जिले के स्वास्थ्य संस्थानों में 70 प्रतिशत चिकित्सकों का पद है रिक्त
जब सदर अस्पताल में ही स्वीकृत पद के विरुद्ध चिकित्सकों का 50 प्रतिशत पद रिक्त है तो अन्य संस्थानों की बात ही करना बेमानी है.
मधुबनी. स्वास्थ विभाग इलाज के लिए अस्पताल आने वाले मरीजों को बेहतर व गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए नित नई योजनाएं लागू कर रही है. वहीं चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के कमी का दंश झेल रहा जिले का स्वास्थ्य संस्थान. जब सदर अस्पताल में ही स्वीकृत पद के विरुद्ध चिकित्सकों का 50 प्रतिशत पद रिक्त है तो अन्य संस्थानों की बात ही करना बेमानी है. विडंबना है कि सदर अस्पताल के मेल मेडिकल, आर्थोपेडिक व गायनिक ओपीडी में प्रतिदिन 125 से 175 मरीजों का इलाज किया जाता है. आंकड़े पर गौर करें तो ओपीडी सुबह 9 बजे से 2 बजे तक चलता है. ऐसे में एक मरीज को देखने में 2-3 मिनट लगता है. इससे सहज ही आकलन लगाया जा सकता है कि दो मिनट में मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज कैसे संभव होगा. जिले के स्वास्थ्य संस्थानों की बात करें तो चिकित्सकों के 501 व पद स्वीकृत हैं. लेकिन सिर्फ 165 चिकित्सक ही कार्यरत हैं. जबकि 336 चिकित्सकों पद रिक्त है. वर्तमान में सदर अस्पताल की बात करें तो यहां चिकित्सकों का 74 पद स्वीकृत है. लेकिन वर्तमान में महज 35 चिकित्सक ही कार्यरत हैं. सदर अस्पताल में चार शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक का पद स्वीकृत है. पर एक चिकित्सक कार्यरत हैं. सदर अस्पताल में प्रतिदिन 3 दर्जन से अधिक गर्भवती महिलाओं का प्रसव होता है. सदर अस्पताल में शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए एसएनसीयू की स्थापना की गई है. इसके लिए जेनरल मेडिकल आफिसर का तीन पद स्वीकृत है. इसके एवज में एक भी चिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं. यही यही हाल पारा मेडिकल व अन्य कर्मियों की भी है. सदर अस्पताल में 200 ए ग्रेड नर्स का पद स्वीकृत है. लेकिन महज 114 ए ग्रेड नर्स ही पदस्थापित हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सदर अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट का 5 पद स्वीकृत है. पांचों पद रिक्त है. ऐसे में अस्पताल आने वाले गर्भवती महिला सहित अन्य मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा वैकल्पिक व्यवस्था के तहत उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके लिए मरीजों को दो से तीन महीने का समय दिया जाता है. जबकि लाखों रुपए मूल्य के विदेशी तकनीकी का अल्ट्रासाउंड मशीन अस्पताल में मरीजों के लिए उपलब्ध है. अस्पताल प्रबंधन द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विभिन्न पीएचसी के चिकित्सकों अल्ट्रासाउंड करने के लिए प्रतिनियुक्ति की गई है. इसके बाद भी मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए कई दिनों का इंतजार करना पड़ता है.
70 प्रतिशत से अधिक चिकित्सक का पद है रिक्त
सदर अस्पताल में चिकित्सकों स्वीकृत पद 74 के एवज में 35 चिकित्सक ही पदस्थापित हैं. आंकड़े पर गौर करें तो सदर अस्पताल में अधीक्षक एवं उपाधीक्षक का एक-एक पद स्वीकृत है. दोनों पद रिक्त है. जेनरल मेडिसिन के 24 स्वीकृत पद के एवज में 17 चिकित्सक पदस्थापित हैं. जेनरल सर्जन के 3 स्वीकृत पद के एवज में 3 चिकित्सक पदस्थापित हैं. स्त्री रोग विशेषज्ञ के स्वीकृत आठ पद के एवज में 6 स्त्री रोग विशेषज्ञ पदस्थापित हैं. चर्म रोग विशेषज्ञ चिकित्सक का दो पद स्वीकृत हैं, दोनों पद रिक्त हैं. ईएनटी के दो स्वीकृत पद के एवज में 1 चिकित्सक पदस्थापित है. शिशु रोग विशेषज्ञ के चार के एवज में 1 चिकित्सक पदस्थापित है. मुर्च्छक के स्वीकृत 8 पद के एवज एक भी मूर्च्छक पदस्थापित नहीं हैं. नेत्र रोग विशेषज्ञ 2 के विरुद्ध 2 पद स्थापित है. रेडियोलॉजिस्ट 5 के विरुद्ध पांचो पद रिक्त है. माइक्रोबायोलॉजिस्ट के स्वीकृत एक पद के विरुद्ध 1 भी पदस्थापित नहीं. है पैथोलॉजिस्ट एक पद के एवज में एक पदस्थापित है. फिजिशियन के 4 स्वीकृत पद के एवज में 2 पदस्थापित है. इसके अलावा पब्लिक हेल्थ मैनेजर एक पद के विरुद्ध एक भी पदस्थापित नहीं है. आयुष फिजिशियन का 6 पद स्वीकृत है, लेकिन एक भी पदस्थापित नहीं है. हड्डी रोग विशेषज्ञ दो के एवज में डेंटल सर्जन के 1 पद के एवज में एक भी चिकित्सक पदस्थापित नहीं है. इसके अलावा हॉस्पिटल वर्कर 50 पद के विरुद्ध एक भी पदस्थापित नहीं है. सेनेटरी वर्कर के स्वीकृत पद 30 के विरुद्ध एक भी पदस्थापित नहीं है. औपथेलमिक सहायक दो के विरुद्ध एक पदस्थापित है. लैब टेक्नीशियन के स्वीकृत पद 9 के विरुद्ध 2 पदस्थापित हैं. डाइटिशियन के 2 स्वीकृत पदों के विरुद्ध कोई पदस्थापन नहीं. एक्स रे टेक्नीशियन के 12 पद के विरुद्ध महज एक पदस्थापित है. डार्क रूम असिस्टेंट के 8 पद के विरुद्ध एक भी पदस्थापित नहीं हैं. फार्मासिस्ट 10 के विरुद्ध महज पांच पदस्थापित हैं. मेट्रन के 9 स्वीकृत पद के विरुद्ध एक भी पदस्थापन नहीं है. साइकोथैरेपिस्ट के 2 पद स्वीकृत है, दोनों पद रिक्त है.
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