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विकास की राह पर परिहारपुर गांव

किसान के पुत्र ने गांव का नाम किया रौशन राजनगर : प्रखंड मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित परिहारपुर गांव आज विकास की हर दिन नयी कहानी लिख रहा है. इस गांव की पहचान क्षेत्र में अच्छे, विद्वान लोगों की बस्ती के रूप में की जा रही है. इस गांव को लेकर […]

किसान के पुत्र ने गांव का नाम किया रौशन

राजनगर : प्रखंड मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित परिहारपुर गांव आज विकास की हर दिन नयी कहानी लिख रहा है. इस गांव की पहचान क्षेत्र में अच्छे, विद्वान लोगों की बस्ती के रूप में की जा रही है. इस गांव को लेकर लोगों के विचार सकारात्मक ही है. दरअसल, इस गांव के युवाआें ने विगत 15 साल में सफलता की एक से बढ़कर एक कहानी लिखी है.

यहां शिक्षा व्यवस्था में सुधार होने कारण आज इस गांव के दर्जनों युवा विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में प्रतिष्ठित पद को हासिल किया है. इसके साथ ही अन्य विकास के कार्य भी हुए हैं. यहां की सड़कों को पक्का किया गया है. पेयजल समस्या का भी समाधान हुआ है.
विगत 15 साल में हुआ परिवर्तन
विगत 15 साल पूर्व के परिहारपुर गांव और आज के परिहारपुर गांव में जमीन आकाश का अंतर देखा जा रहा है. इन पंद्रह साल में गांव के कई युवाओं ने सफलता की नयी कहानी लिखी है. यह गांव पूर्ण रूप के कृषि आधारित गांव है. उनके अभिभावक आज भी खेताें में ही अपने पसीना को बहाकर अनाज उपजा रहे हैं, लेकिन इसी अनाज के दाेनों को बेचकर अपने पुत्र के भविष्य को संवारने में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ा. खुद इन युवकओं ने भी पढ़ाई के साथ खेतों में अपने पिता के साथ कुदाल चलाया है.
कई सम्मानित ओहदे को किया हासिल
परिहारपुर गांव के युवा आज कई सम्मानित ओहदे पर विराजमान हैं. इसमें निजी शिक्षक देवचंद्र झा के पुत्र नीतेश कुमार झा आज सेल में एक ऊंचे ओहदे पर हैं. तो किसान योगेंद्र झा के पुत्र मिहिर झा ने 2015 में एफसीआइ में नौकरी हासिल की है. इसी प्रकार मनीष झा बैंक पीओ के पद चयनित होकर गांव का नाम रौशन किया है.
इन्होंने वर्ष 2014 में यह सफलता हासिल किया है. इनके पिता बताते हैं कि वे किसान रहते हुए भी अपने पुत्र को शिक्षा देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. इसी प्रकार किसान मिथिलेश झा के पुत्र दीपक को भी वर्ष 2015 में आईटीबीपी में सफलता मिली है.
इतिहास के पन्ने में है परिहारपुर
ग्रामीण मुकेश कुमार झा बताते हैं कि गांव की इतिहार बहुत ही पुरानी है. इतिहास के पन्ने में भी इस गांव की चर्चा देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि 726 ई. में प्रतिहार वंश के शासन काल में प्रतिहार का सैन्य ठिकाना इसी गांव में रहा था.
इसी कारण इस गांव का नाम परिहारपुर के नाम से जाना जाता है. बाद के सालों में अंग्रजों को नाकोदम करने वाले कई स्वतंत्रता सेनानियों की जन्म भूमि भी यह गांव रहा है. इस गांव के स्व शिवशंकर झा, स्व सूर्य नारायण मिश्र, स्व लंबोदर झा ने देश की स्वतंत्रता में अहम योगदान दिया. इनके साम्यवादी विचारधारा के चलते इनकी भूमिका देश की राजनीति में भी रहा है.
शिक्षा के क्षेत्र में सुधार
पिछले डेढ़ दशक में परिहार पुर गांव में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक तौर परिवर्तन देखने को मिला है. गांव में स्थित प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पढ़ाई की बेहतर व्यवस्था है. गांंव के लोग आये दिन विद्यालय जाकर पढ़ाई के व्यवस्था की जानकारी लेते हैं. सरकारी स्कूलों में निजी विद्यालयों की तरह पढ़ाई की जा रही है.
व्यापक तौर पर विकास
गांव में न सिर्फ मुख्य सड़क की स्थिति सुधर गयी है. बल्कि अधिकांश जगहों पर पीसीसी सड़क बना हुआ है. इसके साथ ही ग्रामीण जलापूर्ति योजना के दिशा में भी पहल हो चुकी है. अधिकांश घरों में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत लगाये गये नल से पानी की आपूर्ति हो रही है.
नशा मुक्ति का पहला गांव
इस गांव में सबसे ऐतिहासिक काम नशा मुक्ति के दिशा में हुई है. गांव के एक समाज सेवी के द्वारा उठाये गये कदम ने गांव की तस्वीर ही बदल कर रख दी. नशा के खिलाफ किये गये रवींद्र झा के पहल को लोगों ने सराहा. हर घर से लोगों को समर्थन मिला. आज यह गांव नशा से तौबा कर चुका है.

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