1987 के बाढ़ की भेंट चढ़े बिजली के पोल व तार, नहीं मिल रही रोशनी

मधुबनीः जिले के दर्जनों गांवों में लोगों ने बिजली अब तक देखी नहीं है. ऐसा सुनने में अटपटा जरूर लगता लेकिन यह हकीकत है. इसे सरकारी उदासीनता कहें या लोगों की नियति मसला वहीं अटका है जहां खड़ा था. लेकिन गांव के लोग बिजली के लिए तरस गये हैं. कई जगह तो बिजली पहुंचने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 27, 2013 4:41 AM

मधुबनीः जिले के दर्जनों गांवों में लोगों ने बिजली अब तक देखी नहीं है. ऐसा सुनने में अटपटा जरूर लगता लेकिन यह हकीकत है. इसे सरकारी उदासीनता कहें या लोगों की नियति मसला वहीं अटका है जहां खड़ा था. लेकिन गांव के लोग बिजली के लिए तरस गये हैं. कई जगह तो बिजली पहुंचने के बाद भी समस्या बनी हुई है.

कहीं वर्षो से ट्रांसफॉर्मर जला हुआ है, कहीं पर पोल लगा है लेकिन तार नहीं लगे तो कहीं पोल तार व ट्रांसफॉर्मर लगे लेकिन विद्युत सेवा बहाल नहीं हुई. दरअसल केंद्र सरकार ने हर गांव को बिजली से जोड़ने के लिए अप्रैल 2005 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का उद्देश्य था कि हर गांवों को बिजली मिले, सभी आवास में बिजली उपलब्ध हो.

लेकिन हकीकत यह है कि जिले के कई ऐसे गांव है जहां अधिकांश बीपीएल परिवारों ही रहते हैं जहां न तो पोल लगा है नहीं तार और नहीं ट्रांसफॉर्मर लगी है. प्रभात खबर की टीम ने कुछ गांवों के लोगों से बात की. इससे जो बातें सतह पर दिखी उससे ऐसा लगता है कि दर्जनों ऐसे गांव है जहां के लोग बिजली की उम्मीद पर जिंदा हैं.

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