भूकंप ने किया और कमजोर

जर्जर भवन में चल रहे हैं सरकारी कार्यालय मधुबनी : शहर के कई सरकारी कार्यालयों के पुराने व जर्जर भवन में चलने के कारण दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. हाल में आये भूकंप ने इन भवनों को और भी कमजोर बना दिया है. इससे कभी भी हादसा हो सकता है. इन जर्जर भवनों ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2015 12:14 AM
जर्जर भवन में चल रहे हैं सरकारी कार्यालय
मधुबनी : शहर के कई सरकारी कार्यालयों के पुराने व जर्जर भवन में चलने के कारण दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. हाल में आये भूकंप ने इन भवनों को और भी कमजोर बना दिया है. इससे कभी भी हादसा हो सकता है.
इन जर्जर भवनों ने सरकारी कर्मियों की नींद उड़ा दी है. पुराने भवनों में सरकारी कार्यालय चलने से कर्मी दहशत में हैं. जिला सहकारिता कार्यालय, एसएफसी कार्यालय, लघु सिंचाई व जल संसाधन कार्यालय पुराने व जर्जर भवन में चल रहे हैं. कर्मी डरे सहमे रहते हैं. ये भवन कभी भी धराशायी हो सकते हैं.
डीपीओ स्थापना कार्यालय 100 साल पुराने भवन में चल रहा है. बरसात में छत से पानी रिसता है. पहले इसमें नगर परिषद कार्यालय चलता था, जो अब नये भवन में चला गया. पर डीपीओ स्थापना कार्यालय 100 साल पुराने कार्यालय में चल रहा है. कर्मी दहशत में रहते हैं. अधिकारी कभी कभार ही कार्यालय में बैठते हैं. इस कार्यालय में आने वाले शिक्षक भी इस कार्यालय में आने से डरते हैं.
वीरान हुआ नगर भवन
भूकंप के कारण जिला प्रशासन ने नगर भवन के उपयोग पर रोक लगा दी है पर इसी भवन से सटे जिला परिवहन कार्यालय चल रहा है. यहां लाइसेंस लेने वालों की भीड़ लगी रहती है. पर दुर्घटना की आशंका से वे डरे सहमे रहते हैं. इसी भवन के दो मंजिले भवन में चल रहा सर्वशिक्षा अभियान कार्यालय के कर्मी डरे सहमे रहते हैं.
दर्जनों स्कूल भवन कमजोर
शहर में दर्जनों स्कूल भवन कमजोर हैं जिससे छात्रों पर खतरा मंडराता रहता है. सूड़ी हाई स्कूल का भवन,वाटसन स्कूल का छात्रवास,स्टेशन रोड स्थित प्राथमिक विद्यालय,गदियानी मिडिल स्कूल काफी कमजोर भवन में चल रहा है. गदियानी में छात्रों व शिक्षक शिक्षिकाओं में दहशत की स्थिति है.
क्या कहते हैं डीएम
जिला पदाधिकारी गिरिवर दयाल सिंह का कहना है कि नगर भवन में किसी तरह के कार्यक्रम के आयोजन पर रोक लगा दी गयी है. सभी विभागों के संबंधित अधिकारियों को सुरक्षा के संबंध में आवश्यक आदेश जारी कर दिये गये हैं.

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