रेलवे की व्यवस्था पर सवाल
मधुबनीः रेलवे की लचर व्यवस्था अवाम की परेशानी का सबब बना हुआ है. दिलचस्प तो यह है कि मधुबनी स्टेशन के आगे चकदह गुमटी के मानव रहित होने को डीआरएम अरुण मल्लिक गलत मानते हैं. अपने दौरा के समय उन्होंने स्पष्ट तौर पर माना कि गुमटी पर गेट मैन का न होना अनुचित है. इनके […]
मधुबनीः रेलवे की लचर व्यवस्था अवाम की परेशानी का सबब बना हुआ है. दिलचस्प तो यह है कि मधुबनी स्टेशन के आगे चकदह गुमटी के मानव रहित होने को डीआरएम अरुण मल्लिक गलत मानते हैं. अपने दौरा के समय उन्होंने स्पष्ट तौर पर माना कि गुमटी पर गेट मैन का न होना अनुचित है. इनके दौरा के भी एक सप्ताह से अधिक का समय गुजर गया. शनिवार को भी यह गुमटी बिना गेट मैन का रहा. विभाग के अवाम व यात्री की सुरक्षा के प्रति गंभीरता व संवेदनशीलता इससे उजागर हो जाता है कि अधिकारी मानते हैं कि गलत है. बावजूद यह जारी रहे.
चकदह गुमटी से हर दिन 50 से अधिक गांव के 5 हजार से अधिक लोग आवागमन करते है. जो किसी भी तरत आवागमन लायक नहीं है. खुला गुमटी एवं आर पार होने के दृष्टिकोण से खतरनाक बना ट्रैक बावजूद लोग आते जाते है. इस कारण यहां हर दिन दुर्घटनाएं होती है. क्योंकि यह इनकी विवशता है. विभाग ने इस खुले गुमटी से आवागमन की बजाय यहां यू टाइप सड़क बनायी है. इसमें चकदह की ओर की बनी पीसीसी सड़क 4 माह में ही जजर्र हो गयी.
आज इसकी हालत ऐसी है कि जगह जगह उखड़ चुकी सड़क विभाग में गुणवत्ता की पोल खोल रहा है. वहीं कॉलोनी तरफ की सड़क तो पूरी व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है. पुल, एप्रोच एवं मिट्टी भरने का काम इस तरह किया गया है. पैदल यात्री भी एक बार में नहीं आ सकते हैं. ऐसे में रिक्शा,ऑटो व चार पहिये वाहन के चलने का सवाल ही नहीं उठता है. इससे तो यही साबित होता है कि रेलवे लोगों को जान जोखिम में डालने को विवश कर दिया है.
अन्य स्टेशन की हालत भी बदतर
प्लेटफॉर्म एवं गुमटी की हालत विभिन्न स्टेशनों पर भी काफी खराब है. राजनगर व मधुबनी के बीच गुमटी पर वर्ष 2011 में गरीब रथ की टक्कर से बोलेरो के परखच्चे उड़ गये. इसमें 24 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. वहीं वर्ष 2013 में सकरी-जयनगर रेलखंड पर 30 मौत हुई.
इसमें 13 मौत का कारण प्लेटफॉर्म व गुमटी की जजर्रता मानी जाती है. मधुबनी स्टेशन पर प्लेटफॉर्म नंबर एक के किनारे बेहतर लगे पत्थर को विभाग ने मनमाने तरीके से उखाड़ दिया. यहां ईंट लगा दिया. जो छह माह तक बगैर प्लास्टर का लगा रहा. इस कारण दो को अपनी जान गंवानी पड़ी. दो जीवन व मौत से जूझ रहे है. ऐसी ही हालत राजनगर, पंडौल, सकरी, झंझारपुर, लौकहा, जयनगर, खजाैली, घोघरडीहा व अन्य स्टेशन एवं इनकी गुमटी की है. डीआरएम अरूण मल्लिक ने बताया कि समस्याओं के निदान के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है. निर्माण के मामले में अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है. जहां भी गड़बड़ी होगी कार्रवाई होगी.