झंझारपुर (मधुबनी) : देश की सीमा की रक्षा करते हुये मिथिलांचल का लाल विकास मिश्र शहीद हो गया है. विकास बीएसएफ में जवान थे. झंझारपुर अनुमंडल के रैयाम गांव के रहनेवाले विकास जम्मू-कश्मीर के पुंछ में तैनात थे. पिछले महीने की 17 तारीख को कोजगरा के बाद ड्यूटी पर गये थे. महीने भर भी नहीं हुआ कि उनके शहादत की खबर आयी, जिससे पूरे इलाके में मातम का माहौल है. विकास को बुधवार को दिन में 12 बजे गोली लगी थी, जिसमें वो गंभीर रूप से जख्मी हो गये थे. इलाज के दौरान वो शहीद हो गये. विकास के शहीद होने की खबर जैसे ही लोगों को मिली. सैकड़ों की संख्या में लोग उनके घर पर जुट गये, लेकिन देर शाम तक कोई प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि उनके गांव नहीं पहुंचा था. छह भाई-बहनों में विकास सबसे छोटे थे. उनके पिता शिवरुद्र मिश्र का स्वर्गवास हो गया था. बचपन से ही सेना में जाने की बात गांव में करते थे. विकास की शहादत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक जताया और शहीद जवान के आश्रितों को 11 लाख रुपये आर्थिक मदद देने की बात कही.
सीमा की रक्षा
2014 में बीएसएफ में भर्ती हुये थे. श्रीनगर के पुंछ में विकास की पहली पोस्टिंग थी. अभी तक उनकी शादी भी नहीं हुई थी, जबकि तीन बड़े भाई दिल्ली में निजी कंपनियों में काम करते हैं. वो परिवार के साथ वहीं रहते हैं. उनकी बड़ी बड़ी बहन की भी शादी हो चुकी है. घर में मां इंद्रा देवी थीं. उनके साथ इस समय दो बहनें थीं. इंद्रा देवी हृदय रोग से पीड़ित हैं, जिसकी दवाई चल रही है.
पिछले महीने दशहरा के समय विकास दस दिन की छुट्टी पर आये थे. इस दौरान गांव के लोगों से मिल जुल कर और कोजगरा पर्व मनाने के बाद ड्यूटी पर गये थे. मां की बीमारी की वजह से विकास चिंतित रहते थे और हर दिन वह घर में फोन करते थे. मां का हाल लेते थे. साथ ही उन्हें समय पर खाना व दवा खाने की बात कहते थे. हर दिन की तरह बुधवार की सुबह भी विकास ने मां इंद्रा देवी को फोन किया था. फोन बहन भारती ने उठाया, जिससे विकास ने बात की.
इसके बाद मां से बात की और समय पर दवा और खाना खाने के बारे में कहा.
बहन भारती ने बताया कि इसके बाद विकास ने उनसे बात की थी और कहा था कि अबकी बार जब हम घर आयेंगे, तो घर की ढलाई करवायेंगे. अभी विकास का घर पूरा नहीं बना है. फूस के छप्पर के नीचे परिवार रहता है. साथ ही उन्होंने सीमा पर तनाव की बात भी बहन से कही थी. इसके बाद वो ड्यूटी पर गये, जहां दिन में 12 बजे के आसपास पाकिस्तान की ओर से की गयी नापाक फायरिंग में उन्हें गोली लगी और वह गंभीर रूप से जख्मी हो गये. इलाज के लिए उन्हें सेना के अस्पताल ले जाया गया,
जहां उन्हें बचाया नहीं जा सका और वो शहीद हो गये.
विकास की शहादत की बात उनके गांव के लोग को दिन में लगभग चार बजे मिली, जब चचेरे भाई अनिल कुमार मिश्र के पास सूचना आयी. बताया गया कि तीन बजे के आसपास विकास शहीद हुये हैं. इसके बाद जैसे ही यह बात गांव में फैली. लोग विकास के दरवाजे पर जुटने लगे. मां इंद्रा देवी को पहली उनकी शहादत के बारे में नहीं बताया गया था, लेकिन दरवाजे पर भीड़ जुटती देख कर उन्होंने अपनी बेटियों से जानकारी मांगी और जैसे ही उन्हें बेटे की शहादत के बारे में पता चला, वह फूट-फूट कर रोने लगीं. वह उन दिन को दोष दे रही थीं, जब विकास अंतिम बार घर से गया था.
