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सपना ही रह गया स्टेडियम का नर्मिाण

सपना ही रह गया स्टेडियम का निर्माण लदनियां : विकास के दिशा में जिला भले ही आगे बढ़ गया हो, रोज नयी-नयी योजनाएं संचालित की जा रही हो लेकिन आज भी प्रखंड मुख्यालय बाजार समेत कई गावों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल सकी हैै. इन सड़कों की स्थिति जर्जर है. किसानों के हित में कोई […]

सपना ही रह गया स्टेडियम का निर्माण

लदनियां : विकास के दिशा में जिला भले ही आगे बढ़ गया हो, रोज नयी-नयी योजनाएं संचालित की जा रही हो लेकिन आज भी प्रखंड मुख्यालय बाजार समेत कई गावों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल सकी हैै.

इन सड़कों की स्थिति जर्जर है. किसानों के हित में कोई ठोस पहल नहीं की जा सकी है. पांच साल पहले स्टेडियम के निर्माण की स्वीकृति मिली तो युवाओं में उम्मीद जगी कि शायद उन्हें अब खेलने का उचित अवसर मिल सकेगा. इससे वे इस क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं. पर यह धरातल पर नहीं उतर सका.

दरअसल इन समस्याओं के निदान के दिशा में किसी जनप्रतिनिधि ने कभी कोई पहल ही नहीं किया. आज फिर एक बार चुनावी सरगरमी तेज हो गयी है. नेताओं के आने का सिलसिला भी बढ़ रही है. वायदों की झड़ी लग रहे हैं.

पर इस बार जनता इन नेताओं से सवाल करने के मूड में हैं. प्रभात पड़ताल में लदनियां प्रखंड से सटे गांव व क्षेत्र की समस्या पांच साल बाद भी अधूरा है खाजेडीह का स्टेडियमफोटो: 11, परिचय: स्टेडियम निर्माण का लगा शिलापट्टयुवा एवं संस्कृति विभाग बिहार सरकार द्वारा स्वीकृत स्टेडियम का निर्माण पांच वर्ष सात महीने बीत जाने के बाद भी नहीं हो सका है.

खाजेडीह स्थित उच्चविद्यालय परिसर में अनियमितताओं के बीच 2 मार्च 2010 को प्रारंभ इस स्टेडियम का शिलान्यास तत्कालीन विधायक कपिलदेव कामत ने किया था. 29. 14 लाख की लागत पर इसकी आधी-अधूरी दीवार खड़ी कर निर्माण कार्य बंद कर संवेदक चले गये . देखते ही देखते दीवारें ढहने लगीं.

लोगों के मन में स्टेडियम के नाम पर छायी खुशी पांच साल में ही निराशा में तब्दील हो चुकी है. जनहित को देखते हुए उच्चविद्यालय खाजेडीह प्रबंधन ने स्टेडियम के लिए चार एकड़ जमीन भी मुहैया करा दी थी. स्टेडियम के कारण विद्यालय की शोभा बढ़ा रहे एक विशालकाय आम के पेड़ को जहां काटना पड़ा था ,

वहीं पेय जल के लिए स्थापित स्टेट बोरिंग से भी लोगों को हाथ धोना पड़ा. लोगों की शिकायत पर विभाग ने फिर स्टीमेट का रिवाइज कर चार वर्षों के बाद कार्य प्रारंभ कराया संवेदक ने पूरब की दीवार को तोड़कर आधी गैलरी बनायी ,

इसके बाद पुन: काम को बंद कर दिया. रामकुमार यादव, रमण कुमार चौधरी , रंजीत यादव , ललन कुमार चौधरी समेत कई लोगों ने बताया कि नेताआंे को इन समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है. यदि समाज में विकास की चिंता होती तो आज पांच साल में इस स्टेडियम का निर्माण हो गया होता.

घाटे की खेती के कारण बिगड़ी किसानों की माली हालतफोटो: 12, परिचय: बंद पड़े राजकीय नलकूपलदनियां जिले के अन्य प्रखंडों की तरह लदनियां के किसानों की हालत भी खराब है. सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं है. राजकीय नलकूप बंद पड़े हैं. जिस कारण इस बार खरीफ फसल प्रभावित है. सिंचाई के अभाव में धान जलने लगे हैं. खेतों में दरारें पड़ गयी हैं.

