बात शुरू होते ही कट जाती है काल
मधुबनी : जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बीएसएनएल की सेवा चरमरा गयी है. बीएसएनएल की ब्रॉड बांड सेवा, मोबाइल, 3जी एवं 2जी सेवा की प्रभावित है. स्थिति यह है कि बात करते करते कब नेटवर्क धोखा दे देगा, इसका कोई ठिकाना नहीं रहता. आलम यह है कि बीएसएनएल नेटवर्क के उपभोक्ता अब दूसरे नेटवर्क […]
मधुबनी : जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बीएसएनएल की सेवा चरमरा गयी है. बीएसएनएल की ब्रॉड बांड सेवा, मोबाइल, 3जी एवं 2जी सेवा की प्रभावित है. स्थिति यह है कि बात करते करते कब नेटवर्क धोखा दे देगा, इसका कोई ठिकाना नहीं रहता. आलम यह है कि बीएसएनएल नेटवर्क के उपभोक्ता अब दूसरे नेटवर्क का इस्तेमाल करने को मजबूर हो रहे हैं.
जिले में बीएसएनएल उपभोक्ता इन दिनों कॉल ड्राप के कारण सही ढंग से मोबाइल पर बात नहीं कर पाते हैं. मोबाइल पर बात शुरू होते ही कॉल ड्राप हो जाता है. फिर बार-बार कॉल करने पर भी मोबाइल का कनेक्शन नहीं लगता है. इस संबंध में बीएसएनएल के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के बीटीएस टावर का रख रखाव सही ढंग से नहीं होने से यह समस्या उत्पन्न हो रही है. साथ ही टावर का रेंज सही ढंग से नहीं होने के कारण भी यह समस्या हो रही है. दूसरी बात हाई ट्रैफिक एरिया में टावर की कमी के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो रहा है.
2जी व 3जी सेवा बदहाल
मोबाइल की 2जी एवं 3जी उपभोक्ताओं को इंटरनेट कनेक्शन में दिक्कत आ रही है. लगभग तीन माह से यह सेवा पूरी तरह ठप है. मुख्य समस्या बीटीएस टावरों का कार्य न करना. ज्ञात हो कि जिले में 2जी के 103 टावर हैं जबकि 3जी के 10 टावर तो लगे हैं, लेकिन यह कार्य नहीं करता है. बीएसएनएल में कार्यरत कर्मी भी दबी जुबान में यह स्वीकार करते हैं कि विभाग की ओर से रख रखाव के लिए सामान मुहैया नहीं करवाया जा रहा है.
प्रति माह हो रहा लाखों का घाटा
किसी समय सोने की चिड़िया कहे जाने वाले इस विभाग की हालात इन दिनों यह है कि यह प्रतिमाह लाखों रुपये का घाटा का सौदा बन चुका है. जानकारी के अनुसार मधुबनी बीएसएनएल कार्यालय को प्रतिमाह 20 से 25 लाख तक का घाटा हो रहा है. जबकि वर्ष 2011-12 तक यह विभाग लाभ में चल रहा था.
ब्रॉडबैंड की स्पीड सुस्त
जिले में बीएसएनएल के ब्रॉड बैंड की स्थिति दयनीय है ट्राइ के नियमानुसार ब्रॉड बैंड की स्पीड 512 केबीपीएस होनी चाहिए जबकि जिला में ब्रॉडबैंड की स्पीड 95-96 पर है. अब कल्पना की जा सकती है कि ब्रॉड बैंड की क्या स्थिति जिले में हैं.
लैंडलाइन की संख्या हुई कम
बीएसएनएल के उपभोक्ताओं ने बड़ी संख्या में अपना लैंडलाइन अपने घरों से कटवा लिया है. इसका मुख्य कारण विभाग की उदासीनता के कारण खराब होने लैंडलाइन को सही कराने के लिए उपभोक्ताओं को कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता था. एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 2006-07 तक जिले में 29 हजार लैंड लाइन के उपभोक्ता थे जो अब घटकर पांच हजार हो गया है. इनमें से अधिकतर सरकारी कार्यालयों में लगे नंबर ही हैं.