सबका दुलारा था सावन, रूला कर चला गया

सबका दुलारा था सावन, रूला कर चला गया फोटो: 10परिचय: लोगों के बीच बैठे सावन के पिता मधुबनी/जयनगर. बौआ रौ बौआ, हमरा सबस की गलती भेल रौ बौआ. कहई छलै जे बाबू नौकरी हैते त तोरा नीक घर बना देब. आब के घर बनेते हौ बौआ. यह करूण कंदन की आवाज व आंखों से बह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2015 7:45 PM

सबका दुलारा था सावन, रूला कर चला गया फोटो: 10परिचय: लोगों के बीच बैठे सावन के पिता मधुबनी/जयनगर. बौआ रौ बौआ, हमरा सबस की गलती भेल रौ बौआ. कहई छलै जे बाबू नौकरी हैते त तोरा नीक घर बना देब. आब के घर बनेते हौ बौआ. यह करूण कंदन की आवाज व आंखों से बह रहे आंसुओं की धार कोरहिया के रामसेवक यादव का था. राम सेवक के तीन बेटों में सबसे छोटा था सावन. उम्मीद थी कि पढ लिख कर कोई सरकारी नौकरी कर ले तो परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरे. घर के सभी सदस्य उसे प्रेम करते थे. पर इस प्रेम का उसने यह सिला दिया कि सबको जीवन भर रोने के लिये छोड़ कर चला गया. स्नातक में पढ रहा सावन ना सिर्फ पढाई में तेज था, बल्कि परिवार का सबसे लाड़ला भी था. मंगलवार को वह भी पर्व की खरीदारी करने के लिये अपने दो दोस्तों के साथ जयनगर गया था. सामान की खरीदारी कर ही रहा था कि अचानक बिजली के तार ने उसे अपने चपेेट में ले लिया. उसके साथ आये दोस्त दूर खड़ा हो उसका इंतजार कर रहे थे. उन्हें क्या पता थी कि यह इंतजार अब सावन की मौत के साथ ही खत्म होगा. घर में रो रो कर मां बाप, दोनों भाई का बुरा हाल है. गांव के लोग आकर रामसेवक को तसल्ली दे रहे थे. इसे भगवान की लीला समझ कर स्वीकार करने का ढांढस भी दे रहा था. पर यह सब रामसेवक के लिये मानों झूठी तसल्ली ही थी. बूढे आखों से गिर रहे आंसू और विलाप करते आवाज हर किसी के कलेजा को चाक चार कर रहा था. ऐसा दर्द दिया कि कभी इसका जख्म ना भूला जा सकेगा. भगवान के पूजा के लिये हो रहे तैयारी व खुशी पल भर में गम में तब्दील हो गया. कोई नहीं समझ पर रहा था कि कोरहिया गांव को किसकी नजर लगी. एक साथ पांच पांच लोगों की मौत ने गांवा वालों के साथ पूरे क्षेत्र को शोक में डुबा दिया है.

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