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एमबीए की नौकरी छोड़ पंसस बने आशीष कबीर पंथियों ने दी आंदोलन की चेतावनी रमजान है बरकतों वाला महीना पंडौल : पांच फर्ज अल्लाह ने अपने हर मोमीन बंदों पर जो पांच चीजें फर्ज की है. इस्लाम के खास सुतून में कलिमा ए तयैबा, नमाज, हज, रोजा, जकात फर्ज है. रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 16, 2016 5:21 AM

एमबीए की नौकरी छोड़ पंसस बने आशीष

कबीर पंथियों ने दी आंदोलन की चेतावनी
रमजान है बरकतों वाला महीना
पंडौल : पांच फर्ज अल्लाह ने अपने हर मोमीन बंदों पर जो पांच चीजें फर्ज की है. इस्लाम के खास सुतून में कलिमा ए तयैबा, नमाज, हज, रोजा, जकात फर्ज है. रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है. रमजान बरकतों वाला महीना है. इस माहे मुबारक में अल्लाह अपने बंदो को बेइंतिहा न्यामतों से नवाजता है. इसी पवित्र महीने में अल्लाह रब्बुल इज्जत ने कुरआन पेगंबर हजरत मुहम्मद साहब पर नाजिल फरमाया. रमजान महीने के अंत पर तीन दिनों तक ईद मनायी जाती है. उन्होंने बताया कि माहे रमजान को तीन भागों में रखा गया है.
रमजान इस्लामी महीने का नौवां महीना है. इसका नाम भी इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने से बना है. यह महीना इस्लाम के सबसे पाक महीनों में शुमार किया जाता है. इस्लाम के सभी अनुयाइयों को इस महीने में रोजा,नमाज, फितरा आदि करने की सलाह दी गई है. रमजान के महीने को और तीन हिस्सों में बांटा गया है. हर हिस्से में दस दस दिन आते हैं. हर दस दिन के हिस्से को ’’अशरा’’ कहते हैं जिसका मतलब अरबी में 10 है. इस तरह इसी महीने में पूरी करआन नालि हुई, जो इस्लाम की पाक किताब है. कुरआन के दूसरे पारे के आयत नंबर 183 में रोजा रखना हर मुस्लिम के लिए जरूरी बताया गया है1 रोजा सिर्फ भूखेए प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि अश्लील या गलत काम से बचना है। इसका मतलब हमें हमारे शारीरिक और मानसिक दोनों के कामों को नियंत्रण में रखना है. इस मुबारक महीने में किसी तरह के झगडे या गुस्से से ना सिर्फ मना फरमाया गया है, बल्कि किसी से गिला शिकवा है तो उससे माफी मांग कर समाज में एकता कायम करने की सलाह दी गई है.
इसके साथ एक तय रकम या सामान गरीबों में बांटने की हिदायत है, जो समाज के गरीब लोगों के लिए बहुत ही मददगार है.

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