Madhubani News. 6 फीसदी बच्चे हैं कुपोषित, 90 फीसदी बच्चे पोषण युक्त भोजन से वंचित
जिला के बच्चों को पोषणयुक्त भोजन नहीं मिल पा रहा है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार 6 से 23 माह के कुल बच्चों की संख्या का महज 10.9 फीसदी बच्चों को ही उम्र के हिसाब से पर्याप्त पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध हो पाता है.
Madhubani News. मधुबनी. जिला के बच्चों को पोषणयुक्त भोजन नहीं मिल पा रहा है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार 6 से 23 माह के कुल बच्चों की संख्या का महज 10.9 फीसदी बच्चों को ही उम्र के हिसाब से पर्याप्त पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध हो पाता है. इसमें शहरी क्षेत्र के 9.2 तथा ग्रामीण क्षेत्र के 1.7 बच्चे है. कुपोषित बच्चों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने की स्वास्थ्य विभाग की योजना कागज पर ही सिमट कर रह चुका है. बच्चों के लिये बनाये गये पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चे को रखा ही नहीं जा रहा. हालात यह है कि 2024-25 के पहले तिमाही में अब तक 120 बच्चों के विरुद्ध 18 बच्चों को ही भर्ती कराया जा सका. जो लक्ष्य का 15 प्रतिशत है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार जिले में 6 प्रतिशत बच्चे अति गंभीर कुपोषण से ग्रसित हो सकते हैं. इसमें लगभग 10 प्रतिशत बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर पुनर्वास की व्यवस्था की जा सकती है. जिले के पोषण पुनर्वास केंद्र में वित्तीय वर्ष 2022-23 तक 480 बच्चों को भर्ती करने का वार्षिक लक्ष्य था. इसके विरुद्ध मात्र 38 बच्चों को भर्ती कराया जा सका. जो लक्ष्य का 8 प्रतिशत है. वर्ष 2023-24 में 480 बच्चों के विरुद्ध मात्र 73 बच्चों को भर्ती कराया गया. जो लक्ष्य का 15 प्रतिशत रहा. 6 फीसदी बच्चे हैं कुपोषित एनएफएचएस 5(2019-20) के आंकड़े के अनुसार कुपोषित बच्चों की संख्या 6 प्रतिशत है. जिले में 0-5 वर्ष तक के बच्चों की अनुमानित संख्या 7 लाख 77 हजार 859 है. जिसमें अनुमानित अति गंभीर कुपोषित 5 वर्ष तक के बच्चों की संख्या 46 हजार 552 है. इसमें 10 प्रतिशत 4655 अति गंभीर कुपोषित बच्चे चिकित्सकीय जटिलताओं में शामिल हैं. ऐसे बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भेजकर उसे बेहतर गुणवत्तापूर्ण सेवा उपलब्ध कराया जाना है. अति गंभीर कुपोषित बच्चों को दी जाती है गुणवत्तापूर्ण सेवा कुपोषित बच्चों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा एवं कुपोषण मुक्त करने के लिए अनुमंडलीय अस्पताल जयनगर में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किया जा रहा है. बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या है. यह शारीरिक मानसिक विकास के साथ ही मृत्यु दर को भी प्रभावित करता है. इसके समय से प्रबंधन से शिशु मृत्यु को रोकने में मदद मिल सकती है. राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी शिशु स्वास्थ्य डा. विजय प्रकाश ने कहा कि समीक्षा के क्रम में पाया गया कि जिले में प्रतिवर्ष 20 प्रतिशत से भी कम बच्चों को भर्ती कराया गया जो चिंता का विषय है. डा. राय ने पोषण पुनर्वास केंद्र में अति गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या को बढ़ाने का निर्देश दिया है. सिविल सर्जन डॉ नरेश कुमार भीमसारिया ने बताया है कि केंद्र में दाखिल बच्चों के रहने व खाने का नि:शुल्क इंतजाम है. रोजमर्रा इस्तेमाल में आने वाली सामग्री साबुन, तेल, सर्फ सहित अन्य सामग्री नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है. वहीं श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में बच्चे की मां को सरकार द्वारा प्रतिदिन के हिसाब से 100 रुपये का भुगतान किया जाता है.
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