गांव के लोगों की आंखों में भी आंसू थे. उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि जो विकास पिछले महीने छुट्टी पर आया था, उन लोगों से बात करके गया था. वो शहीद हो गया है, लेकिन देश की सीमाओं की रक्षा करते हुये शहीद होने पर गांव के लोग गर्व भी जता रहे थे. इनका कहना था कि किसी के लिए इससे बड़ी बात क्या होगी कि वह देश के काम आये. विकास ने शहादत देकर अपना नाम अमर कर लिया है, लेकिन गांव के लोगों में इस बात पर थोड़ा रोष भी था कि कोई भी प्राशसनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि उनके गांव नहीं पहुंचा था.
अब कभी पूरा नहीं होगा छत ढलाने का वादा
पिछली छुट्टी के दौरान भी विकास ने अपनी मां व बहनों से कहा था कि घर की छत अगली बार आऊंगा, तो ढलवा दूंगा, क्योंकि अभी तुम लोगों को रहने में कष्ट होता है. यही बात उसने अपने अंतिम फोन में बात करते हुये बहन भारती से कही थी. जब विकास की शहादत की खबर आयी, तो उसके ग्रामीण इस पर चर्चा कर रहे थे और कह रहे थे
कि छत ढलाने का वादा करनेवाले विकास अब हमसे बहुत दूर चले गये हैं. ऐसी जगह, जहां से कोई वापस नहीं आता है. अब वह अपना वादा कभी पूरा नहीं कर पायेंगे. इसी बात को याद करके विकास के बचपन के दोस्त भावुक हो रहे थे. वह विकास के साथ बिताये लम्हों की याद कर रहे थे कि कैसे उसे बचपन से ही देश की सेवा करने का जुनून था. इसी जुनून की वजह से वह बीएसएफ में भर्ती हुआ था.
बीमार मां से कहा था, समय से खाना और दवा खाया करो
चार भाइयों में सबसे छोटे थे विकास, नहीं हुई थी शादी
घर में हैं मां और दो बहनें, पिता का हो चुका है निधन
विकास के तीनों बड़े भाई दिल्ली में करते हैं निजी काम
दोपहर में 12 बजे पाक रेंजर्स की लगी थी गोली
सेना के अस्पताल में इलाज
के दौरान हुए शहीद
सुबह बहन से बोले थे, जल्द घर आऊंगा, तो अधूरा घर बनवाऊंगा
भाई आज आ जायेंगे गांव
विकास के तीन भाई दीपक, प्रदीप व अनिल मिश्र को उनकी शहादत की खबर दे दी गयी है. तीनों भाई अपने परिवार के साथ दिल्ली से झंझारपुर के लिए बुधवार को ही रवाना हो गये हैं. उनके गुरुवार को गांव पहुंच जायेंगे. विकास की दोनों बहनों की शादी हो चुकी है. बहन भारती मां के पास थी. दूसरी बहन सुमन देवी को भी विकास की शहादत की जानकारी दे दी गयी है, जिसके बुधवार की देर रात रैयाम पहुंच गयी.
आज आ सकता है पार्थिव शरीर
शहीद विकास मिश्र का पार्थिव शरीर गुरुवार की रात या फिर शुक्रवार की सुबह उनके पैतृक गांव पहुंचने की उम्मीद है. बुधवार की देर शाम उनके शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा था.
इसकी सूचना ग्रामीणों की मिली थी. इसके बाद जम्मू-कश्मी से पार्थिव शरीर दिल्ली और
फिर पटना लाया जायेगा. इसके बाद झंझारपुर के रैयाम गांव आयेगा. बताया जाता है कि विकास के परिजनों से बात के बाद ही अंतिम संस्कार के स्थल का चयन किया जायेगा.