बारिश की प्रत्याशा में निजी सिंचाई साधन के बल पर रोपनी कर चुके किसानों की माली हालत बिगड़ चुकी है. सरकारी सिंचाई साधन के नाम पर मुनहरा एवं त्रिशूला नदी पर बने बाराज से नहरों को पानी नहीं मिल सका है. लघु सिंचाई विभाग द्वारा त्रिशूला नदी के किनारे लगे 21 लिफ्ट बोरिंग बिजली के अभाव में ठप पड़े हैं.

प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गावों में लगे 14 स्टेट बारिंगों में से अधिकांश बिजली के अभाव में बंद पड़े हैं. पर क्या मजाल की कोई भी जनप्रतिनिधि इसके निदान की पहल की हो. यह समस्या आज की नहीं है, वर्षों से है. विगत पांच साल पहले चुनाव के दौरान लोगों को इन बंद पड़े नलकूप को चालू करने का आश्वासन तो दिया गया.

पर दुबारा नेताजी ही गांव से नदारद. समस्या का निदान नहीं हुआ. लगातार घाटे में चल रही खेती से मुंह मोड़ चुके बेलाही गांव का एक किसान दिनेश कुमार बताते हैं कि खाद, बीज एवं मंहगी सिंचाई के कारण उत्पादित अनाजों के मूल्य एवं लागत मूल्य बराबर हो जाते हैं . पैक्सों में दिये गये धानों का भुगतान अभी तक नहीं हो सका है.

विगत वर्ष डीजल अनुदान के वितरण में भारी अनियमितता बरती गयी. इस वर्ष अभी तक डीजल अनुदान नहीं मिल सका है. किसानों की शिकायत कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है. कृषि सामग्रियों पर दी जा रही सब्सिडी का लाभ एजेंसियों को प्राप्त हो रहा है. यह इस साल नेताओं के दौड़े पर भारी पड़ेगा.

बुरा है लदनियां की सड़कों का हालफोटो : 13, परिचय: बेलाही की सड़क से गुजरते लोगलदनियां एक वर्ष पूर्व स्वीकृत प्रखंड की बेलाही- सहोड़वा प्रधानमंत्री सड़क पर अभी तक प्रथम चरण का कार्य भी लंबित है. इनके निर्माण में अनदेखी की जा रही है. प्रमुख लिंक सड़क होने के कारण यह सड़क व्यस्त है.

सुबह से शाम तक लोगों की आवाजाही लगी रहती है. पर इस सड़क से जाने वाले लोगों को इस सड़क के नाम से ही रोना आता है. यही हाल प्रखंड के कई सड़कों का है. स्थानीय बाजार से प्रखंड सह अंचल कार्यालय जाने वाली दोनों सड़कों की दशा खराब है, जबकि दो वर्ष पूर्व इसकी राशि का उठाव संवेदक की ओर से किया जा चुका है.

चार वर्ष पूर्व बनी खोजा वाया लदनियां-बाबूवरही प्रधानमंत्री सड़क पर गिधवास गांव में अभी भी एक फुट पानी है. महथा में इस सड़क के संवेदक के घर के निकट सड़क पूरी तरह खराब हो चुकी है. पुराना बाजार पथराही की सड़क पर पानी रहने के कारण लागों को तीन किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय कर टेघड़ा चौक होकर जाना पड़ता है.

पानी के जमावड़े के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी प्रकार कई अन्य ग्रामीण सड़कों का भी हाल बुरा है. विष्णुदेव भंडारी, रामकुमार यादव बताते हैं कि यदि इस क्षेत्र में कभी नेताजी आते तो लोगों की इस समस्या को समझते. पर यह इस क्षेत्र के लोगों के लिये आज अभिशाप बन चुका है. नेता वोट के दौरान विकास के वायदे कर वोट लेते हैं पर वोट लेने के बाद विकास करना तो दूर दर्शन तक भी नहीं देते .

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