डीपीओ कार्यालय में धूल फांक रही संचिका

जमीन पर फेंक दिये जाते हैं आवश्यक कागजात मधुबनी : विद्यालय में पदस्थापित शिक्षकों होशियार! कब आपका सर्विस बुक शिक्षा विभाग से गुम हो जाये या फिर बारिश या दीमक इसे चाट जाये यह कहा नहीं जा सकता है. दरअसल, शिक्षा महकमा फाइलों के रख रखाव को लेकर खास सतर्कता नहीं दिखा रही है. बेतरतीब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2015 6:41 AM
जमीन पर फेंक दिये जाते हैं आवश्यक कागजात
मधुबनी : विद्यालय में पदस्थापित शिक्षकों होशियार! कब आपका सर्विस बुक शिक्षा विभाग से गुम हो जाये या फिर बारिश या दीमक इसे चाट जाये यह कहा नहीं जा सकता है. दरअसल, शिक्षा महकमा फाइलों के रख रखाव को लेकर खास सतर्कता नहीं दिखा रही है. बेतरतीब से महत्वपूर्ण फाइलों को फेंक दिया गया है.
ऐसे में कब किसका फाइल कहां गुम हो जाये या फिर बरबाद हो जाये यह कहा नहीं जा सकता है. ऐसा नहीं कि विभाग के पास इसे रखने को जगह नहीं है. जगह पर्याप्त है, लेकिन लापरवाही के कारण फाइल जमीन पर पड़ा धूल फांक रहा है. स्थिति ऐसी है कि देखने से लगता है मानों रद्दी जमा करने का काम इसी विभाग में शुरू हो गया है.
शिक्षा महकमा अपने लापरवाही को लेकर हमेशा सुर्खियों में आता रहा है. वेतन भुगतान की बात हो या फिर प्रमाणपत्रों के जांच या फिर अन्य विभागीय कार्रवाई की.
इस दिशा में डीपीओ स्थापना कार्यालय में बेतरतीब तरीके से संचिकाओं व कागजातों को रखा गया है. ये संचिका काफी महत्वपूर्ण हैं व शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के हित में हैं.
कार्यालय की हालत देख आक्रोशित अवकाश प्राप्त शिक्षक के परिजन प्रेम चंद्र झा ने कहा कि कार्यालय की हालत इतनी बदतर है कि इसे कार्यालय कहूं या धर्मशाला यह समझ में नहीं आता है.
पुराने भवन में कार्यालय
डीपीओ स्थापना कार्यालय नगर परिषद के पुराने भवन में चल रहा है. इस भवन का निर्माण 100 साल से भी पहले अंगरेजी हुकूमत के समय में हुआ था. स्टेशन रोड में यह कार्यालय पूर्व में चल रहा था, लेकिन लगभग एक साल पूर्व इस भवन को नगर परिषद के पुराने कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया. इस भवन में आने के साथ ही बदहाली का दौर शुरू हो गया.
समय से नहीं आते अधिकारी व कर्मी
डीपीओ स्थापना कार्यालय में न तो समय से अधिकारी आते हैं न कर्मी. रंजीत कुमार मिश्र सहित चार लिपिकों को निगरानी जांच काम के लिए लगभग एक माह पूर्व प्रतिनियोजित कर दिया गया.
इसके बाद लिपिकों का कार्यालय में कमी हो गया है. जो लिपिक प्रतिनियोजित नहीं हुए हैं वे भी समय से कार्यालय में नहीं आते हैं. कार्यालय की हालत इस कदर है कि यहां न तो बैठने की ढंग से व्यवस्था है न उपस्कर सही सलामत है. कार्यालय में कूड़े कचरों की तरह फाइलों का ढेर लगा है.
सेवानिवृत्त शिक्षकों पर आफत
सेवानिवृत्त शिक्षकों पर आफत आ गयी है. इन बूढ़े शिक्षकों के बैठने के लिए भी जगह कार्यालय में नहीं रहती है. इससे वे बाहर में इंतजार करते नजर आते हैं. कार्यालय के बाहर शिक्षक मंडराते रहते हैं. कार्यालय को व्यवस्थित नहीं किये जाने से लोगों में काफी रोष है.

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