जिले में कालाजार के मरीज घटे
मधुबनी : एमबी सोन दवा क्या आयी. कालाजार पीड़ित मरीजों के लिये मानों यह वरदान बन गया. पहले कालाजार एक जानलेवा बीमारी के रूप में जाना जाता था. जब किसी मरीज को यह हो जाती तो परिजन यह सोचकर चिंतित हो जाते कि इसका इलाज कहां करायें और कराने में सब कुछ बेचना पड़ता था. […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
August 5, 2016 4:18 AM
मधुबनी : एमबी सोन दवा क्या आयी. कालाजार पीड़ित मरीजों के लिये मानों यह वरदान बन गया. पहले कालाजार एक जानलेवा बीमारी के रूप में जाना जाता था. जब किसी मरीज को यह हो जाती तो परिजन यह सोचकर चिंतित हो जाते कि इसका इलाज कहां करायें और कराने में सब कुछ बेचना पड़ता था. पर एमबीसोन दवा की एक सूई ने कालाजार पर ऐसा असर किया कि पिछले पांच साल में इसके मरीज की संख्या में व्यापक तौर पर कमी आयी है.
साल दर साल कालाजार मरीजों की संख्या में कमी आ रही है. इसका उपचार भी सरकार द्वारा मुफ्त में हो रही है. अब कालाजार मरीजों को लंबा उपचार से निजात मिल चुका है. केवल एक दिन कालाजार मरीजों का एमबी सोन दवा से उपचार किया जा रहा है. पूर्व में कालाजार मरीजों का उपचार 28 से 30 दिन में होता था. वहीं उपचार के बाद मरीजों को मुख्यमंत्री कालाजार राहत कोष से 6600 रुपया दिया जाता है.
बना चार एमबी सोन केंद्र
कालाजार रोगियों का मुफ्त में उपचार सरकार द्वारा किया जाता है. इसके लिए जिले में 4 एमबी सोन केंद्र बनाये गये है. यह सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल झंझारपुर, प्राथमिक स्वास्थ्य रोड विस्फी व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जयनगर है . यहां पर कालाजार रोगियों को मुफ्त में इलाज किया जाता है.
एमबी सोन दवा का हुआ असर
बिस्फी व जयनगर में सबसे अधिक मरीज
अस्पताल प्रशासन के अनुसार बिस्फी में चालू सत्र के पहले तीन माह में सबसे अधिक 12 मरीज मिले है. जबकि जयगनर में पांच कालाजार के मरीज एवं बेनीपट्टी में सात मरीज पाये गये हैं. वहीं राजनगर में 6 कालाजार के मरीज चिह्नित हुए हैं
2015 में कालाजार से एक की भी मौत नहीं
साल दर साल जिस प्रकार कालाजार मरीजों की संख्या में कमी आयी है. उसी प्रकार कालाजार से ग्रसित मरीजों की मृत्यु दर में भी कमी आयी है. साल 2015 में एक भी कालाजार पीड़ित मरीज की मौत नहीं हुई है.
पांच वर्षों के आंकड़े
वर्ष मरीज मृत्यु
2011 538 02
2012 415 03
2013 321 02
2014 237 01
2015 187 00
2016 जून 55 00
लक्ष्य को पाने की दिशा में हो रहा काम
वर्ष 2017 में कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य तय है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार व विभाग द्वारा पूरी तत्परता से कार्य किया जा रहा है. जो विगत पांच वर्षों के आंकड़ों से भी स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है. यदि दो सप्ताह से अधिक बुखार हो तो वह कालाजार का लक्षण है. जिसकी जांच स्वास्थ्य केंद्र में जाकर मरीजों काे कराना चाहिए. इसके साथ ही कालाजार प्रभावित क्षेत्रों में सिंथेटिक पाइराथ्राइक नामक दवा का छिड़काव भी प्रत्येक छह माह पर किया जा रहा है.
सीके सिंह, जिला मलेरिया पदाधिकारी