गंगा नोतलैन यमुना के, हम नोतई छी …

मधुबनी : भाई बहन के प्रेम का पर्व भ्रातृ द्वितीया (भैया दूज)का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मुख्यालय से लेकर गांव कस्बों में बहनों ने भाई की लंबी आयु के लिए पूजा की. बहनों ने सोमवार की शाम से लेकर मंगलवार की सुबह तक भाईयों को न्यौता पठाया. भाई भी पावन बेला में आकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 2, 2016 2:28 AM

मधुबनी : भाई बहन के प्रेम का पर्व भ्रातृ द्वितीया (भैया दूज)का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मुख्यालय से लेकर गांव कस्बों में बहनों ने भाई की लंबी आयु के लिए पूजा की. बहनों ने सोमवार की शाम से लेकर मंगलवार की सुबह तक भाईयों को न्यौता पठाया. भाई भी पावन बेला में आकर अपनी बहन से न्यौता लिया व उन्हें तोहफे दिये. हर घर में चहल पहल रही. बहन अपने भाई के स्वागत के लिये कई प्रकार की व्यवस्था किये थे.

बहन आंगन में मिथिलांचल की परंपरा अरिपन (रंगोली) बना कर उस पर बैठने के लिये पिड़ही लगाया. इस पिरही को भी पिठार(चावल आंटा की घोल) से रंग कर उस पर सिंदूर लगाया जाता है. अरिपन पर एक मिट्टी के बरतन में कदीमा का फूल, पान पत्ता, मखाना, सुपारी, सिक्का रख कर तैयारी करती है. भाई को पिड़ही पर बिठा कर बहनों ने तिलक लगाया व हथेली पर भी सिंदूर व पिठार लगाया. इसके बाद हथेली पर बरतन के रखे सभी सामान को रखा व पानी से ”
गंगा नोतलैन यमुना के, हम नोतै छी भाई के, जहिना गंगा – यमुना के धार बहय, तहिना हमरा भैया के औरदा बढय” मंत्र पढकर हथेली पर रखे सभी सामान को वापस उसी मिट्टी के बरतन में रखा जाता है. यह क्रम तीन बार अपनाया जाता है. इसके बाद भाई अपने बहन को नकद राशि एवं अन्य उपहार भेंट करता है. सुबह से ही ससुराल में रहने वाली बहन अपने भाई के आगमन की तैयारी में व्यस्त थी. इस पर्व को छोटे छोटे बहन व भाइयों ने भी हर्षोल्लास के संग मनाया.
सदियों से है परंपरा
भ्रातृ द्वितीया का पर्व सदियों से मनाया जा रहा है. किंवदंति है कि यमुना नदी में एवं यम में भाई बहन का रिश्ता है. कई बार यमुना ने अपने भाई को आने का निमंत्रण दिया. पर यम नहीं आ रहे थे. एक दिन यम ने यमुना के घर पर आने का विचार किया. जिस दिन यम अपनी बहन यमुना के घर पर आये उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष का द्वितीया तिथि थी. यमुना ने अपने भाई की पूजा की, उन्हें तिलक लगाया व उनके लंबी उम्र की कामना करते हुए खूब आव भगत की.
यमुना के आदर सत्कार से यम प्रसन्न हो यमुना से वर मांगने को कहा. यमुना ने यम से यह वर मांगा कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जायेंगे उन्हें अकाल मौत या नरक प्राप्त नहीं होगा. यम ने उनके इस मांग को पूरा किया. इस दिन से यह परंपरा निभायी जा रही है.

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