Madhubani News जिले में 5532 टीबी के मरीज किये गये चिह्नित

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक टीबी जैसी संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है. इस संबंध में शनिवार को एएनएम सभागार में मासिक समीक्षा बैठक की गयी.

By Prabhat Khabar News Desk | October 5, 2024 10:39 PM

Madhubani News मधुबनी. प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक टीबी जैसी संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है. इस संबंध में शनिवार को एएनएम सभागार में मासिक समीक्षा बैठक की गयी. बैठक में सीडीओ डॉ. जीएम ठाकुर ने कहा कि सरकार के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग टीबी मरीजों की लगातार पर्यवेक्षण व निगरानी कर रहा है. उन्होंने कहा कि जिले में जनवरी से सितंबर 2024 तक टीबी के 6262 मरीज चिन्हित हुए हैं. जिसमें प्राइवेट स्वास्थ्य संस्थान के 3963 व सरकारी संस्थान के 2299 मरीज शामिल हैं. वहीं अगस्त माह में टीबी के 736 मरीज चिन्हित हुए हैं. जिसमें सरकारी संस्थान में 372, प्राइवेट में 348 व एमडीआर के 16 मरीजों की पहचान की गई है. एमडीआर के मरीजों का उपचार 9 माह से 2 साल तक चलता है. उन्होंने कहा कि राज्य के निर्देशानुसार प्रति 1000 पॉपुलेशन पर 30 लोगों की टीबी की स्क्रीनिंग करना है. जिले के 16 प्रखंड में ट्रूनट मशीन से टीबी की जांच हो रही है. जिले में टीबी मरीजों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण अधिकतर मरीजों द्वारा बीच में ही इलाज एवं नियमित रूप से दवा का सेवन करना छोड़ देना है. इसके लिए विभाग द्वारा निक्षय मित्र योजना की शुरूआत की गई है. इस योजना के तहत मरीजों को गोद लिया जाता है. इसके लिए सरकार और विभाग अपने स्तर से पूरी तरह प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि सभी एसटीएस एवं एसटीएलएल को टीबी मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने के लिए विशेष रणनीति के तहत कार्य करने का निर्देश दिया गया है.

सरकारी अस्पताल में ही कराएं अपने टीबी का इलाज

डीपीसी पंकज कुमार ने बताया कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी इलाज से लेकर जांच तक की व्यवस्था बिल्कुल निःशुल्क है. दवा के साथ टीबी के मरीज को पौष्टिक आहार के लिए प्रतिमाह सहायता राशि भी दी जाती है. बावजूद कुछ लोग इलाज कराने के लिए बड़े-बड़े निजी अस्पतालों या फिर बड़े शहर की ओर रुख कर जाते हैं. हालांकि फिर वहां से निराश होकर संबंधित जिले के सरकारी अस्पतालों की शरण में ही आना पड़ता है. टीबी की जानकारी होने पर सबसे पहले नजदीकी सरकारी अस्पताल जाकर जांच कराना चाहिए. जिले में अब टीबी के इलाज के साथ मुकम्मल निगरानी और अनुश्रवण की व्यवस्था की जाती है. सीडीओ डॉ. जीएम ठाकुर ने कहा कि टीबी संक्रमण दर को कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा टीबी नोटिफिकेशन करने की जरूरत है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने टीबी नोटिफिकेशन टारगेट को 90 प्रतिशत करने का निर्देश दिया है. डॉ. ठाकुर ने बताया कि विभाग द्वारा प्रत्येक माह 800 मरीज, ( 1 वर्ष में कुल 9600 का नोटिफिकेशन करने का लक्ष्य रखा गया है. राज्य निर्देशानुसार 100000 की आबादी पर 3000 टीबी के संदिग्ध मरीजों की जांच की जानी है. जांच बिल्कुल नि:शुल्क है. मालूम हो कि पंचायत प्रतिनिधि अपने पंचायत में आशा के माध्यम से डोर टू डोर जाकर संदिग्ध टीबी मरीजों को चिन्हित कर रहे हैं जिले में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों एवं समूहों पर खास ध्यान रखा जा रहा है. अगर किसी पंचायत के गांव में कोई संदिग्ध व्यक्ति अपना स्पुटम देने से इंकार करता है तो संबंधित पंचायत के मुखिया द्वारा आशा के सहयोग से उन्हें समझाकर स्पुटम लिया जाता है. एक प्रखंड के सभी पंचायत टीबी मुक्त होने से ही टीबी मुक्त प्रखंड का स्वप्न साकार हो सकता है.

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