की गई. नगर निगम प्रशासन की ओर से जांच कमेटी गठित कर योजना की जांच की जा रही है. मंगलवार को नगर निगम के सिटी मैनेजर राजमणि गुप्ता सहित पीएचईडी के सहायक अभियंता गौरव कुमार सहित, बुडको के कनीय अभियंता सुनील कुमार मौजूद रहे .
क्या है मामला
वार्ड नंबर 30 में जनवरी में ही नल-जल योजना के तहत बोरिंग का कार्य किया गया था. लेकिन पानी गंदा निकलने के कारण स्थानीय लोगों के लिए यह अनुपयोगी साबित हो रहा था. इस बात की शिकायत स्थानीय पार्षद की ओर से नगर निगम को की गयी. वहीं नगर निगम को शिकायत की जाने के बाद भी समस्या समाधान नहीं हुआ. इस बीच लंबे समय तक आवेदक सहित कई अन्य संबंधित विभागों के बीच पत्राचार का खेल चलता रहा. इसी बीच आवेदक की ओर से उच्चाधिकारियों को भी शिकायत की गई. उक्त समस्या के समाधान के लिए बोरिंग व उसके पानी के जांच का निर्णय लिया गया. इसी निर्णय के आलोक में मंगलवार को विधिवत रुप से इस प्रकिया के तहत करीब 6 घंटे तक कंप्रेशर मशीन के सहारे पानी साफ किए जाने का कार्रवाई किया जाता रहा.
कई बार पानी साफ किए जाने का हो चुका है प्रयास
स्थानीय नागरिक बिंदे यादव, लाल बाबू यादव, रामनाथ यादव, कमलेश यादव सहित अन्य ने बताया कि आज जो प्रकिया की जा रही है पूर्व में भी कई बार यह कार्य संवेदक की ओर से किया गया है. कुछ समय लगातार बोरिंग को चलाए जाने के बाद पानी साफ प्रतीत होने लगता है. लेकिन फिर जब इसे बंद करके दोबारा चलाया जाता है तो स्थिति पूर्व की तरह ही होता है. पानी पूरी तरह से मटमैला रहता है. यह पानी किसी भी कार्य के लिए उपयोगी प्रतीत नहीं होता है.मंगलवार को पानी को साफ किए जाने के लिए कंप्रेशर मशीन का भी सहारा लिया गया. लेकिन कई घंटे तक बोरिंग चलाए जाने के बाद भी स्थिति में किसी प्रकार का सुधार नहीं हो सका. हालांकि कार्य के दौरान मौजूद संवेदक सहित अन्य की ओर से पानी साफ होने की प्रतीक्षा किया जा रहा था. साथ ही पीएचईडी की ओर से पानी जांच के लिए नमूना भी ले जाया गया.
क्या कहते हैं अधिकारी सिटी मैनजर राजमणि कुमार ने बताया कि पीएचईडी के अभियंता के निगरानी में जांच चल रही है. पानी का सैंपल लिया गया है. इसके जांच के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है